विवादों पर विराम
लगाती विकास की सड़क
(अभय द्विवेदी)
खण्डवा (साई)। जिला
मुख्यालय से 15 कि.मी.
दूर बसी है छैगांवमाखन जनपद की ग्राम पंचायत सुरगांवजोशी। इस ग्राम पंचायत की
विडंबना थी कि यहाँ लोगों के पास पर्याप्त पैसा होने पर भी पंचायत में विकास की
धुरी ठहरी हुयी थी। कारण था लोगो में आपसी मनमुटाव होना। ग्राम पंचायत में विकास
कम, विवाद
ज्यादा थे। गांव में पक्की बिल्डिंगें तो बनी थी परंतु गाँव की गलियाँ कच्ची व
कीचड़ से सराबोर थी। पंचों के आपस में विवाद होने के कारण पंचायत की बैठकें भी बहुत
ही कम हो पाती थी। इस पंचायत में ग्रामीणों द्वारा आपसी रंजिश के चलते 13 स्थानों पर
शिकायतें दर्ज करवा रखी थी। जिस समय पंचायत में विकास गर्त में जाने लगा था, उसी समय प्रदेश
शासन की महत्वाकांक्षी योजना पंच-परमेश्वर प्रारंभ हुयी एवं अन्य पंचायतों की
भंाति ही सुरगांवजोशी पंचायत में भी पंच-परमेश्वर अंतर्गत सीमेंट कांक्रीट मार्ग
के निर्माण की स्वीकृतियाँ जारी की गई। सुरगांवजोशी के लोगों के लिये यह पहला अवसर
था, जब उनके
गाँव में पक्की सड़क बन रही थी। लोगों में आपसी समन्वय न होने के कारण गाँव की लगभग
25 गलियाँ
गंदगी का घर बनकर बीमारियों को पनाह दे रही थी। पंच-परमेश्वर योजना अंतर्गत आस-पास
की ग्राम पंचायतों में बने पक्के मार्गों को देखकर सुरगांवजोशी के लोगांे ने भी इस
योजना से अपने गाँव की गंदगी को दूर कर विकास के मार्ग का निर्माण करने की मन में
ठान ली थी।
पंच-परमेश्वर योजना
और मनरेगा योजना के समन्वय द्वारा सुरगांवजोशी में 4 लाख 2 हजार रूपये की
लागत से मार्ग का निर्माण किया जाना तय हुआ और पहले मार्ग निर्माण के लिए जगदीश
चम्पालाल से नथ्थू की दुकान की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई। यह गाँव की वह गली
थी जो ढलान में बनी थी ओर गाँव के घरों से निकलने वाला अधिकांश निस्तारी पानी इसी
गली में से बहता था। यह गली एक गटर का रूप ले चुकी थी। नथ्थू पिता श्यामलाला बताते
है कि इस गली की गंदगी के चलते उनकी किराना दुकान पर व्यवसाय बहुत कम हो पाता था।
अब पक्की सड़क बन जाने से ग्राहकी में दोगुनी वृद्धि हो गयी है। मनरेगा के समन्वय
से बने पंच-परमेश्वर योजना के एक मार्ग से सुरगांवजोशी के लगभग 100 परिवारों को नरकीय
जीवन से मुक्ति मिल गयी है।
सुरगांवजोशी में
बने पंच-परमेश्वर के पक्के मार्ग ने वहाँ के निवासियों के विचारो में भी परिवर्तन
कर दिया है। गाँव के सरपंच चंद्रशेखर पटेल बताते है कि गाँव के लोग इस विकास कार्य
से इतना प्रभावित हुए है कि सभी लोगांे द्वारा अपनी शिकायतें वापिस ले ली गई हैं
और अब सभी लोग गाँव में विवाद की जगह विकास चाहते हैं। लोगों का तो यहाँ तक कहना
है कि यदी पंच-परमेश्वर से बने मार्ग जैसा मार्ग गाँव में कभी पहले बन जाता तो
शायद गाँव के लोग आपसी रंजिश को भुलाकर विकास के नवीन सोपानों की ओर बढ़ गये होते।
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