प्रधान पाठकों को धमका रहे डीडीओ, बीआरसी!
(महेश रावलानी/पीयूष भार्गव)
सिवनी (साई)। समग्र छात्रवृत्ति योजना के तहत स्कूली विद्यार्थियों
की मेपिंग और फीडिंग के कार्य में प्रशासनिक स्तर पर दबाव बनने के बाद शिक्षकों
में न केवल हड़कंप मचा हुआ है वरन् रोष और असंतोष व्याप्त होने लगा है। जिले में हर
शाला के बच्चों को इस योजना में पात्र विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दिलवाने के
लिए इस योजना में यह कार्य करवाया जा रहा है। अनेक स्थानों पर बीआरसी और डीडीओ
द्वारा शिक्षकों को धमका कर कार्य करवाने के आरोप भी लग रहे हैं।
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी रवि बघेल (9425427241) से संपर्क
करने पर उनका मोबाईल बंद मिला। बाद में उनके कार्यालय (07692220403) पर संपर्क
करने पर पता चला कि वे सेक्टर ऑफिसर हैं, अतः वे अपने क्षेत्र में गए हुए
हैं। यहीं से ज्ञात हुआ कि इस संबंध में अधिक जानकारी धन्ना लाल तिवारी
(9424327090) जो कि इसके को-ऑर्डिनेटर हैं के द्वारा दी जा सकती है।
डी.एल.तिवारी से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि यह कार्य व्यापक
स्तर पर चल रहा है। उनके अनुसार अब तक लगभग एक लाख इंद्राज दर्ज हो चुके हैं और लगभग
पैंतालीस हजार छात्रवृत्ति के प्रकरणों को कोषालय भेजने की तैयारी भी की जा रही
है। उन्होंने बताया कि यह कार्य दो स्तरों पर करवाया जा रहा है।
पहला स्तर डीडीओ का है। जिले भर में डीडीओ के द्वारा उपलब्ध सरकारी
कंप्यूटर के माध्यम से इंद्राज करवाया जा रहा है। इसके अलावा बीआरसी स्तर पर भी इस
कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। बीआरसी द्वारा हेड स्टार्ट के तहत आए कंप्यूटर्स
और तैनात ऑपरेटर्स के माध्यम से इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। उन्होंने बताया
कि जिस विधि से वेतन का आहरण होता है उसी तरह इस मामले में भी छात्रवृत्ति का आहरण
किया जाएगा।
जब उनसे यह पूछा गया कि इस कार्य को शिक्षकों द्वारा सरकारी स्तर पर
न करवाया जाकर निजि स्तर पर करवाया जा रहा है जिसमें दस से पंद्रह रूपए प्रति
इंद्राज का खर्च आ रहा है। इसके जवाब में इस योजना के जिला को-ऑर्डिनेटर ने कहा कि
कुछ शिक्षक अति उत्साह और समय बचाने के लिए बीआरसी और डीडीओ के पास जाने के बजाए
निजि स्तर पर जाकर इंद्राज करवा रहे हैं।
डी.एल.तिवारी के अनुसार शासन की ओर से इस मद में न तो किसी राशि का
अवंटन ही दिया गया है और न ही निजि स्तर पर कराने के कोई निर्देश ही दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को सॉफ्टवेयर के बनने के बाद इंद्राज का कार्य जारी
है। जब उनसे यह कहा गया कि पूर्व में भी समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा ‘बाजार में बंट गया गुप्त पासवर्ड‘ शीर्षक से खबर का प्रकाशन किया गया था, तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया कि यह पासवर्ड कतई गुप्त नहीं
है। उन्होंने कहा कि यह मामला व्यापक स्तर पर चल रहा है, और इस मामले में लिब्रल होना बेहद आवश्यक है। अगर हम लिब्रल नहीं
होंगे तो यह कार्य सालों-साल चलता रहेगा।
वहीं, ग्रामीण अंचलों के अनेक शिक्षकों
ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के कार्यालय में अलग-अलग समय पर आकर, नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि उनके प्राचार्य, उन पर जबरन दबाव बनाकर धमका रहे हैं कि निजि स्तर पर फलां जगह जाकर
दस या पंद्रह रूपए प्रति इंद्राज की दर से एंट्री करवाएं। शिक्षकों के अनुसार
उन्हें लिखित तौर पर कोई आदेश नहीं दिया गया है कि उन्हें कहां से इंद्राज करवाना
है।
निजि स्तर पर हो चुकी हैं दुकाने फिक्स!
एक प्रधान पाठक ने नाम उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया को बताया कि उनके प्राचार्य द्वारा उन्हें कहा गया है कि उन्हें संबंधित
डीडीओ द्वारा बुलाकर मेपिंग और फीडिंग करवाकर उसका प्रिंट आउट लाकर जमा करवाएं। जब
उक्त प्रधान पाठक ने डीडीओ से पूछा कि वह कहां जाकर इस कार्य को करवाएं? क्योंकि उसके पास कंप्यूटर इंटरनेट नहीं है। इस पर उक्त डीडीओ द्वारा
कहा गया कि फलां दुकान पर चले जाओ और वहां जाकर इस कार्य को अंजाम दे दो। उक्त
प्रधान पाठक ने बताया कि जब वे वहां गए और इस कार्य को करवाने का प्रयास किया तो
उस प्रतिष्ठान के मालिक द्वारा पंद्रह रूपए प्रति इंद्राज की मांग की गई।
उन्होंने आगे बताया कि पंद्रह रूपए प्रति छात्र की दर से जब उनकी जेब
निजि तौर पर ढीली होने की बात आई तो वे वापस दौड़े-दौड़े डीडीओ के पास गए और कहा कि
इतनी बड़ी रकम के लिए बिल किस मद में बनवाकर जमा किया जाएगा? इस पर डीडीओ का कहना था कि यह सिरदर्द उसी प्रधान पाठक का है। इस
मामले में किसी तरह का बिल बाउचर न तो बनवाया जाए और न ही जमा करवाया जाए। डीडीओ
ने उक्त प्रधान पाठक को लगभग धमकाते हुए कहा कि अगर जल्द से जल्द इस कार्य को
अंजाम नहीं दिया गया तो उनका वेतन रोक दिया जाएगा। मजबूरी में उक्त प्रधान पाठक के
द्वारा जेब से राशि खर्च कर करते हुए इस कार्य को अंजाम दिया गया।
अपना ऑपरेटर लाओ. . .
वहीं, ग्रामीण अंचल के एक अन्य प्रधान
पाठक ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि उन्हें
प्राचार्य, डीडीओ द्वारा मौखिक तौर पर इसके लिए आदेशित किया गया कि वे मेपिंग और
फीडिंग के कार्य को जल्द से जल्द अंजाम दें अन्यथा उनके वेतन रोकने की कार्यवाही
की जाएगी। उन्हें भी प्राचार्य, डीडीओ द्वारा एक अन्य दुकान का
पता दे दिया गया। जब वे उक्त प्रतिष्ठान में पहुंचे तो उनसे भी पंद्रह रूपए प्रति
इंद्राज के हिसाब से राशि की मांग की गई। वे भी वापस प्राचार्य, डीडीओ के पास गए और इस राशि के आहरण की मद पूछी। इस पर डीडीओ द्वारा
कहा गया कि अगर वहां से नहीं करवाना है तो बीआरसी के पास जाओ वहां से करवाओ पर
जल्दी करवाकर लाओ, कलेक्टर साहेब का आदेश है, नहीं तो वेतन रोक दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि जब वे बीआरसी के पास गए तो बीआरसी ने दो टूक
शब्दों में कह दिया कि अपना कंप्यूटर ऑपरेटर ले आओ और इंटरनेट के लिए एक सिम में
इंटरनेट का बैलेंस डलवाकर डोंगल के साथ ले आओ, यहां कंप्यूटर रखा है एंट्री कर लो हमें कोई आपत्ति नहीं है।
उन्होंने कहा कि वे कंप्यूटर ऑपरेटर ढूंढते रहे पर उन्हें नहीं मिला। मजबूरी में
वेतन रूकने के डर से उन्होंने निजि तौर पर पंद्रह रूपए प्रति इंद्राज के हिसाब से
एंट्री करवा ली।
यहां नहीं होगी कोई एंट्री!
संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव के तेवर इस मामले में बेहद तल्ख नजर
आ रहे हैं। कलेक्टर के तेवरों को देखकर डीडीओ, प्राचार्य भी घबराए हुए हैं। इस मामले में प्रधान पाठक अपनी बात आपस
में तो बांट रहे हैं किन्तु इस मामले में वे अपने उच्चाधिकारियों को कुछ भी बता
नहीं पा रहे हैं। वे इतने सहमे हुए हैं कि एक अन्य प्रधान पाठक ने भी नाम गुप्त
रखने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से कहा कि जैसे-तैसे वे भी बीआरसी के पास
गए तो बीआरसी ने उन्हें ठेंगा दिखाते हुए कह दिया कि उन्हें इस तरह के कोई आदेश
नहीं मिले हैं कि उनकी एंट्री बीआरसी के पास होनी है। उनके अनुसार बीआरसी ने एक
अन्य दुकान का पता देते हुए उन्हें रूखसत कर दिया।
सार्वजनिक हो रहीं गुप्त सूचनाएं और पासवर्ड!
इस तरह निजि तौर पर कार्य संपन्न होने से निजि सूचनाएं और पासवर्ड
सार्वजनिक होते जा रहे हैं। इससे छात्रवृत्ति के मामले में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी
की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस संबंध मेें जब इस योजना के
को-ऑर्डिनेटर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शिकायतें मिलने पर बाकायदा पत्र जारी
कर यह ताकीद किया जाता है कि वे अपना पासवर्ड बंद कर दें। जब उनसे यह कहा गया कि
इसके बजाए वे यह क्यों नहीं पूछ रहे हैं कि प्रधान पाठक द्वारा इंद्राज कहां से
करवाया गया है? इससे दूध का दूध पानी का पानी हो
जाएगा, इस पर धन्ना लाल तिवारी ने पुनः कहा कि यह व्यापक स्तर पर चलाई जा
रही योजना है, और इसमें काफी हद तक लिब्रल होना
जरूरी है।
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