गुरुवार, 24 जनवरी 2013

आखिर क्यों नाराज हैं शिवराज से अफसरान!


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------42

आखिर क्यों नाराज हैं शिवराज से अफसरान!

(आकाश कुमार)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश सरकार को अपनी जनकल्याणकारी अभिनव योजनाओं को प्रदर्शित करने और उनका पालीटिकल माईलेज वह भी चुनावी साल में लेने का अंतिम मौका मिला पर सरकार इसमें चूक गई। आखिर क्या वजह है कि शिवराज सिंह चौहान की सरकार में उसके अफसर ही शिवराज से किनारा करते नजर आ रहे हैं? आखिर शिवराज सिंह चौहान को उनकी मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन और लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाओं का राजनैतिक लाभ लेने से वंचित रखा जा रहा है, गणतंत्र दिवस पर राजपथ में प्रदेश की झांकी लगातार दूसरी साल प्रदर्शित ना किया जाकर!
जैसे ही लगातार दूसरी बार दिल्ली के राजपथ पर मध्य प्रदेश की झांकी प्रदर्शित ना किए जाने की खबर आम हुई मध्य प्रदेश के आला अफसरान के कान खड़े हो गए हैं। पिछले साल गणतंत्र 2012 की झांकी के लिए तीन लचर प्रस्ताव केंद्र को प्राप्त हुए थे जो कि अस्वीकार कर दिए गए। इसके उपरांत वर्ष 2013 के गणतंत्र के लिए तो मध्य प्रदेश की ओर से प्रस्ताव ही नहीं भेजा जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।
मध्य प्रदेश से जुड़े दिल्ली में पदस्थ एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि दरअसल, प्रभात झा के भाजपाध्यक्ष रहते हुए मध्य प्रदेश में अफसरों ने भी राजनैतिक सरपरस्ती ढूंढ ली थी। यही कारण है कि अब भारतीय जनता पार्टी ही नहीं, वरन् मध्य प्रदेश में अफसरशाही भी सियासी झंडों के गुटों तले दबी सांसे ले रही है।
उक्त अधिकारी ने साई न्यूज से चर्चा के दौरान कहा कि जब शिवराज सिंह चौहान पर संकट के बादल छाए थे और कैलाश विजयवर्गीय का नाम सीएम के लिए उछला था, तभी विजयवर्गीय ने इंदौर में पदस्थ सुरेश तिवारी को मध्य प्रदेश सूचना केंद्र दिल्ली का प्रभारी बनवा दिया था। माना जाता है कि दिल्ली के मीडिया को अगर मैनेज कर लिया जाए तो बाकी को साधना आसान ही होता है। इसके बाद जब विजयवर्गीय कमजोर हुए तब सुरेश तिवारी के स्थान पर सुरेंद्र द्विवेदी को दिल्ली पदस्थ कर दिया गया था।
उक्त अधिकारी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को यह भी बताया कि सुरेश तिवारी वर्तमान में जनसंपर्क संचालनालय में क्षेत्रीय प्रचार की कमान संभाले हैं। अब समीकरणों के हिसाब से यह कहा जा सकता है कि कैलाश विजयवर्गीय के इशारे पर ही इस लगातार दूसरे साल गणतंत्र दिवस पर मध्य प्रदेश की झांकी प्रदर्शित नहीं की जा रही है। इसे शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ एक षणयंत्र भी कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगा।
देखा जाए तो चुनावी साल में देश की राजधानी में मध्य प्रदेश की झांकी ना होना आश्चर्य का ही विषय है। ज्ञातव्य है कि देश के हृदय प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान ने महिला सशक्तिकरण के लिए बेटी बचाओ अभियान का आगाज किया। इसके उपरांत 2007 में लाडली लक्ष्मी योजना का श्रीगणेश किया जिसमें लगभग साढ़े तेरह लाख बच्चियां अब तक लाडली लक्ष्मी बन चुकी हैं। महिलाओं पर आधारित तेजस्वनी योजना के तहत स्वसहायता समूहों का गठन भी किया गया है।
शिवराज सिंह चौहान के खाते की सबसे सुपर डुपर हिट योजना है मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना। इस योजना पर आधारित झांकी अगर इस साल गणतंत्र दिवस पर राजपथ से गुजरती तो निश्चित तौर पर मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों में भाजपा को जमकर लाभ होता। इस योजना में उत्तराखण्ड, उड़ीसा, गुजरात, जम्मू काश्मीर, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडू, झारखण्ड, कर्नाटक और महाराष्ट्र का चयन किया गया है।
अब मध्य प्रदेश के आला अधिकारी एक दूसरे से यह कहकर खाल बचाते नजर आ रहे हैं कि जरूरी नहीं कि हर साल हर प्रदेश की झांकी को राजपथ पर स्थान मिले, पर उन आला अधिकारियों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि आखिर क्या वजह है कि इस साल चुनावी साल होने के बाद भी झांकी के लिए प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजे गए। प्रस्ताव अगर भेजे जाते और वे निरस्त होते तो अलग बात थी पर प्रस्ताव ही नहीं भेजना षणयंत्र का ताना बाना का आभास करने के लिए पर्याप्त कहा जा सकता है।

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