कैसा होगा नव
सम्वत्सर
(पंडित दयानंद शास्त्री)
नई दिल्ली (साई)।
सन् 2013 का
राजनीतिक, सामाजिक
एवं आर्थिक योग - ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार विक्रम सम्वत् 2070 का प्रारम्भ सन् 2013 में 11 अप्रेल 2013 से चौत्र मास की
शुक्ल पक्ष से प्रारम्भ हो रहा है। उस दिन तिथि प्रतिपदा पड रही है। इस वर्ष की
बात करे तो इस वर्ष पराभव नामक सम्वत्सर है तथा इस वर्ष के राजा गुरू है और मंत्री
का कार्यभार शनिग्रह को दिया गया है। जो पृथ्वी पर जन आक्रोश तथा विद्वानों के
चिन्ता का कारण बनेगा। सन् 2013 में देश विदेश में कोई वडी जन संहारक
प्राकृतिक आपदा भारत व विश्व के किसी भी भाग में होने की सम्मभावना बनती है।
पण्डित दयानंद
शास्त्री के अनुसार पराभव नामक संवत्सर में अन्यायियों के लिए कोई स्थान नहीं
होगा। अन्याय के प्रति विश्व में जनाक्रोश बढ़ेगा, जबकि धन-धान्य की
बढ़ोत्तरी होगी। मंत्री शनि के कारण वातावरण में झंझावत एवं सत्ता तथा प्रशासन के
लिए मानसिक विद्वेष रहेगा। इसे यूं कह सकते हैं कि सत्ताधारियों के लिए नाराजगी
बढ़ेगी। राजा वृहस्पति विश्व में भारतीय नीतियों की स्वीकृति बढ़ाएंगे। आकाशीय
मंत्रिपरिषद में दस प्रमुख विभागों में छह के अधिपति पाप ग्रह सूर्य, शनि, मंगल, राहु, केतु होंगे। चार
विभाग के अधिपति शुभ ग्रह गुरु, शुक्र, बुध व चंद्रमा रहेंगे।
अंतरिक्ष में चौत्र
शुक्ल प्रतिपदा अर्श्विनी नक्षत्र (11 अप्रैल) से प्रभावी होने वाला नया मंत्रिमंडल
खुशियां लेकर आएगा। श्पराभवश् नामक इस विक्रम संवत्सर के राजा हैं देवगुरु
वृहस्पति और मंत्री हैं न्याय के प्रतीक शनि। ज्योतिषविदें की मानें तो यह जुगल
बंदी अन्यायी शासकों को पराजित करने वाली होगी।
पण्डित दयानंद
शास्त्री के अनुसार,ग्रहगोचर
की दृष्टि को देखे तो शनि की दृष्टि मंत्री के रूप में पश्चिम राष्ट््रो में
आर्थिक मंदी, महाशक्तियों
में परस्पर सहयोग से अर्थव्यवस्था का नया स्वरूप सामने आने का योग बनता है।
आतंकवाद की बात करे तो इस वर्ष पाकिस्तान का दोहरा चेहरा सामने आयेगा। पार्टी वाद
की बात करे तो इस वर्ष यूपीए सरकार तथा गठवंधन के मध्य मध्य आपस में तालमेल न होने
की दशा में स्थिति बनेगी बिगडेगी।
पण्डित दयानंद
शास्त्री के अनुसार राज्यों में होने वाले चुनावों में कांग्रेस को नुकसान होने की
सम्भावना बनती है। साथ दूसरी बडी पार्टी बीजेपी को अच्छी राहत मिल सकती है। अगर
उत्पादन की बात करे तो कृषि क्षेत्र में इस वर्ष खाद्यान्नों के मूल्यों में भारी
वृद्वि से जनमानस त्रस्त रहेगे। पेट्रोलियम पदार्थाे में बढोत्तरी होने की
सम्मभावना बनी रहेगी। धातुओं के दामों भी वृद्वि होने योग बन रहा है।
मौसम विभाग की बात
करे तो कभी तेज बारिश तो कभी सूखा पडने का योग भी बनता है। कही कही क्षेत्रों तेज
आंधी तूफान और भूकल्प आदि का योग बनता है। ओलावृष्टि अनावृष्टि का योग भी अपने आप
में पृथ्वी पर पडेगे। पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार शेयर बाजार की बात करे तो
इस वर्ष सन् 2013 और सम्वत्
2070 में शनि
मंत्री योग होने से राजा गुरू के प्रताप से इस वर्ष शेयर की डांवाडोल स्थिति बनी
रहेगी। कभी शेयर में तेजी तो कभी कमी आने का योग बनेगा। रियम स्टेट में फिर एक बार
मंदी का योग बनेगा। इस वर्ष 11 अप्रेल 2013 को विक्रम सम्वत् 2070 तथा शाके 1935 रहेगा।
इस वर्ष पराभव नामक
सम्वत् का अर्थ अर्थात् हारना होता है। अतः अपनी समस्याओं में हारने का योग बनाता
है। इस वर्ष फसलो का स्वामी मंगल है। धान्य पदार्थ सूर्य के आधीन मेघ वर्षा का
स्वामी शुक्र के पास है। धन सम्पतित्त का स्वामी चन्द्रमा पर है। सुरक्षा का कारोबार
इस वर्ष शुक्र के पास है। इस वर्ष सामान्य वर्षा का योग बनता है। इस वर्ष ग्रह
मण्डल विधानसभा में 4 स्थान सौम्य ग्रहों के पास और 5 स्थान पाप ग्रह को
मिली है। इस वर्ष गेहूॅ का उत्पादन कम होगा। इस वर्ष मंदी का दौर चलेगा। वर्ष में
अनुसंधान के क्षेत्र में तेजी रहेगी।
पण्डित दयानंद
शास्त्री के अनुसार परिवहन रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में फिर तेजी का योग
रहेगा। इस वर्ष भूमण्डल पर पॉच ग्रहण होगे परन्तु भारत वर्ष में एक भी ग्रहण दिखाई
नही देगा। अन्य पाच ग्रहण विदेश में दिखाई देगे जिनमें क्रमशः 25 अप्रैल 2013 को चन्द्रग्रहण, 10 मई 2013 को सूर्य ग्रहण, 25 मई 2013 को चन्द्र ग्रहण, 3 नवम्बर 2013 को सूर्य ग्रहण, 18 अक्टूबर 2013 को पुनः चन्द्र
ग्रहण दिखाई देगा। यह ग्रहण दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी यूरोप, अफ्रीका , मध्य एशिया, पश्चिमी ऑस्टेलिया, पापुआ, न्यगिनी, सोलोमन , गिलबर्ट द्वीप, ग्रीनलैण्ड आदि में
दिखेगा।
पण्डित दयानंद
शास्त्री के अनुसार इस वर्ष शनि की दृष्टि कन्या राशि पर शनि की साढे साती अंतिम
ढैया चल रही है। तुला राशि पर शनि की साढे साती चल रही है। तथा वृश्चिक राशि पर भी
शानि की साढे साती है। कर्क ओर मीन राशि पर शनि की ढैया का असर रहेगा। अतः जिन
राशि पर शानि की साढेसाती और ढैया दशा है उन्हें स्वास्थ्य में परेशानी व्यापार
आदि में हाानि होने की सम्भावना बनती है। अतः उन्हें बडे कार्य और स्वास्थ्य को
सम्भाल तंाींदं ीवहं...
वैज्ञानिक
महत्व-----
पण्डित दयानंद
शास्त्री के अनुसार नवसंवत्सर का संबंध किसी धर्म से नहीं बल्कि विश्व की प्रकृति, खगोल सिद्धांत, ब्रह्मांड के ग्रह
व नक्षत्रों से है। विक्रमी संवत्सर के बाद वर्ष में 12 माह और सप्ताह को
सात दिन माना गया। महीनों का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की चाल पर होता है। एक माह को
दो भागों कृष्णपक्ष व शुक्लपक्ष में बांटा गया है। दिन का नामकरण आकाश में ग्रहों
की स्थिति सूर्य से प्रारम्भ होकर क्रमशरू मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि और चंद्र से
हुआ है। दुनिया के महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन सूर्याेदय से सूर्यास्त
तक दिन, महीना व वर्ष
की गणना करते हुए पंचांग की रचना की थी।
सृष्टि आरंभ का
प्रथम दिन------
पण्डित दयानंद
शास्त्री के अनुसार परमपिता ब्रह्मा जी ने चौत्रशुक्ल प्रतिप्रदा से ही सृष्टि का
आरंभ किया। सृष्टि के समय, वर्ष, मास, ऋतु, दिन-रात, घंटा-मिनट, कला-बिकला आदि के
निर्धारण करने वाले स्वरूपों की रचना आज से लगभग एक अरब, 95 करोड़, 58 लाख, 85 हजार, 115 वर्ष पहले हुई थी।
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