कोयले में सहाय के
हाथ भी काले
(इमरान)
नई दिल्ली (साई)।
कोयला ब्लॉक आवंटन के मामले में केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोधकांत सहया बुरी तरह
फंस गए हैं। उनकी सिफारिश पर एसकेएस इस्पात ऐंड पावर कंपनी को कोयला ब्लॉक दिए
जाने की असल कहानी सामने आ गई है। सुबोध कांत के भाई सुधीर सहाय एसकेएस कंपनी के
डायरेक्टर हैं। कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए 7 फरवरी 2008 को कोयला मंत्रालय
की स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में सुधीर बतौर कंपनी डायरेक्टर पेश हुए थे।
केंद्रीय मंत्री
सहाय ने 5 फरवरी 2008 को पीएमओ एक
चिट्ठी भेजी, जिसमें
पीएम को लिखा गया,कि एसकेएस
इस्पात को अपनी स्टील कंपनी के लिए झारखंड और छत्तीसगढ़ में दो कोल ब्लॉक की जरूरत
है। कंपनी सभी शर्तें पूरी करती है। मैं आपका आभारी रहूंगा अगर आप व्यक्तिगत पहल
कर ये आवंटन करवाएं।
इस चिट्ठी के मिलने
के 24 घंटे के
भीतर ही पीएमओ की अनुशंसा पर 6 फरवरी 2008 को इस कंपनी को दो
कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए। सुबोध कांत सहाय पहले तो एसकेएस इस्पात से संबंध होने
से इनकार करते रहे लेकिन जब स्क्रीनिंग कमिटी की मीटिंग में भी उनके भाई के पेश
होने के साक्ष्य सामने आए तो उनसे जवाब देते नहीं बना। इतना ही नहीं, झारखंड सरकार और
एसकेएस के साथ हुए समझौते (एमओयू) में भी सुधीर सहाय के हस्ताक्षर दर्ज हैं।
पूरे मामले में
सफाई देने के लिए सुबोध कांत सहाय ने शुक्रवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस
बुलाई लेकिन उसमें भी बुरी तरह से फंस गए। जब संवाददातओं ने उनसे पूछा कि उन्होंने
अपने भाई से जुड़ी कंपनी के लिए सिफारिशी पत्र क्यों लिखा, तो उन्होंने जवाब
दिया कि चूंकि वह झारखंड से सांसद हैं लिहाजा वहां के विकास के लिए उन्होंने इस
कंपनी को ब्लॉक दिए जाने की सिफारिश की है।
हालांकि, इस सवाल का उनके
पास कोई जवाब नहीं था कि राज्य की दूसरी कंपनियों पर उन्होंने ऐसी मेहरबानी क्यों
नहीं दिखाई। जब इस मामले में स्थानीय चेनल की राजनीतिक संपादक नविका कुमार ने
दस्तावेज दिखाकर सुबोध कांत सहाय से काउंटर सवाल किए, तो केंद्रीय मंत्री
काफी खीझ गए और उनके समर्थकों ने उन्हें और सवाल नहीं पूछने दिया।
गौरतलब है कि कोयला
ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोर्ट संसद में पेश होने और इसमें 1.86 लाख करोड़ के घाटे
की बात सामने आने के बाद से राजनीतिक बवंडर मचा है। बीजेपी ने दो सप्ताह से संसद
की कार्यवाही नहीं चलने दी है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष
सोनिया गांधी और पार्टी के तमाम नेता व सरकार के मंत्री कैग के आकलन को भ्रामक
बताने में लगे हैं।
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