दो वर्ष में
विद्युत उत्पादन क्षमता में 4742 मेगावॉट की वृद्धि होगी
(प्रदीप आर्य)
भोपाल (साई)।
प्रदेश में विद्युत की बढ़ती हुई माँग को देखते हुए विद्युत उत्पादन की स्थापित
क्षमता बढ़ाने के लिये ठोस प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य सरकार ने इसके लिये एक
समग्र योजना बनाई है। इस पर क्रियान्वयन शुरू हो चुका है। आगामी 2 वर्ष में करीब 4742 मेगावॉट क्षमता
वृद्धि का कार्यक्रम है।
मध्यप्रदेश पॉवर
जनरेटिंग कम्पनी की परियोजनाओं, केन्द्रीय क्षेत्र तथा अन्य परियोजनाओं से
इस वर्ष 2012-13 में करीब 1859 मेगावॉट क्षमता की
वृद्धि होगी। वर्ष 2013-14 में लगभग 2883 मेगावॉट की
विद्युत उत्पादन क्षमता वृद्धि किया जाना शामिल है।
प्रदेश में विभिन्न
परियोजनाओं के निर्माण से अलग-अलग चरणों में बिजली उत्पादन क्षमता में वृद्धि
होगी। क्षमता वृद्धि की योजना के तहत खण्डवा जिले में 1200 मेगावॉट क्षमता की
श्रीसिंगाजी ताप विद्युत परियोजना की एक इकाई मार्च, 2013 में क्रियाशील हो
जायेगी। इससे 600 मेगावॉट
बिजली मिलने लगेगी।
इसी तरह 250 मेगावॉट सतपुड़ा
ताप विद्युत विस्तार परियोजना की 250 मेगावॉट की इकाई क्रमांक-10, दिसम्बर 2012 में क्रियाशील हो
जायेगी। इससे 250 मेगावॉट
बिजली मिलेगी। मे. एनटीपीसी की सीपत ताप विद्युत परियोजना की प्रथम चरण 3 × 660 की दूसरी इकाई मई, 2012 में क्रियाशील की
गई। तीसरी इकाई अगस्त, 2012 में क्रियाशील हो जायेगी। प्रदेश को दूसरी इकाई से 94 मेगावॉट और तीसरी
इकाई से 95 मेगावॉट
विद्युत प्राप्त होगी।
मे.एनटीपीसी की 1000 मेगावॉट की मोडा
नागपुर परियोजना की पहली इकाई मई 2012 में क्रियाशील की गई। दूसरी इकाई सितम्बर, 2012 में शुरू हो
जायेगी। इससे 71.5-71.5 मेगावॉट
बिजली मिलेगी। डीबीसी दुर्गापुर की यूनिट-1 और 2 क्रमशरू जून तथा दिसम्बर 2012 माह तक शुरू हो
जायेगी। इनसे 50-50 मेगावॉट
बिजली मिलेगी।
निजी क्षेत्र की
मेसर्स जयप्रकाश बीना परियोजना की पहली इकाई जुलाई तथा दूसरी इकाई दिसम्बर, 2012 में क्रियाशील हो
जायेगी। इनसे 2012-13 में 175-175 मेगावॉट बिजली
मिलने लगेगी। मेसर्स बीएलए पॉवर कम्पनी की 45 मेगावॉट की दूसरी इकाई दिसम्बर, 2012 में क्रियाशील
होगी। इससे 16 मेगावॉट
विद्युत राज्य को प्राप्त होगी। इसके अलावा अपारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से भी 120 मेगावॉट विद्युत
राज्य को मिलेगी।
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