‘योग‘ भारत की महान विरासत है-राज्यपाल
(अर्जुन कुमार)
देहरादून (साई)। उत्तराखण्ड के राज्यपाल
डा0 अजीज कुरैशी का कहना है ‘‘योग‘ भारत की महान विरासत है जिसे आज पूरा
विश्व मानता है। साइंस एवं तकनीकी के
विकास ने देशों को उन्नति में बहुत बडी भूमिका
निभाई है किन्तु मानवीय संवेदनाओं को भी नष्ट किया है। योग इन्हीं नष्ट
मानवीय संवेदनाओं को जीवित करने का कार्य करता है।
योग में मनुष्य की शारीरिक क्षमताओं में
वृद्धि करने के साथ-साथ उसकी आन्तरिक क्षमताओं तथा मनोबल के उन्नययन की अद्भुत
शक्ति निहित है।‘‘
राज्यपाल कल सायं ऋषिकेश में, अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के समापन
समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। गढ़वाल मण्डल विकास निगम एवं
पर्यटन विभाग द्वारा मुनि की रेती स्थित गंगा रिजार्ट तथा स्वामी चिदानंद सरस्वती
द्वारा परमार्थ निकेतन में 01 मार्च से 07 मार्च तक आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग
महोत्सव का समापन राज्यपाल द्वारा किया गया।
राज्यपाल ने योग शिक्षा को विश्व स्तर पर
और अधिक विस्तार किए जाने की अवश्यकता पर बल देते हुए योग को स्कूली शिक्षा के
पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने की अनुशंसा की।
एक सप्ताह के योग शिविर में 50 से अधिक
देशों के सैकड़ो प्रतिनिधियों के शामिल होने को राज्यपाल ने उत्तराखण्ड के लिए शुभ
संकेत बताया और कहा कि विश्वभर में बढ़ रही योग की लोकप्रियता उत्तराखण्ड को विश्व
का सरताज बना सकती है।
राज्यपाल ने इस अन्तर्राष्ट्रीय योग
महोत्सव के आयोजन को विश्व समागम तथा विश्व बंन्धुत्व की भावना के विस्तार के लिए
अच्छा अवसर बताया।
गंगा रिजॉर्ट में आयोजित समारोह में
उपस्थित सांसद सतपाल महाराज ने कहा कि योग ने पूरे विश्व में भारत को एक विशिष्ट
पहचान दिलाई है इसे और विस्तार दिए जाने की जरूरत है। उन्होनें कहा योग कोई धर्म
नही बल्कि एक विज्ञान है।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी
चिदानन्द मुनि ने कहा कि 23 वर्षो से निरन्तर आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय योग
महोत्सव को उत्तराखण्ड में विकसित हो रहे उद्योग की तरह ही विकसित किए जाने की
जरूरत है।
राज्यपाल परमार्थ निकेतन में आयोजित समापन
समारोह में उपस्थित विभिन्न देशों से आये योग-धर्मियों तथा विभिन्न धर्मों के
विशिष्ट प्रतिनिधियों के साथ ‘‘गंगा आरती‘‘
में
सम्मिलित हुए। कार्यक्रम में उत्तराखण्ड सरकार के वरिष्ठ मंत्री डॉ0 इंदिरा हृदयेश
भी मौजूद थी।
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