सोमवार, 10 दिसंबर 2012


एमपी में एफडीआई नहीं होगा लागू: चौहान

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुदरा और किराना में विदेशी निवेश (एफडीआई) को मध्यप्रदेश में नहीं लाने का ऐलान किया। चौहान ने कहा कि वे इसका प्राणपन से विरोध करंेगे। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए सिर्फ एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं है बल्कि उनकी अवधारणा राष्ट्र का भी मुद्दा है।
श्री चौहान यहां आजतक द्वारा आयोजित आज का एजेन्डा कार्यक्रम में एफडीआई का विरोध क्यों: विदेशी दुकान बदलेगा हिन्दुस्तान विषय पर परिचर्चा में बोल रहे थे। चौहान ने यह भी साफ किया कि वह एफडीआई के विरोध में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एफडीआई का अधोसंरचना विकास, सड़क निर्माण, एयरपोर्ट और विकास आदि कार्यों में स्वागत है लेकिन खुदरा और किराना व्यापार क्षेत्र में वह इसका पुरजोर विरोध करते हैं और इसको मध्यप्रदेश में किसी भी कीमत पर लागू नहीं करेंगे।
श्री चौहान ने खुदरा और किराना व्यापार में एफडीआई लाने पर राष्ट्रीय सहमति बनानी चाहिए और इसको विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के बीच विचार-विमर्श कर आम सहमति बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि किसानों की स्थिति सुधारना जरूरी है और इसके लिए अपनी कटिबद्धता जाहिर की। चौहान ने खुदरा व्यापार में (एफडीआई) लाने से किसानों को लाभ पहुंचाने की स्थिति को काल्पनिक बताया। चौहान ने इस मुद्दे पर वोट की राजनीति न करने की बात कही और सभी वर्गों के हित कस कैसे ध्यान रखा जाय पर जोर दिया।
श्री चौहान ने बताया कि कृषि के बाद खुदरा व्यापार देश में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। देश के सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 11 प्रतिशत है। लगभग 96 प्रतिशत खुदरा व्यापार असंगठित क्षेत्र में है। इसमें ठेले वाले, फेरी वाले, बस्ती मंे दुकान चलाने वाले, फुटपाथिये आदि अपना जीवन यापन करते हैं। उन्होंने कहा कि केवल मध्यप्रदेश में ही लगभग एक करोड़ लोग इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। लगभग चार करोड़ खुदरा दुकानें हैं। इनसे जुड़े दुकानदार इसी के माध्यम से अपना जीवन यापन करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब किसी को कोई रोजगार नहीं मिलता तो वह परचून की दुकान खोलकर बैठ जाता है और दो-चार पैसे कमा लेता है।
श्री चौहान ने इस बात पर भी आशंका जतायी कि खुदरा क्षेत्र में (एफडीआई) आने के बाद लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि चीन, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, सिंगापुर, ताइवान, थाईलैंड के उदाहरण हैं जहां किराना में (एफडीआई) आने से बेरोजगारी बढ़ी है। पारम्परिक किराना दुकानें बंद हो गयी हैं। उन्होंने इस बात पर भी आशंका जतायी कि (एफडीआई) लाने से बिचौलियों को दूर कर देगी और किसानांे को सीधे फायदा देगी। उन्होंने बिचौलिया कहे जाने वाले लोगों का पक्ष लेते हुए कहा कि वह भी एक भारतीय नागरिक हैं और उनका उत्पादकों के साथ सीधा और सहज सम्बन्ध है।
श्री चौहान ने बताया कि मध्यप्रदेश में खुदरा व्यापार को आज भी व्यापार नहीं माना जाता। यह दो पक्षों के बीच सम्बन्धों का एक ताना-बाना है। व्यापारी खरीददार को जानता है और उसकी आवश्यकताओं से परिचित होता है। उसकी आर्थिक स्थिति जानता है और दूसरी ओर खरीददार को भी व्यापारी की जानकारी होती है। दोनों में आपस में यह एक विश्वास का रिश्ता होता है। उन्होंने इसकी की भी आशंका जाहिर की कि एफडीआई आने से उत्पाद सस्ता होगा, साथ ही स्थानीय मेन्युफेक्चरिंग उद्योग भी खत्म हो जायेगा। 

कोई टिप्पणी नहीं: