राडिया टेप लीक
करने वाले को नहीं खोज पाई सरकार
(विस्फोट डॉट काम)
नई दिल्ली (साई)।
सरकार ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि कार्पाेरेट घरानों के लिए
संपर्क का काम करने वाली नीरा राडिया और टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा सहित कई
प्रमुख व्यक्तियों के बीच रिकार्ड की गयी टेलीफोन वार्ता के टेप लीक करने वाले स्रोत
का पता नहीं लगाया जा सका है।
न्यायमूर्ति जी एस
सिंघवी और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष सरकार ने सीलबंद
लिफाफे में गोपनीय जांच रिपोर्ट पेश की। न्यायाधीशों ने इसके अवलोकन के बाद कहा कि
संक्षेप में रिपोर्ट कहती है कि यह पता लगाना मुश्किल है कि किस स्रोत ने इसे लीक
किया।
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘इन टेप को लीक करने
वाले स्रोत के बारे में वे (सरकार) पता लगाने में विफल रहे हैं।’’ न्यायाधीशों के
अनुसार रिपोर्ट में सरकार ने कहा है कि नियमों के तहत इन टेप की मूल प्रति शीर्ष
अदालत के समक्ष पेश करने के बाद सारे टेप नष्ट कर दिये गए हैं। टेलीफोन टैपिंग की
सारी वार्तालाप सार्वजनिक करने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले गैर सरकारी
संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस के वकील प्रशांत भूषण ने इस घटनाक्रम
पर अचरज व्यक्त किया है। टेलीफोन टैपिंग के
दौरान रिकार्ड की गयी वार्ता के अंश लीक होने के मामले में सरकार की जांच की दूसरी
रिपोर्ट सुनवाई के दौरान न्यायालय में पेश की गयी। इससे पहले, सरकार ने प्रगति
रिपोर्ट में दावा किया था कि इस लीक के लिए कोई भी सरकारी एजेन्सी जिम्मेदार नहीं
है और मीडिया द्वारा प्रसारित राडिया के टेप से छेड़छाड़ की गयी थी। इस रिपोर्ट में
कहा गया था कि टैपिंग के काम में सर्विस प्रदाताओं सहित आठ से दस एजेन्सियां शामिल
थी।
वित्त मंत्रालय को 16 नवंबर, 2007 को मिली शिकायत के
आलोक में आय कर विभाग के आदेश पर तीन चरणों में कुल 180 दिन नीरा राडिया की
टेलीफोन वार्ता रिकार्ड की गयी थी। वित्त मंत्रालय को मिली इस शिकायत में आरोप
लगाया गया था कि नीरा राडिया ने नौ साल के भीतर तीन सौ करोड़ का विशाल कारोबार खड़ा
कर दिया है। नीरा राडिया के रिकार्ड की गयी टेलीफोन वार्ता के अंश मीडिया में
प्रकाशित और प्रसारित होने के बाद रतन टाटा ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर
कर ये टेप लीक होने की जांच कराने का अनुरोध किया था। रतन टाटा का कहना था कि
सरकारी स्तर पर रिकार्ड की गयी टेलीफोन वार्ता के अंश लीक होने से उनके निजता के
अधिकार का हनन हुआ है।
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