बेलगाम होते चिकित्सक!
(शरद खरे)
होली के अवसर पर दो लोगों के शव जिला मुख्यालय में मिले। इन दोनों को
कोतवाली पुलिस द्वारा मर्ग कायम कर शव परीक्षण के लिए भेज दिया गया। एक का शव
परीक्षण चिकित्सक द्वारा कर दिया गया किन्तु दूसरे को एक दिन का इंतजार करना पड़ा, यह वाकई दुखद ही माना जाएगा। वह भी तब जबकि सूर्यास्त को
दो-ढाई घंटे शेष थे।
कोतवाली पुलिस विशेषकर नगर कोतवाल अमित विलास दाणी ने जिस तत्परता के साथ
अज्ञात शव के कफन-दफन की माकूल व्यवस्थाएं की हैं वह तारीफे काबिल है, किन्तु जिला चिकित्सालय में पदस्थ बेलगाम चिकित्सकों की
कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगना लाजिमी है।
नगर कोतवाल अमित विलास दाणी स्वयं जिला चिकित्सालय पहुंचे और उन्होंने
सिविल सर्जन डॉ.सत्य नारायण सोनी सहित आपातकालीन सेवाओं में पदस्थ महिला चिकित्सक
से दूसरे शव का शव परीक्षण करने की बात कही। डॉ.सोनी और महिला चिकित्सक सहित खुद
नगर कोतवाल ने शव परीक्षण के लिए उस दिन पाबंद चिकित्सक को मोबाईल पर फोन लगाया
किन्तु उन्होंने फोन नहीं उठाया। नतीजतन दूसरे का शव परीक्षण दूसरे दिन संभव हो
पाया।
वैसे भी गर्मी के मौसम में शव के डिकंपोज होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं
अतः शव परीक्षण जितनी जल्दी हो जाए उतना बेहतर होता हैै। वैसे भी शव को साथ में
रखकर परिजनों का क्या होता होगा, इसकी कल्पना की
जा सकती है। पीएम के लिए सूर्याेदय से सूर्यास्त तक का समय होता है। मामला चार
साढ़े चार बजे का है अतः दूसरे शव के शव परीक्षण को आसानी से अंजाम दिया जा सकता था, वस्तुतः ऐसा हुआ नहीं।
अभी चंद दिनों पहले ही कलबोड़ी के समीप एक सड़क दुर्घटना में सिवनी के
युवकों की दर्दनाक मौत हो चुकी है। इनके शवों का शव परीक्षण कुरई पुलिस एवं कुरई
में पदस्थ चिकित्सकों द्वारा सुबह सवेरे ही करते हुए परिजनों को शव सौंप दिया था।
उस समय भी समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा इस बात को रेखांकित किया था कि सिवनी की
पुलिस और चिकित्सकों को कुरई के इस मामले से सबक लेना चाहिए था, किन्तु ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
यह मामला वाकई जांच का विषय है। इसकी जांच मुख्य चिकित्सा अधिकारी या
अस्पताल के सिविल सर्जन द्वारा की जाएगी अथवा नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में है
किन्तु इस तरह की लापरवाही पर जिला प्रशासन को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। इसकी
जांच जिला प्रशासन द्वारा की जाकर दोषी के खिलाफ ‘कड़ी कार्यवाही‘ अवश्य की जानी
चाहिए ताकि यह एक नज़ीर बन सके, ताकि भविष्य में
इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।
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