मेरी खामोशी सबसे
बेहतर: मनमोहन सिंह
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
किसी ने सही कहा है कि खामोशी से बड़ा कोई अस्त्र नहीं है, और शायद, भारत गणराज्य के
वज़ीरे आज़म को यह बात भा गई है। यही कारण है कि घपले घोटालों और भ्रष्टाचार को
देखने के बाद भी मनमोहन सिंह सिंह ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी।
प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह ने कोयला ब्लॉक आवंटन पर विपक्ष के भारी हंगामे के बीच सोमवार को
प्रश्नकाल के बाद लोकसभा और फिर राज्य सभा में अपना बयान दिया। उन्होंने कोयला
आवंटन पर कैग के आकलन को विवादास्पद बताते हुए खारिज कर दिया। पीएम ने कहा कि उन
पर लगाए गए आरोप निराधार हैं।
सिंह ने संसद के
दोनों सदनों में कैग रिपोर्ट पर अपनी ओर से दिए बयान में कहा, ‘मैं माननीय सदस्यों
को आश्वस्त करना चाहता हूं कि रिपोर्ट में जिस अवधि का जिक्र है उस दौरान कुछ समय
के लिए कोयला मंत्रालय का प्रभारी मंत्री होने के नाते मैं मंत्रालय के निर्णयों
की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। मैं कहना चाहता हूं कि अनियमितताओं के जो भी आरोप
लगाए गए हैं वे तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और सरासर बेबुनियाद हैं।
दोपहर 12 बजे सदन की बैठक
फिर से शुरू होते ही बीजेपी सदस्यों ने आसन के पास आकर भारी हंगामा और नारेबाजी
शुरू कर दी। ये सदस्य बयान नहीं इस्तीफा चाहिए और प्रधानमंत्री इस्तीफा दो के नारे
लगा रहे थे। इसी हंगामे के बीच अध्यक्ष मीरा कुमार ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल
पर रखवाए और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में बयान देने के
लिए खड़े हुए।
विपक्ष के भारी
हंगामे के कारण उनकी बात नहीं सुनी जा सकी। प्रधानमंत्री ने बयान की कुछ पंक्तियां
पढ़ने के बाद उसे सदन के पटल पर रख दिया। विपक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा और राज्य
सभा की कार्यवाही पहले दोपहर 2 बजे और फिर मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी
गई। उधर, कैग
रिपोर्ट पर कांग्रेस ने शाम 6 बजे अपने सभी सांसदों की बैठक बुलाई है। कल
कांग्रेस संसदीय दल की बैठक भी होनी है।
प्रधानमंत्री ने
लोकसभा में बयान देने के ठीक बाद संसद भवन के बाहर मीडिया में भी बयान दिया।
प्रधानमंत्री ने उनकी श्खामोशीश् पर तंज कसने वालों को शायराना अंदाज में जवाब
देते हुए शेर पढ़ा,
श्हज़ारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने
सवालों की आबरू रखी।श् इसके बाद उन्होंने कैग के निष्कर्ष को खारिज करते हुए
विपक्ष से आह्वान किया कि वह संसद में बहस चलने दे, ताकि लोगों को इस
मामले पर जवाब मिल सके।
संसद न चलने देने
के मुद्दे पर बीजेपी अलग-थलग पड़ती जा रही है। अब तक हर मुद्दे पर बीजेपी के साथ
खड़ा रहने वाले अकाली दल ने कहा कि इस मामले में सदन के भीतर चर्चा की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि बीजेपी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग करते हुए
पिछले सप्ताह संसद नहीं चलने दी थी। वैसे, बीजेपी ने अपने इस रुख में अभी भी कोई बदलाव
नहीं किया है। बीजेपी के सूत्रों ने बताया कि पार्टी पीएम के इस्तीफे की मांग से
पीछे नहीं हटेगी।
संसद की कार्यवाही
न चलने देने को लेकर एनडीए में फूट पड़ गई है। अकाली दल के सुखदेव सिंह ढींढसा ने
कहा है कि सदन में इस पूरे मसले पर चर्चा की जानी चाहिए। ढींढसा के बयान के बाद
सुबह 10 बजे होने
जा रही एनडीए की बैठक टल गई, लेकिन लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में
बीजेपी के नेताओं की बैठक हुई। इसमें राजनाथ सिंह, मुरली मनोहर जोशी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज मौजूद
रहे। बीजेपी के लिए राहत की बात यह है कि प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग पर
शिवसेना उसके साथ है। अकाली दल की राय सार्वजनिक रूप से आने के बाद भी बीजेपी ने
साफ कर दिया है कि उसे प्रधानमंत्री के इस्तीफे से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
इससे पहले जेडीयू अध्यक्ष और एनडीए के संयोजक शरद यादव भी निजी तौर पर खुद को
चर्चा का पक्षधर बना चुके हैं, लेकिन मीडिया में मतभेद की बात सामने आने के बाद
उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि संसद की कार्यवाही के बहिष्कार को लेकर एनडीए
एकजुट है।
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