शनिवार, 13 अप्रैल 2013

मनीष तिवारी की राह में शूल बोता डीडी


मनीष तिवारी की राह में शूल बोता डीडी

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। सरकारी मीडिया दूरदर्शन द्वारा सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी और कांग्रेस की फजीहत करना आरंभ कर दिया है। डीडी पर मुसलमानों के लिए प्रसारित होने वाले प्रोग्राम में सुअर के मांस से सूप बनाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। इस मामले में अल्पसंख्यक अब कांग्रेस को गरियाते नजर आ रहे हैं।
दूरदर्शन के उर्दू चौनल पर प्रसारित होने वाले एक प्रोग्राम से विवाद खड़ा हो गया है। डीडी उर्दू पर एक कूकिंग शो प्रोग्राम श्टेस्ट की बात हैश् नाम से प्रसारित होता है। 9 अप्रैल को इस प्रोग्राम का एक एपिसोड सूअर की रेसिपी पर फोकस था। इसमें खास करके सूअर के सूप बनाने और उसके टेस्ट को लेकर नुस्खे बाताए जा रहे थे। लेकिन, इस प्रोग्राम में खास करके सूअर की रेसिपी को शामिल करने की बात मुस्लिम दर्शकों के गले नहीं उतर रही है।
अब इस प्रोग्राम की मुस्लिम समुदाय के कई सेक्शन की तरफ तीखी आलोचना हो रही है। इस समुदाय के नेता और विद्वान प्रोगाम को प्रसारित करने के फैसले से हैरान हैं। इनका कहना है कि यह पूरी तरह से साफ है कि उर्दू चौनल देखने वालों में सबसे ज्यादा मुस्लिम दर्शक हैं, लेकिन चौनल ने इस एपिसोड को प्रसारित कर अपनी असंवेदनशीलता का ही परिचय दिया है। क्या इन्हें पता नहीं है कि इस्लाम में सूअर हराम है।
जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में इस्लामिक स्टडिज के प्रफेसर अख्तरुल वासे ने कहा कि उर्दू चौनल सिर्फ मुस्लिम खान-पान पर ही बात नहीं करता है। इसके बावजूद वैसे प्रोग्राम को प्रसारित करने से पहले सतर्क रहना चाहिए जिससे मजहबी सेंटिमेंट आहत होता है। इससे बचा जा सकता था।
इस विवाद पर डीडी उर्दू के प्रोग्रामिंग एग्जेक्युटिव एम. सेनगुप्ता ने कहा कि कूकिंग सीरीज श्टेस्ट की बात हैश्अलग-अलग पाक शैली, लाइफ स्टाइल पर एपिसोड प्रसारित करता है। इसमें कोइ खास समुदाय पर फोकस नहीं किया जाता है, लेकिन हम इस खास एपिसोड की तहकीकात करेंगे कि इसे क्यों प्रसारित किया गया।
इस्लामिक विद्वानों का कहना है कि मीडिया में छपने वाले आर्टिकल या प्रसारित होने वाले प्रोग्रामों को मजहबी प्रिज्म में नहीं देखा जा सकता है, लेकिन मीडिया को ऐसे मसले पर खुद ही संवेदनशील होकर सोचना चाहिए कि मजहबी सद्भावना को कैसे कायम रखा जाए। इस्लामिक स्कॉलर जीन्नत शौकत अली ने कहा कि हम लोगों के टेस्ट पर प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं। हालांकि, यह बात सच है कि डीडी उर्दू के ज्यादातर दर्शक मुस्लिम हैं। पवित्र कुरान में सूअर का मांस हराम है। ऐसे में कोई मुस्लिम इस प्रोग्राम को सराह नहीं सकता है।
कुछ लोगों ने इस एपिसोड को बिना छानबीन और सोचे समझे प्रसारित करने पर हैरानी जतायी है। उर्दू कॉलमिस्ट फिरोज बख्त अहमद ने कहा कि डीडी उर्दू एक खास समुदाय में बेहद लोकप्रिय है। मैं तो चकित हूं कि किसी ने सोचा तक नहीं कि इस एपिसोड से एक समुदाय की भावनाएं आहत होंगी।

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