शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

विधानसभा सदन समिति ने केन्द्रीय रेल राज्यमंत्री से भेंट की


विधानसभा सदन समिति ने केन्द्रीय रेल राज्यमंत्री से भेंट की

(प्रियंका)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश विधानसभा की सदन समिति के सदस्यों ने गुरूवार को दिल्ली में केन्द्रीय रेल राज्यमंत्री श्री के0एच0 मुनीयप्पा से भेंट की। समिति ने श्री मुनयप्पा से भोपाल से चलने वाली ट्रेनों में विधायकों के आरक्षण ओर सामान्य आरक्षण कोटे में वृद्धि करने के सम्बन्ध में चर्चा की। साथ ही भोपाल से विभिन्न गन्तव्यों तक नई रेल चलाने के सम्बन्ध में ध्यानाकर्षित किया।
            समिति ने दिल्ली स्थिति मध्यप्रदेश भवन के अधिकारियों के साथ बैठक कर भवन में विधायकों को उपलब्ध कराई जा रही विभिन्न सेवाओं/सुविधाओं की समीक्षा भी की।    दिल्ली प्रवास पर मध्यप्रदेश विधानसभा की सदन समिति सदस्यों में विधायक सर्वश्री नागेन्द्र सिंह गुढ़श्री शंकर लाल तिवारी, श्रीमती ललिता यादव, श्री दिलीप जायसवाल और श्री सुरेश चौधरी आये हैं। समिति के साथ विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री आर0 के0 पाण्डे और अपर सचिव श्री ए0पी0 सिंह भी दिल्ली आये हैं

वेबसाइट पर सरकार के प्रतिबंध का विरोध किया


वेबसाइट पर सरकार के प्रतिबंध का विरोध किया

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। अखिल भारत हिन्दू महासभा ने हिन्दू जागृत डॉट आर्ग वेबसाइट पर सरकारी प्रतिबंध का विरोध किया है व आज हिन्दू जनजागृति संस्था द्वारा जंतर-मंतर पर हो रहे भारी प्रदर्शन का पूर्ण रूपेण समर्थन किया है। अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ नेता, अध्यक्ष केन्द्रीय उच्चाधिकार समिति व राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ0 संतोष राय ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा भयानक हिन्दू जनसंहार, हिन्दू महिलाओं का यौन शोषण के बाद हुये भारी तबाही व करीब 2 लाख हिन्दुओं के विस्थापन के बाद  केन्द्र सरकार पाकिस्तान से चलनेवाली किन वेबसाइटों को बैन किया ये जानकारी तो नही मिली लेकिन सरकार ने सनातन संस्था द्वारा संचालित हिन्दूजागृति डॉट आर्ग को प्रतिबंधित कर दिया है जो सरासर गलत व औरंगजेबी फरमान का ज्वलंत उदाहरण है।
ज्ञात हो कि असम में व्यापक रूप से बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा हिन्दुओं के जनसंहार व मुबई मंे मुस्लिम जेहादियों द्वारा किये गये दंगों के बाद ससंचार मंत्रालय द्वारा एहतियातन जिन वेबसाइटों को प्रतिबंधित करने का कदम उठाया गया है उसमें सनातन संस्था द्वारा संचालित यह वेबसाइट भी शामिल है। सरकार ने पाया है कि इस वेबसाइट पर ऐसी सामग्री थी जिसके जरिए लोगों की भावनाओं को भड़काया जा रहा था जबकि सच्चाई इससे पूरी तरह उलट है।
वरिष्ठ नेता डॉ0 संतोष राय ने अपने बयान में आगे कहा कि  एक ओर भारत में इस्लामिक जेहाद भड़काने वाले, आतंकियों की मदद करने वाले व उनका मुकदमा लड़ने वाली ‘‘पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’’ पर की वेबसाइट पर सरकार कोई प्रतिबंध नही लगा रही है वहीं सत्य सनातन धर्म का प्रचार करने वाली ‘‘हिन्दूजागृति डॉट आर्ग’’ पर प्रतिबंध लगा दिया।
विदित हो कि यह वही वेबजाल है जिसने सर्वप्रथम असम में बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा हुये हिन्दुओं के भयानक जनसंहार को सर्वप्रथम संपूर्ण विश्व को सूचित किया था, साथ ही इसने मुंबई में हुये इस्लामी जेहादियों के दंगों को सर्वप्रथम संपूर्ण राष्ट्र को अवगत कराया था। 
श्री राय ने आगे कहा कि असम में भयानक हिन्दूओं के जनसंहार के दौरान यह संस्था अपने प्रचार माध्यमों के जरिए यह साबित करने की प्रयास कर रही थी कि वहां हिन्दुओं के साथ अत्याचार हो रहा है और वहां बांग्लादेशी घुसपैठी भारत के जेहादी मुसलमानों के साथ मिलकर  असम का कश्मीर की तरह इस्लामीकरण करना चाहते हैं।
वरिष्ठ नेता सरदार रविरंजन सिंह ने कहा कि अब सरकार ने सिर्फ हिन्दूजागृति डॉट आर्ग को प्रतिबंधित ही नही किया बल्कि उसका फेसबुक एकाउण्ट भी ब्लाक करवा दिया है। यह केन्द्र सरकार की सरासर ज्यादती है। सरकार ने बिना उनका पक्ष जाने ही अपनी तरफ से पहल करके यह कदम उठाया है जिसका अखिल भारत हिन्दू महासभा पूरी तरह विरोध करती है।

भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन आगामी 22-23 सितम्बर को: शर्मा


भोपाल में अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन आगामी 22-23 सितम्बर को: शर्मा

(धीरेंद्र श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। भोपाल (मध्यप्रदेश) में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय धर्म और धम्म सम्मेलन का आयोजन आगामी 22 एवं 23 सितम्बर 2012 को किया जायेगा। यह देश का पहला अभिनव आयोजन होगा जिसके अंतर्गत धर्म और धम्म के विशेषीकृत दृष्टिमानों की पहचान की जायेगी। यह जानकारी आज यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में जनसंपर्क एवं सस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने दी।  श्री शर्मा ने बताया कि इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री महेन्द्रा राजपक्षे सहित ब्रिटेन, फ्रांस, नीदरलैंड, वियतनाम, चीन, इस्राइल, मिश्र, इण्डोनेशिया जापान आदि लगभग 22 से अधिक देशों के अध्येत्ता और दार्शनिक सम्मिलित होंगे। यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग एवं सेन्टर फॉर द स्टडी ऑफ रिलीजन एण्ड सोसाइटी ;ब्ैत्ैद्ध नई दिल्ली  तथा महाबोधि सोसायटी श्रीलंका द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।
श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने बताया कि 21 सितम्बर 2012 को सांची जिला रायसेन में बौद्ध़ विश्वविद्यालय का भूमि पूजन होगा। विश्वविद्यालय का नाम सांची यूनीवर्सिटी ऑफ बुद्धिज्म रखा जायेगा। इस पर लगभग 200 करोड़ रूपये का व्यय होगा। श्री शर्मा ने बताया कि महान भारतीय परम्परा, उसके बहुविध आयामों, समन्वित धार्मिक भारतीय परम्पराओं की केन्द्रीय थीम पर धर्म और धम्म सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस बहुविध और समन्वित परम्परा ने भारतीय जीवन दृष्टि और विचारों को गहरा प्रभावित किया है। हिन्दू और बौद्ध धर्म का यही आधारभूत सिद्धांत भी है।  इस अंतर्राष्ट्रीय धर्म समागम में विभिन्न सभ्यताओं पर संवाद और समन्वय होगा ।  श्री शर्मा के अनुसार यह अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठी अनेक अर्थों में अत्यंत महत्वपूर्ण विचार विनिमय की पहल है और विशेषकर सांची सहित मध्यप्रदेश की आध्यात्मिक संपदा को भी उजागर करेगी।
ब्ैत्ै के डॉ0 विनय सहस्रबुद्धे ने बताया कि दो अतिप्राचीन विचारधाराओं के पक्ष को रोशन करना इस सम्मेलन का उद्देश्य है। गायत्री परिवार के डॉ् प्रणव पण्ड्या को उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। लगभग 120 से अधिक अध्येत्ता इस सम्मेलन में अपने शोध आलेख भी प्रस्तुत करेंगे। प्रस्तुत किये जाने वाले शोध आलेखों मंे से लगभग 40 आलेख विदेशों से सहभागी होंगे। अंत में सांची-भोपाल डिक्लियरेशन जारी किया जायगा जो कि सम्मेलन का सार होगा।
इस सम्मेलन की संरक्षण समिति में शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती, विख्यात दार्शनिक डॉ0 लोकेश चन्द्र तथा लाम्बा लोकजेंक और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान हैं।

पोषक मुख्यमंत्री का कुपोषित प्रदेश


पोषक मुख्यमंत्री का कुपोषित प्रदेश

(सरिता अरगरे)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश की राजनीति में इस वक्त वो सब हो रहा है, जो कभी किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। कल तक खुद को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार मानकर शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ़ खेमेबंदी का झंडा उठाकर चलने वाले कैलाश विजयवर्गीय आज सरकार की झूठन समेट रहे हैं। चाहे वो मुरैना में हुई आईपीएस अधिकारी नरेन्द्र कुमार की हत्या का मामला हो, महज़ सात सालों में अरबपति बने दिलीप सूर्यवंशी से मुख्यमंत्री के सीधे ताल्लुकात का मुद्दा हो या कोल ब्लॉक आवंटन मामले में शिवराज सिंह चौहान की भूमिका पर उठ रहे सवाल हों। मुख्यमंत्री मुँह में दही जमा कर बैठे हैं और कैलाश विजयवर्गीय उनकी पैरवी करते घूम रहे हैं। गोया कि सूबे के मुखिया बनने का ख्वाब हुआ हवा, अब तो आलम ये है कि कुर्सी बचाए रखने के लिए चौहान की चरणोदक पीने में भी गुरेज़ नहीं रहा।
रही सही कसर एमपीसीए के चुनाव में मिली करारी मात ने निकाल दी। धुआँधार बल्लेबाज़ी करते हुए माधवराव सिंधिया ने क्लीन स्वीप कर दिया । कैलाश विजयवर्गीय ने चुनाव जीतने के लिए लोकतंत्र के सभी हथकंडे अपनाए, मगर वो भूल गए कि गली-कूचों में भिया और भिडु तैयार करके विधायकी हासिल करना अलग बात है, भद्र और कुलीन समाज का खेल माने जाने वाले क्रिकेट की सत्ता पर कब्ज़ा जमाना और बात।
इसी तरह देश के इतिहास में शायद ये पहला ही मौका होगा, जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दो सौ से ज़्यादा कार्यकर्ताओं के हुजूम ने इंदौर में भाजपा कार्यालय पर धावा बोल दिया। संघी मनोज परमार मामले के जाँच अधिकारी के एकाएक तबादले से नाराज़ थे। सूबे के मुखिया के खिलाफ़ जमकर नारेबाज़ी कर रहे इन कार्यकर्ताओं का आरोप था कि सरकार ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारियों को प्रताड़ित कर रही है। इंदौर इन दिनों गैंगवार और माफ़िया की गिरफ़्त में फंसकर कराह रहा है। मगर इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं।
प्रदेश के मुखिया हवाई सफ़र, विदेश भ्रमण, तीर्थाटन, देवदर्शन या फ़िर प्रदेश के रमणिक स्थलों पर परिवार के साथ सुस्ताने में व्यस्त रहते हैं। इन गतिविधियों से कभी कुछ वक्त मिल जाता है, तो मीडिया का चोंगा थाम कर देश-विदेश की हर छोटी-बड़ी घटना पर अपने अनमोल वचनप्रसारित करके उपस्थित दर्ज कराते रहते हैं। मीठा-मीठा गप्प, कड़वा-कड़वा थूकने की प्रवृत्ति के पोषक मुख्यमंत्री प्रदेश की हर बड़ी घटना पर मुँह सिलकर बैठ जाते हैं । घ्से मौके पर नरोत्तम मिश्र या कैलाश विजयवर्गीय को आगे कर दिया जाता है।
इसके अलावा यह भी एक दिलचस्प खबर है कि सूबे के मुखिया औसत हर रोज़ दो घंटे हवाई यात्रा में बिताते हैं। सब कुछ हवा में ही है, ज़ीन पर कुछ नहीं अगर है भी तो बस पोलपट्टी। यही नतीजा है कि भाजपा के ज़िला पदाधिकारी भी अपना सिर पीट रहे हैं। वे कहते हैं कि ज़िलों में ना सड़क है ना बिजली और ना ही पानी, बरसात में तो हालात बदतर हो चुके हैं, घ्से में जनता को क्या जवाब दें? अधिकांश पदाधिकारी मानते हैं कि इन मुद्दों को लेकर दिग्विजय सिंह को सत्ता से उखाड़ फ़ेंकने वाली जनता अब भाजपा को सबक सिखाने का मूड बना रही है। मगर दिल्ली की चाँडाल दृ चौकड़ी को हफ़्ता पहुँचाकर अपनी कुर्सी बचाए रखने वालों का जनता के सुख-दुख से क्या सरोकार?
आरएसएस के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ  के पूर्व अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा भी प्रदेश सरकार की कारगुज़ारियों पर अँगुली उठाते रहे हैं। ये अलग बात है कि भाजपा सरकार की मुखालफ़त की उन्हें भारी कीमत चुकाना पड़ी। सच बोलने की सज़ा के तौर पर उन्हें असंवैधानिक तरीके से पद से हटा दिया गया, करीब पंद्रह दिन जेल की सलाखों के पीछे फ़ेंका गया सो अलग। हाल ही में अरविंद केजरीवाल के भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में पहुँचे श्री शर्मा ने प्रदेश सरकार को यूपीए सरकार से भी चार गुना ज़्यादा भ्रष्ट करार देकर सबको सकते में डाल दिया ।
अपनी साफ़गोई के लिए पहचाने जाने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रघुनंदन शर्मा दिलीप सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा जैसे लोगों को सत्ता का रोग मानते हैं। अपने खून-पसीने से पार्टी को सींच कर यहाँ तक पहुँचाने वालों की कतार में शामिल रहे श्री शर्मा का कहना है कि संकट के समय ये लोग नहीं दिखेंगे, उस समय काम आयेंगे त्यागी और सिद्धांतनिष्ठ कार्यकर्ता । मगर उनकी इस नसीहत की आखिर ज़रुरत किसे है? अपना तो क्या चाचा के मामा के ताऊ के फ़ूफ़ा  तक की पुश्तों का इंतज़ाम कर चुके इन सत्ताधीशों को क्या लेना देश से ,यहाँ की जनता से, भारत के लोकतंत्र से ।
दरअसल इस देश में इस तरह के लोकतंत्र की कोई ज़रुरत ही नहीं है। देश में भ्रष्टाचार के मूल में लोकतंत्र के नाम पर खड़े किये गये चूषक तंत्र ही हैं। आज तक समझ ही नहीं आया कि आखिर इस देश में दिल्ली से लेकर गाँवों की गली-कूचों तक जनप्रतिनिधियों के नाम पर खडे किए गये इन सत्ता के दलालों की ज़रुरत क्यों है? अगर देश के नेता सिर्फ़ दलाली खाने के लिए ही हैं तो इनका खर्च जनता क्यों उठाए? रार्ष्ट्पति शासन में भी तो सरकारी मशीनरी बिना मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बेहतर और सुचारु ढंग से काम करती है। गौर करने वाली बात यह भी है कि जब से नगर निगम और नगर पालिकाएँ बनीं तबसे अव्यवस्थाएँ और गंदगी फ़ैली  महापौर और पार्षद रातोंरात करोड़पति बन गए, मगर शहरों की हालत बद से बदतर होती गई। यही हाल ग्राम स्वराज के नाम पर खड़ी की गई पंचायती राज व्यवस्था का है। पंच-सरपंच पजेरो में सैर कर रहे हैं लेकिन गरीब आदमी सूखे निवालों से भी महरुम है। यानी अब सत्ता बदलने की नहीं, देश चलाने के लिए नया रास्ता तलाशने का वक्त है।