मितव्ययता बरतेगी
सरकार!
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
भारी खर्चों के चलते अब सरकार ने अपने हाथ खींचना आरंभ कर दिया है। वित्त मंत्री
प्रणब मुखर्जी ने संकेत दिया कि मजबूत वित्तीय स्थिति सुनिश्चित करने के सरकार
खर्च में कटौती करने के लिए कुछ कदम उठा सकती है। राज्यसभा में विनियोग और वित्त
विधेयक पर बहस का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के
मद्देनजर यह कदम जरूरी है।
वित्तमंत्री ने कहा
कि उनका मकसद घबराहट फैलाना नहीं बल्कि इसे सबको सिर्फ सावधानी के रूप में लेना
चाहिए। श्री मुखर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की सफलता जारी रहेगी।
उन्होनं कहा कि भारत की विकास दर के साथ कोई समझौता नहीं किया जायेगा।
वित्त मंत्री ने
कहा कि इसमें कई अड़चनें हैं। विकास दर आठ दशमलव चार प्रतिशत से घटकर छह दशमलव नौ
प्रतिशत हो सकती है,
नौ प्रतिशत से कम होकर छह दशमलव सात प्रतिशत हो सकती है, लेकिन फिर इसमें
वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि सरकार को चार, पांच या फिर छह वर्षों में विकास दर का आकलन
करना होगा, न कि एक, दो अथवा तीन तिमाही
में।
वित्तमंत्री ने
परियोजनाओं को तेजी से लागू करने पर जोर दिया ताकि उनकी लागत न बढ़े और उन्हें समय
पर पूरा किया जा सके। उन्होंने पूर्वी राज्यों में हरित क्रांति की चर्चा करते हुए
कहा कि देश के भंडार में ७० लाख टन अतिरिक्त चावल जमा हो गया है, जिसकी विश्वभर में
सराहना हुई है।
उन्होंने कहा कि २५
करोड़ ३० लाख टन अनाज का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, लेकिन भंडारण की
समस्या है। सरकार ने भंडारण क्षमता में सात करोड़ टन से अधिक की वृद्धि की है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम -मनरेगा के कार्यान्वयन
में हेराफेरी की बात स्वीकार की।
वित्त मंत्री ने
आगे कहा कि इस कार्यक्रम के लागू होने से खेतीहर श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का
भुगतान किया जा रहा है। वित्त मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि सकल घरेलू उत्पाद
-जीडीपी की वृद्धि दर लगभग सात दशमलव पांच प्रतिशत के आसपास रहेगी। संसद ने २०१२
के विनियोग और वित्तीय विधेयकों को मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री के करीबी
सूत्रों का कहना है कि डीजल में तीन रूपए तो पेट्रोल में पांच रूपए की बढोत्तरी हो
सकती है।
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