सपा शासन में भी फल
फूल रहा है पोंटी चड्ढा का काला कारोबार
(आशीष वशिष्ठ / विस्फोट डॉट काम)
लखनऊ (साई)। यूपी
से बसपा की सरकार भले ही चली गई हो, लेकिन अभी भी शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा का
साम्राज्य बरकरार है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री एवं
विभागीय मंत्री अखिलेश यादव अब तक चार जिला आबकारी अधिकारियों को शराब की ओवर
रेटिंग के चलते निलंबित कर चुके हैं, बावजूद इसके प्रदेश में धड़ल्ले से प्रिंट
रेट से अधिक मूल्य पर शराब बेची जा रही है। इससे करीब 2000 करोड़ की अवैध
वसूली का काला कारोबार जारी है।
एमआरपी से अधिक और
अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए आबकारी विभाग द्वारा जारी किया गया
शासनादेश कागजों तक सीमित होकर रह गया है। ज्ञात हो कि शराब माफिया पोंटी चड्ढा के
ठिकानों पर आयकर विभाग के छापों के बाद प्रदेश सरकार ने 10 फरवरी, 2012 को एक शासनादेश
जारी कर प्रदेश के सभी जिला आबकारी अधिकारी, उप आबकारी आयुक्त (प्रभार) तथा संयुक्त
आबकारी आयुक्त (जोन) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि प्रदेश के किसी
भी जनपद में देसी/ विदेशी मदिरा तथा बीयर की एमआरपी से अधिक मूल्य पर थोक/ फुटकर
बिक्री (ओवर रेटिंग) कदापि न हो पाये।
इसके बाद लगभग डेढ़
माह तक प्रिंट रेट से शराब बिकी। जैसे ही सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में
पूर्ववर्ती सरकार की आबकारी व्यवस्था जारी रखने यानी थोक व फुटकर शराब व्यापार पर
पोंटी चड्ढा का कब्जा बने रहने की घोषणा की वैसे ही यह अंदेशा जाहिर किया जा रहा
था कि प्रदेश में ओवर रेटिंग पर शराब बिक्री पर लगाम लगा पाना आसान नहीं होगा। यह
आशंका सच साबित भी हो रही है।
सत्ता बदलने के बाद
भी पोंटी चड्ढा का काला कारोबार बदस्तूर जारी है। जब भी किसी थोक अथवा फुटकर
लाइसेंसी द्वारा ओवर रेटिंग की शिकायत प्राप्त हो तत्काल टीमें भेजकर उसकी सघन
जांच करायी जाए। यदि कोई ओवर रेटिंग करती हुआ पायी जाये तो संबंधित लाइसेंसी/
दुकानदार के विरुद्ध आबकारी अधिनियम की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत प्रभावी कठोर
विधि सम्मत कार्रवाई तत्काल सुनिश्चित की जाये। अवैध मद्य निष्कर्षण एवं अन्य
प्रांतों की मदिरा की तस्करी तथा अवैध मदिरा की बिक्री पर भी कड़ी नजर रखी जाए।
इसके लिए समुचित मुखबिरी विकसित की जाये और प्रवर्तन तथा एसएसएफ इकाइयों का सहयोग
प्राप्त करते हुए इनकी पकड़-धकड़ के बारे में प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित की जाये।
यही नहीं प्रत्येक जिले में रोज की गई कार्यवाही की रिपोर्ट आबकारी आयुक्त को भेजा
जाना सुनिश्चित किए जाने का भी निर्देश संबंधित जिला आबकारी अधिकारी को दिया गया
था।
शासनादेश में
चेतावनी भी दी गयी थी कि यदि उपरोक्त निर्देशों के अनुपालन में किसी प्रकार की कोई
शिथिलता पायी जाती है तो उसके लिए संबंधित आबकारी निरीक्षक तथा जिला आबकारी
अधिकारी व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे एवं उनके विरुद्ध तत्काल अनुशासनात्मक
कार्यवाही आरम्भ कर दी जाएगी। यदि इस प्रकार शिथिलता दोबारा पायी जाती है तो संबंधित
अधिकारी को निलम्बित करने पर भी विचार किया जायेगा।
इसके साथ ही
शासनादेश में कहा गया कि संबंधित उप आबकारी आयुक्त प्रभारी एवं संबंधित संयुक्त
आबकारी आयुक्त, जोन भी
किसी प्रकार की शिथिलता पाये जाने पर अपने पर्यवेक्षणीय दायित्वों में शिथिलता के
लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे। यदि किसी जनपद से रिपोर्ट किसी दिन नहीं
प्राप्त होती तो उसके लिए संबंधित जिला आबकारी अधिकारी तो उत्तरदायी होंगे ही
संबंधित प्रभार केउप आबकारी आयुक्त तथा जोन के संयुक्त आबकारी आयुक्त भी उतने ही
उत्तरदायी होंगे। पोंटी चड्ढा की हनक और विभागीय भ्रष्टाचार में सिक्के की खनक के
कारण यह शासनादेश व्यवहार रूप में रद्दी की टोकरी में चला गया है तथा ओवर रेटिंग
से लगभग 2000 करोड़
रुपये की अवैध वसूली जारी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें