आंदोलन समाप्त
कराने गड्डम सड्डम किया प्रशासन ने
किस धारा के तहत
पकड़कर कुरई से लाए सिवनी!
बसों के अधिग्रहण
के मामले में है संशय
(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। अटल
बिहारी बाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल की स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना के अंग
उत्तर दक्षिण गलियारे के सिवनी जिले के विवादित जर्जर हिस्से के रखरखाव को लेकर
क्षेत्रवासियों के आंदोलन में पुलिस और प्रशासन की भूमिका को लेकर सवाल खड़े होने
लगे हैं।
बुधवार को आदिवासी
विकासखण्ड कुरई मुख्यालय में जनता द्वारा अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए रैली निकाली
गई और सभा का का आयोजन किया गया। इसी बीच उत्तर दक्षिण को जोड़ने वाले इस मार्ग
जिसे जीवनरेखा माना जाता है पर वाहनों का अंबार लग गया। यह चक्का जाम था या पुलिए
प्रशासन का एहतियातन कदम यह बात स्पष्ट नहीं हो सकी है।
आंदोलन के दरम्यान
पुलिस द्वारा आंदोलनकारियों को धर दबोचा गया। आंदोलन कारियों को तीन यात्री बसों
में भरकर कुरई से नगझर स्थित जेल लाया गया। इनमें से एक यात्री बस जिसमें केंद्रीय
मंत्री कमल नाथ के मुर्दाबाद के नारे लग रहे थे को शहर के अंदर से ले जाया जाना भी
खासा चर्चित रहा। बताते है। कि इस बस के आगे विधायक श्रीमति नीता पटेरिया और नगर
पालिकाध्यक्ष राजेश त्रिवेदी का वाहन हूटर बजाते चल रहा था, जिसको देखकर लोग
खासे आश्चर्य चकित रहे।
बताया जाता है कि
नगझर स्थित जेल के बाहर आंदोलनकारियों ने जमानत लेने से इंकार कर दिया। इन आंदोलन
कारियों को आखिर किस धारा के तहत पुलिस ने पकडा? क्या इन्हें चक्का
जाम के जुर्म में पकड़ा गया था? जिन बस में आंदोलनकारी सिवनी लाए गए वे
यात्री बस क्या प्रशासन ने अधिग्रहित की थी? अगर प्रशासन ने बसों को अधिग्रहित किया गया
था तो इनके पीयूएल अर्थात ईंधन आदि की व्यवस्था कहां से की गई? इन सारे प्रश्नों
के जवाब इन पंक्तियों के लिखे जाने तक निरूत्तर ही थे।
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