कौन लगाएगा रिसते घावों पर मरहम?
(शरद खरे)
नब्बे के दशक तक प्रदेश के लोग सिवनी जिले के निवासियों की किस्मत पर रश्क
किया करते थे। इसका कारण यह था कि सिवनी का भाग्य, सशक्त नेतृत्व के हाथों में सुरक्षित था। उस वक्त सिवनी की
आवाज संसद में बुलंद करने के लिए पंडित गार्गीशंकर मिश्र और प्रदेश में डंका बजाने
के लिए सुश्री विमला वर्मा जैसी शख्सियत मौजूद थीं। सुश्री विमला वर्मा ने सिवनी
के लिए जो कुछ किया वह आज भी हमारे लिए धरोहर से कम नहीं है। सिवनी में एशिया के
सबसे बड़े मिट्टी के बांध भीमगढ़ का निर्माण, बंडोल में दूध
डेयरी, सिंचाई विभाग का मुख्य अभियंता कार्यालय, लोक निर्माण विभाग का अधीक्षण यंत्री कार्यालय, राष्ट्रीय राजमार्ग संभाग और कार्यपालन यंत्री का कार्यालय, राज्य सड़क परिवहन का संभागीय कार्यालय, संभागीय वर्कशॉप, दूरदर्शन केंद्र, आर्युविज्ञान महाविद्यालय, की क्षमता
वाला प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय, केंद्रीय विद्यालय और न जाने क्या-क्या उपलब्धियां हैं जो
सुश्री विमला वर्मा के खाते में आज भी जाती हैं।
सुश्री विमला वर्मा ने खुद ही सक्रिय राजनीति से किनारा किया है अथवा
उन्हें षणयंत्र के तहत घर बिठाया गया है इस बारे में वे ही बेहतर जानती होंगी, किन्तु उनके बाद किसी भी जनसेवक के खाते में यहां कोई बड़ी या
उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं है। नब्बे के दशक के बाद सिवनी का भाग्य जिन लोगों के
हाथों में रहा, उन्होंने सिवनी के हितों को साधने
में पूरी ईमानदारी नहीं दिखाई। यही कारण है कि कल का समृद्ध सिवनी आज पिछड़ों की
फेहरिस्त में सबसे आगे आन खड़ा हुआ है। रही सही कसर परिसीमन में सिवनी लोकसभा
क्षेत्र को बिना किसी प्रस्ताव के गायब करने से पूरी हो गई। उस समय भी सिवनी के
कथित संवेदनशील और सिवनी के हितों की रक्षा करने का दावा करने वाले नेताओं ने इसके
विरूद्ध आवाज भी बुलंद करना मुनासिब नहीं समझा। सिवनी लोकसभा के गायब होने के घाव
से मवाद आज भी रिस रहा है।
लोकसभा में सिवनी की पांच में से बची खुची चार विधानसभाओं में से केवलारी
और लखनादौन को मण्डला तो बरघाट और सिवनी को बालाघाट संसदीय क्षेत्र का अंग बना
दिया गया। मण्डला के सांसद बसोरी सिंह मसराम रहे तो बालाघाट पर के.डी.देशमुख का
कब्जा रहा। विडम्बना ही कही जाएगी कि सिवनी के हितों की बातें दोनों ही सांसदों ने
लोकसभा के पटल पर नहीं उठाईं। सिवनी में फोरलेन, ब्रॉडगेज और उद्योग के मामले आज भी लंबित हैं। कहने को तो
फोरलेन कुछ हद तक बन गई है पर छपारा के आगे और मोहगांव से खवासा तक के हिस्से में
कार्य रूका हुआ है। वहीं, सिवनी में भुरकल
खापा में औद्योगिक विकास केंद्र की स्थापना हो चुकी है, पर अब तक एक भी उद्योग पूरी तरह अस्तित्व में आता नहीं दिख
रहा है।
महज सत्रह दिन बाद लोकसभा चुनाव हैं पर सिवनी जिले में चुनाव का माहौल दिख
ही नहीं रहा है। जिला मुख्यालय सिवनी में तो ऐसा लग रहा है मानों चुनाव में अभी
समय है। न कोई विशेष हलचल है और न ही कोई शोर शराबा। वैसे यह सब कुछ परीक्षा देने
वाले छात्रों के लिए सुखद माना जा सकता है किन्तु तकलीफ इस बात की है कि अगर इस
बार भी लोकसभा में सिवनी जिले का प्रतिनिधित्व करने वालों ने पिछले सांसदों की तरह
ही मौन साधे रखा तो सिवनी के निवासी कहां, और किसके पास
जाकर शिकायत दर्ज करवाएंगे?
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