पंडित जी को एमपी तक समेटने की तैयारी
कर्मभूमि को भूलते शिवराज
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। राष्ट्र के भाल पर प्रदेश के प्रतीक पुरूष रहे पूर्व राष्ट्रपति डॉ.शंकर दयाल शर्मा को मध्य प्रदेश तक सीमित रखने का ताना बाना बुना जाने लगा है। डॉ.शर्मा के समाधि स्थल कर्मभूमि पर मध्य प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान माथा नवाने शायद ही कभी गए हों। इतना ही नहीं दिल्ली में सक्रिय प्रदेश के क्षत्रप भी 26 दिसंबर को उनके समाधि स्थल पर जाना अपनी शान के प्रतिकूल ही समझते हैं।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत के 9वें राष्ट्रपति डा0 शंकर दयाल शर्मा की 12वीं पुण्य तिथि पर 26 दिसंबर को सुबह उनकी समाधि कर्मभूमि में सर्वधर्म एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। उपराष्ट्रपति श्री मोहम्मद हामिद अंसारी, और अन्य गण्यमान्य व्यक्तियों ने स्वर्गीय डा0 शंकर दयाल शर्मा की समाधि पर पुष्प अर्पित किये तथा प्रार्थना सभा में भाग लिया। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से जनसंपर्क एवं संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने आगंतुकों की आगवानी की तथा डा. शर्मा की समाधि पर पुष्प अर्पित किये। राष्ट्रपति डा. प्रतिभा देवी सिंह पाटिल की ओर से भी पुष्प चक्र अर्पित किया गया।
इस अवसर पर डा0 शंकर दयाल शर्मा की धर्मपत्नी श्रीमती विमला शर्मा, पुत्र श्री आशुतोष दयाल शर्मा एवं परिवार के अन्य सदस्य, पूर्व विधायक श्री रामनारायण तेनगुरिया, मध्यप्रदेश शासन की दिल्ली स्थित आवासीय आयुक्त श्रीमती लवलीन कक्कड़ और विशेष आयुक्त अनिल जैन भी मौजूद थे। एक घंटे तक चले इस कार्यक्रम में भजन गायन चलता रहा।
यहां उल्लेखनीय होगा कि दिल्ली में मध्य प्रदेश के 29 लोकसभा और 11 राज्य सभा सदस्य हैं। इनमें से केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी केंद्र में मंत्री हैं। ये सारे नेता भी शंकर दयाल शर्मा को श्रृद्धांजली देने नहीं पहुंचे। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह, उमा श्री भारती ने भी इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। मध्य प्रदेश की विदिशा लोकसभा सीट से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज भी कर्मभूमि पर जाने का समय नहीं निकाल पाईं। गौरतलब है कि लोकपाल मामले में संसद का सत्र तीन दिन बढ़ाए जाने से सारे सांसद भी 26 दिसंबर को दिल्ली में ही थे।
उधर, दूसरी ओर पार्टी एवं अपने निजी प्रोग्राम में शिरकत करने जब भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली आते हैं तब वे किसी न किसी मंत्री से मिलने का मसला तय कर लेते हैं। 26 दिसंबर को हर बार की तरह इस बार भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में ही अपनी व्यस्तताएं रखीं। लगने लगा है कि मध्य प्रदेश के कांग्रेस और भाजपा के क्षत्रप मिलकर डॉ.शंकर दयाल शर्मा को मध्य प्रदेश तक ही सीमित रखने का षणयंत्र रच रहे हैं।
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