कागजों पर चल रही साक्षर भारत योजना
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। साक्षर भारत योजनांतर्गत सिवनी विकास खण्ड में चल रहे
कार्यों में जमकर अनियमितताएं प्रकाश में आ रही हैं। मास्टर्स ट्रेनर्स प्रशिक्षण, विकास खण्ड स्तर पर कार्यालयों के बिल बाउचर, प्रेरक प्रशिक्षण में हुए व्यय प्रशिक्षण बैठकों में लिए गए
निर्णय, आदि के बारे में तरह-तरह की चर्चाएं फिजां में तैर रही हैं।
इस योजना में बैठकें कब और कहां हुईं?, कितने केंद्र संचालित हैं?, चार हजार रूपए के हिसाब से कौन सी सामग्री और कहां से क्रय की
गई? ग्राम साक्षर समितियों द्वारा सामग्री कहां से क्रय की गई? सिवनी विकास खण्ड स्तर पर आयोजित प्रेरक प्रशिक्षण में
प्रशिक्षण प्रदान करने वाले मास्टर ट्रेनर्स के यात्रा भत्ते किस आधार पर दिए गए? आदि जैसी बातें भी प्रकाश में आ रही हैं जिनके उत्तर अब तक
अप्राप्त ही हैं।
इस संबंध में जब बींझावाड़ा के प्रधान पाठक आर.एस.कुमरे (9425445951) से संपर्क करने का प्रयास किया गया तो बमुश्किल ही उन्होंने
फोन उठाया। गौरतलब है कि कल उन्होंने फोन उठाने की जहमत भी नहीं उठाई थी। जब उनसे
पूछा गया कि सिवनी विकास खण्ड में कितनी साक्षर समितियां कार्य कर रही हैं तो
उन्होंने कहा कि देखकर बताना पड़ेगा, वैसे आप यह
जानकारी किस उद्देश्य से चाह रहे हैं?
जब उन्हें बताया गया कि समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को मिली खबरों की पुष्टि
के लिए उनका पक्ष जानना आवश्यक है तब उन्होंने कहा कि वे तो महज डाकिये का ही काम
करते हैं?
यह एक जवाबदेही जबरन की उनके ऊपर आन पड़ी है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने जो भी राशि आई थी वह चेक के माध्यम से संबंधित ग्राम
पंचायत के खाते में ट्रांसफर कर दी थी।
इसमें चार हजार रूपए प्रति केंद्र के हिसाब से हुई खरीद के बारे में
उन्होंने कहा कि उनके द्वारा कहीं भी खरीद नहीं की गई है। खरीदी ग्राम पंचायत स्तर
पर हुई है। सरपंच-सचिव द्वारा इसमें सामग्री खरीदी गई है। खरीदी गई सामग्री
गुणवत्ता वाली है या गुणवत्ता विहीन यह तो संबंधित ग्राम पंचायत ही बता पाएगी।
जब उनसे यह पूछा गया कि समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया गया है कि
सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि इस मामले में चार हजार रूपए प्रति केंद्र
के हिसाब से जिला मुख्यालय में नेहरू रोड स्थित एक प्रतिष्ठान से गुणवत्ता विहीन
सामग्री की खरीदी की गई है, जिसमें दरी फट्टा
सहित समस्त सामग्री महज पंद्रह सौ रूपए में खरीदी गई हैं और चार सौ रूपए नगद उस
केंद्र के प्रभारी को वापस किए गए हैं, शेष 2100 रूपए का क्या हुआ? इस पर उन्होंने
कहा कि उन्हें इस तरह की किसी भी खरीद की जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि जो
भी हुआ है वह राज्य शिक्षा केंद्र के निर्देशों के हिसाब से ही किया गया है। इस
मामले में ज्यादा जानकारी ग्राम पंचायत स्तर पर ही मिल पाएगी।
बताया जाता है कि चार हजार रूपए प्रति केंद्र के हिसाब से लगभग दो सौ
केंद्र के लिए एक ही प्रतिष्ठान से खरीदी की गई है। इस लिहाज से आठ लाख रूपए की
खरीदी की गई है। वहीं विकास खण्ड सिवनी प्रभारी के अनुसार 129 केंद्र कार्यरत हैं। अगर उनकी बात को ही सच मान लिया जाए तो
पांच लाख सोलह हजार रूपए की खरीदी की गई है। इसमें अगर केंद्र 200 हैं तो 1500 रूपए के हिसाब
से आठ लाख रूपए में से कुल तीन लाख रूपए और अगर 129 केंद्र हैं तो पांच लाख सोलह हजार रूपए में से एक लाख 93 हजार पांच सौ रूपए की खरीद की गई है।
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