शनिवार, 9 मार्च 2013

महिलाओं के आगे बढ़ने से परिवार व देश आगे बढ़ता है-धनंजय सिंह


महिलाओं के आगे बढ़ने से परिवार व देश आगे बढ़ता है-धनंजय सिंह

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। भारतीय जनता पार्टीसहकारिता प्रकोष्घ्ठ  के राष्घ्ट्रीय संयोजक धनंजय सिंह  ने आज अंर्तराष्घ्ट्रीय  महिला दिवस पर कहा कि बदलते परिवेश में महिलाओं को  और अधिक सशक्त बनाने की आवश्घ्यकता  है, ताकि वे सहकारिता विकास में अपना योगदान दे सकें। अपने वक्घ्तव्घ्य में सिंह ने आगे कहा कि सहकारिता  को अपना कर महिलाएं स्वावलंबी बन सकती हैं। उन्घ्होने सहकारिता विकास के लिए महिलाओं की विशेष भूमिका पर जोर दिया।
 राष्घ्ट्रीय संयोजक धनंजय सिंह  ने  सहकारिता में महिलाओं के योगदान की अप्रतीम सराहना करते हुये आगे कहा कि आईसीए की ‘‘ग्घ्लोबल-300’’ रिपोर्ट के आधार पर विश्घ्व में सहकारी क्षेत्र के परिदृश्घ्य पर गौर करें तो हम पाते हैं कि दुघ्निया में 300 सबसे बड़ी सहकारिताओं का कारोबार एक खरब 60 अरब डालर तक पहुंच गया है जो कई बड़े देशों के सकल घरेलू उत्घ्पाद (जीडीपी) के बराबर है। रूस, ब्राजील, भारत और अफ्रीका की केवल चार प्रतिशत जनता ही निजी क्षेत्र की विभिन्घ्न कंपनियों की शेयर धारक है जबकि उनकी 15 प्रतिघ्शत जनता सहकारी संस्घ्थाओं की सदस्घ्य है। केन्घ्या के जीडीपी में उसकी सहकारी संस्घ्थाओं का योगदान 45 प्रतिशत में न्घ्यूजीलैंड के जीडीपी में 22 प्रतिशत है।
वहीं भारत की स्थिति का प्रश्घ्न है तो अपनी छह लाख सहकारी समितियों के 25 करोड़ सदस्घ्यों के साथ भारत विश्घ्व में सहकारी आंदोलन का सिघ्रमौर बन चुका है। अपनी कृषिघ् आधारिघ्त ग्रामीण अर्थव्घ्यवस्घ्था की तो यह रीढ़ की हड्डी माना जाता है, जिसमें महिलाओं की विशेष भूमिका है।
दक्षिघ्ण भारत में मत्घ्स्घ्य क्षेत्र की सहकारिघ्ताओं के सदस्घ्यों में 19 प्रतशित महिघ्लाएं हैं। मत्घ्स्घ्य सहकारिघ्ताएं अपनी शीर्ष संस्घ्था फिघ्शकोफैडसे जुड़ी हुई हैं। वह उन्घ्हें ऋण, नई प्रौद्योगिघ्की, मछली प्रसंस्घ्करण और व्घ्यापार संबंधी अनेक सुविघ्धाएं उपलब्घ्ध कराती है। इसके साथ-साथ, ये शिघ्क्षा-प्रशिघ्क्षण से जुड़े कार्यक्रम और अनुसंधान परिघ्योजनाएं संचालिघ्त करती है।
देशभर में श्रमिघ्कों को ठेकेदारों के शोषण से बचाने के लिघ्ए ठेका, श्रमिघ्कों और विघ्निर्माण क्षेत्र के श्रमिकों की 39 हजार से अधिक सहकारी समितियां कार्यरत हैं। उनके जिला स्घ्तरीय 215 संघ, राज्घ्य स्घ्तरीय 18 महासंघ और एक राष्घ्ट्रीय स्घ्तर का परिघ्संघ हैं। वन क्षेत्रों में वनोपज के संकलन, प्रसंस्घ्करण, भंडारण और विघ्पणन के क्षेत्र में वन श्रमिघ्कों की 2700 से अधिघ्क सहकारी समितियां कार्य कर रही हैं। आदिघ्वासी क्षेत्रों में आदिघ्वासी भी अनेक परम्घ्परागत वस्घ्तुएं बनाते हैं। उनके कल्घ्याण और विघ्कास में आदिघ्वासी सहकारी विघ्पणन विघ्कास परिघ्संघ अहम भूमिघ्का महिलाएं ही निघ्भा रही  हैं।
श्री सिंह ने महिला सशक्घ्तीकरण की भूरि-भूरि प्रशंशा करते हुये आगे कहा कि सहकारी क्षेत्र ने पिघ्छले दो-तीन दशकों में महिघ्ला सशक्घ्तीकरणकी धारणा, लक्ष्घ्य और आवश्घ्यकता को पूरा करने में भी सराहनीय भूमिघ्का निघ्भाई है। इसकी देशभर में फैली छह लाख समिघ्तिघ्यों के सदस्घ्यों में बड़ी संख्घ्या में महिघ्लाएं शामिघ्ल हैं। और, जब महिघ्लाएं आगे बढ़ती हैं, परिघ्वार आगे बढ़ता है, गांव आगे बढ़ता है और इस तरह देश आगे बढ़ता है।
भाजपा नेता धनंजय सिंह ने आगे कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार ने स्घ्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को भी  सहकारी संस्घ्थाएं मानते हुए कानूनी प्रावधान करके उनके सहकारी संस्घ्थाओं के रूप में पंजीयन की अनुमति घ्दे दी है। देशभर में लगभग 48 लाख स्घ्वयं सहायता समूह कार्यरत हैं। वर्ष 2010-11 में बैंकों ने उन्घ्हें 312 अरब रुपये से अधिघ्क का ऋण प्रदान किघ्या था। इन समूहों के सदस्घ्यों में ज्घ्यादातर महिघ्लाएं हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि महिला सशक्घ्तीकरण का कारवां आगे ही बढ़ता जा रहा है, जो अब कभी नही रूकने वाला है।
 श्री धनंजय सिंह ने महिला सशक्तिकरण के बारे में बताया कि  भारत की कुल आबादी का 50ः महिलाएं हैं। लेकिन उनके आर्थिक, सामाजिक परिस्थिति आज भी दयनीय है। सहकारी समितियों स्वयं सहायता समूहों के गठन करते समय उसमें महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने और महिला प्रतिनिधियों को आह्वाहन करना चाहिये जो अपने-अपने प्रदेशों में महिलाओं को सहकारी क्षेत्र में जोड़ने और स्वयं सहायता समूह गठन करने के लिए प्रेरित करें।
भाजपा सहकारिता प्रकोष्घ्ठ के संयोजक धनंजय जी ने लिज्घ्जत पापड़ में महिलाओं तारीफ करते हुये कहा कि  50 साल पहले 1959 में मुंबई में सात निरक्षर गुजराती महिलाओं नें वो काम कर दिखाया जिससे पूरा भारत ही नही बल्कि विश्घ्व हतप्रभ है। उधार लेकर 80 रुपये  से  शुरू किया गया सहकारी उद्योग  लिज्जत पापड़ जिसने धीरे-धीरे हर घर को अपना दीवाना बना लिया। भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक. पापड़ मतलब लिज्जत....हो गया।

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