गणेश सिंह ने उड़ा दिए बंसल के धुर्रे
(लिमटी खरे)
सत्रह साल बाद कांग्रेस के रेल मंत्री पवन
बंसल ने केंद्र में रेल बजट पेश किया। रेल बजट में पवन बंसल ने भले ही अपनी पीठ
थपथपाने के साथ कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी
को खुश करने का प्रयास किया हो किन्तु मध्य प्रदेश के सतना संसदीय क्षेत्र के
सांसद गणेश सिंह ने दमदार विपक्ष की भूमिका अदा करते हुए रेल मंत्री को रेल बजट पर
चर्चा के दौरान बगलें झांकने पर मजबूर कर दिया। मध्य प्रदेश का पक्ष जिस वजनदारी
से लोकसभा में गणेश सिंह ने रखा उसे देखकर लगने लगा है कि मध्य प्रदेश की ओर से
प्रतिनिधित्व करने वाला कोई सशक्त नेतृत्व अभी मौजूद है। मध्य प्रदेश की रेल बजट
में घोर उपेक्षा को भी गणेश सिंह ने बहुत ही करीने से रेखांकित किया है।
गणेश सिंह ने कहा कि रेल मंत्री ने पहली
बार अपने बजट भाषण में चुनौतियों का जिकर अवश्य किया है पर रेल बजट को अगर गहराई
से पढ़ा जाए तो भाषण में कही गई बातें महज कोरा आश्वासन ही साबित हुआ है। यह सच है
कि देश में अभी 64 हजार 600 किलोमीटर की पटरियों का जाल बिछा हुआ है जिसमें लगभग
12 हजार 335 से अधिक गाडियां संचालित हो रही हैं। रेल्वे के ढांचे में आठ हजार से
ज्यादा स्टेशन और दो करोड़ से ज्यादा सवारियों का समावेश है।
गणेश सिंह का तर्क बिल्कुल सही माना जाएगा
कि उन्होंने कहा कि देश के रेल मंत्री गर्व के साथ कहते हैं कि अब भारत का रेल
नेटवर्क उस मिलिनियम क्लब में शामिल हो चुका है जिसके सदस्य चीन और अमरीका हैं। पर
जमीनी हकीकत में आज भारत का रेल तंत्र चीन और अमरीका से बहुत ही पीछे है। आजाद
भारत में रेल्वे के नेटवर्क का कितना विस्तार हुआ इस बारे में भी चर्चा करते हुए
गणेश सिंह ने कहा कि 1947 में आजादी के समय भारतीय रेल का नेटवर्क 53 हजार 396
किलोमीटर का था आज 64,600 अर्थात साढ़े छः दशकों में केंद्र की सरकार ने महज नौ
हजार किलोमीटर रेल की पांते बिछा पाए?
कितना हास्यास्पद है कि रेल की
अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है माल ढुलाई को। चीन में माल ढुलाई की गति यानी
मालगाड़ी की गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा है और भारत गणराज्य में यह माल ढुलाई महज
26 किलोमीटर प्रति घंटा पर आकर रूक जाती है। यही आलम यात्री सवारी गाड़ियों का है
चीन में सवारी गाड़ी की गति तीन सौ किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंची है तो भारत में
अस्सी नब्बे किलोमीटर प्रति घंटे में ही रेल की सांसे फूलने लगती हैे। राजधानी और
शताब्दी का भी यही आलम है। दिल्ली भोपाल रेल खण्ड में कुछ किलोमीटर पर अवश्य
रेल्वे 150 किलोमीटर प्रति घंटे का दावा करता है पर बाकी जगह के हाल क्या हैं इस
बात से रेल महकमा बेहतर वाकिफ है। इन परिस्थितियों में क्या रेल मंत्री पवन बंसल
को अपनी पीठ थपथपा कर चीन और अमरीका से भारतीय रेल की तुलना कर देश को भ्रमित करना
उचित है!
रेल किराए को बढ़ाने में पवन बंसल ने जो
बाजीगरी दिखाई है उस भ्रम जाल को भी गणेश ंिसह ने बखूबी तोड़ने का प्रयास किया है।
उनका कहना है कि 20 जनवरी को बजट के पहले ही रेल किराया पिछले दरवाजे से बढ़ा दिया
गया। फिर बजट में अलग से आम आदमी पर गाज गिराई गई है। बजट में तत्काल, आरक्षण निरस्तीकरण आदि में एक बार फिर
पैसे बढ़ाकर जनता की जेब ही काट दी गई। इतना ही नहीं डीजल के मंहगे होने का रोना
रोकर अलग से फयूल चार्ज लगा दिया गया है। आंकड़ों की बाजीगरी तो देखिए इस चार्ज के
नाम पर रेल्वे ने 4200 करोड़ रूपए वसूल किए हैं। जबकि रेल्वे का खर्च इस मद में 840
करोड़ रूपए ही बताया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में जहां पांच हजार किलोमीटर
की रेल पांतों पर रेलगाड़ी दौड़ती है उसे पूरी तरह से उपेक्षित ही रखा गया है। इस
बात को पुरजोर तरीके से उठाते हुए देश के हृदय प्रदेश के सतना संसदीय क्षेत्र के
सांसद गणेश सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के साथ रेल मंत्री पवन बंसल ने पूरी तरह
पक्षपात किया है। मध्य प्रदेश के खाते में इस रेल बजट में कुछ भी नहीं आया है। 66
नई रेल गाड़ियों में से महज दो ही एमपी के खाते में आई हैं। उनका यह कथन सौ फीसदी
सही है कि मध्य प्रदेश देश का हृदय प्रदेश है अगर इसे समृद्ध नहीं किया जाएगा तो
पूरब को पश्चिम और उत्तर को दक्षिण से जोड़ना असंभव काम होगा।
भारतीय रेल द्वारा नई रेल लाईनों की मद
में 250 रेल लाईनों को बंद करने का प्रस्ताव दिया जाता है और प्रधानमंत्री
डॉ.मनमोहन सिंह द्वारा रेल में मितव्ययता बरतने और रेल्वे को उंचाईयों पर पहुंचाने
के लिए रेल मंत्री पवन बंसल की पीठ ठोकी जाती है। कांग्रेस में भविष्य के नेता
राहुल गांधी द्वारा अनेक बार बुंदेल खण्ड को पिछड़ा निरूपित किया गया था। बुंदेल
खण्ड में 1997 - 98 के रेल बजट में ललितपुर से सिंगरोली रेल खण्ड की प्रस्तावना की
गई थी, यह आज भी अधूरी ही पड़ी है। पन्ना को सतना
से जोड़ने के लिए एक विधायक के आंदोलन में उन्हें व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।
खजुराहो में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मंदिर हैं।
मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान
के संसदीय क्षेत्र रहे विदिशा जहां से अब सुषमा स्वराज सांसद हैं में सांची में एक
रेल कारखाना खोलने की बात रेल मंत्री ने कही थी, जो हवा हवाई ही साबित हुई है। इतना ही
नहीं भोपाल में आयुर्विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना भी रेल मंत्रालय को करना था
जो अब तक नहीं हो पाया है। इस बार भोपाल के पास मिसरोद में जरूर एक करखाने की
प्रस्तावना की गई है पर पता नहीं वह भी खुल पाता है या नहीं।
रेल मंत्री पवन कुमार बंसल और उनके कारिंदों
ने इस बार रेल यात्रियों की कमर तोड़ने का ही फैसला किया है। इस साल के रेल बजट में
इंदौर से रीवा के लिए एक रेल सप्ताह में तीन दिन दी गई है जो 3 मार्च से आरंभ हो
गई है। मजे की बात यह है कि इसका रनिंग टाईम 18 घंटे का है और इसमें चेयर कार है।
क्या यह संभव है कि रेल में बैठे बैठे कोई अठ्ठारह घंटे सफर कर पाएगा, इसमें एक भी स्लीपर का प्रावधान ना किया
जाना आश्चर्यजनक है।
रेल्वे के खान पान, साफ सफाई और अन्य सुविधाओं के मामले में
अमूमन हवा में उड़ने वाले या एसी फर्स्ट क्लास में सफर करने वाले सांसदों को पता
नहीं होता है पर 08 मार्च को सदन में रेल बजट पर चर्चा के दौरान सतना के सांसद
गणेश सिंह ने आम आदमी के स्लीपर और जनरल क्लास में सड़ांध मारते शौचालय और पानी के
ना होने के वाक्ये गिनाए तो लगा मानो आम आदमी का प्रतिनिधि बोल रहा हो। (साई
फीचर्स)
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