एफडीआई पर हारा
विपक्ष
(शरद)
नई दिल्ली (साई)।
संसद ने मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश--एफ डी आई के
विरोध में विपक्ष के प्रस्ताव नामंजूर कर दिए हैं। कल राज्यसभा में विपक्ष का
प्रस्ताव १४ मत से गिर जाने से, डॉ$ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यू$पी$ए सरकार की बड़ी जीत
हुई है। ऑल इंडिया अन्ना डी एम के पार्टी के वी मैत्रीयन के प्रस्ताव के विरोध में
१२३ मत और पक्ष में १०९ मत पड़े। लोकसभा इस मुद्दे पर प्रस्ताव पहले ही रद्द कर
चुकी है।
इसके साथ ही अब
खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर छाए संशय के बादल छंट गए। संसद सत्र
के शुरू से ही यह मुद्दा पूरे राजनीतिक गलियारे में छाया था और शायद यह पहला मौका
है जब किसी नीतिगत फैसले पर संसद में मतदान कराना पड़ा। सरकार ने दोनों ही सदन में
एफडीआई के खिलाफ लाये गये प्रस्ताव को गिराकर जीत दर्ज की।
लोकसभा की तरह
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी राज्यसभा में भी सरकार के पक्ष में खड़ी
दिखी। बसपा ने जहां सरकार के पक्ष में मतदान किया वहीं सपा ने सदन का बहिष्कार
किया। वाणिज्य मंत्री आनन्द शर्मा ने फिर दोहराया कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का
फैसला देश हित में लिया गया है।
इससे रोजगार होगा, गांव में होगा, शहरों में होगा अब
यह कहा कि साहब नहीं रोजगार जायेगा किसान को डरा लो ये बहुत शोर हो रहा है मैं उस
पर बाद में आऊंगा। डराया जा रहा है कि किराना खत्म हो जायेगा, छोटी दुकान बचेगी
नहीं। चीन का उदाहरण दिया, चीन में तो बढ़ गया आंकड़े हैं। वहीं बीजेपी नेता प्रकाश
जावडेकर ने एफडीआई पर सरकार की इस जीत पर प्रश्न खड़ा किया है।
उन्होंनें समाचार
एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि इस साल लोकसभा में मतदान के जो भी तीन अवसर आये हैं, उनमें सरकार ने एक
में भी २७२ का आंकड़ा प्राप्त नहीं किया है। इसलिए यह उनकी जीत नहीं है। यहां तक कि
आज यदि बसपा अपना मत प्रस्ताव के खिलाफ नहीं देती तो सरकार दो वोट से हार जाती।
इसलिए यह जोड़ तोड़ की जीत है। नैतिक रूप से जीत हमारी है। यूपीए सरकार की सदन में
यह जीत देश में आर्थिक सुधार की दिशा में एक बेहतर कदम के रूप में देखा जा रहा है।
इससे देश में रोजगार के नये अवसर खुलने के साथ-साथ लोगों के जीवन स्तर में सुधार
करने में भी मदद मिलेगी।
वहीं वित्तमंत्री
पी चिदम्बरम ने कहा है कि सरकार ने इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में बहुमत
साबित कर दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा में सरकार की जीत के बाद राज्यसभा में
मत विभाजन की आवश्यकता नहीं थी।, लेकिन विपक्ष को मतदान की मांग का अधिकार
है।संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर राजनीति
कर रही है। उन्होंने कहा कि हमने राज्यों को अधिकृत किया है उनके ऊपर है कि एफडीआई
अब करे या नहीं करें उसके बाद केवल राजनीति थी। ये राजनीति का विरोध करते हुए कुछ
दलों ने उनके खिलाफ वोट दिए हैं।
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