माही प्रकरण की होगी न्यायिक जांच
(महेश रावलानी)
नई दिल्ली (साई)। गुड़गांव के पास बोरवेल में फंसी 5 साल की माही जिंदगी की जंग हार गई। उसे 86 घंटे की मशक्कत के बाद सेना के जवानों ने बोरवेल से बाहर निकाला। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। माही की मौत की खबर के बाद पूरा देश दुखी है। बॉलिवुड भी इस खबर से गमगीन हैं। मेगा स्टार अमिताभ बच्चन को भी माही की मौत से काफी दुख पहुंचा है। उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा, श्काश! यह खबर गलत होती। यह बहुत दुखद और निराशाजनक है। हम सफलतापूर्वक मिसाइल तो दाग सकते हैं, लेकिन बोरवेल में गिरी एक बच्ची को नहीं बचा सकते हैं।
उधर, हरियाणा सरकार ने घोषणा की कि चार साल की माही के एक बोरवेल में गिर जाने से मौत के मामले की मैजिस्ट्रेटी जांच करायी जाए। गुडगांव के जिला मजिस्ट्रेट पी सी मीना ने कहा, इस मामले में एक मजिस्ट्रेटीय जांच के लिये आदेश दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि बोरवेल खोदने वाले जमीन के मालिक रोहताश तयाल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। तयाल फरार है और राज्य पुलिस ने उसे पकडने के लिये दो टीमें भेजी हैं। इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर हुड्डा ने माही की मौत पर दुख जताया है और कहा कि उसके परिवार को पर्याप्त मुआवजा दिया जायेगा।
ज्ञातव्य है कि माही को 86 घंटे की मशक्कत के बाद सेना के जवानों ने बोरवेल से बाहर निकाला। बोरवेल से निकालते ही माही को आर्मी की देख-रेख में मानेसर के ईएसआई अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसके स्वास्थ्य की जांच के बाद उसकी मौत की पुष्टि की। इस खबर के बाद पूरा देश दुखी है। मगर, इस पूरे मामले में सरकारी तंत्र के एक हिस्से की लापरवाही का भी गंभीर मामला सामने आया है। खबर है कि माही जब गड्ढे के अंदर थी, तभी माही के पिता से डीजल के पैसे भी मांगे जा रहे थे।
86 घंटे से माही जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी। और पूरा देश सांसे थामे इंतजार कर रहा था। रविवार को जब 1 बजकर 38 मिनिट पर माही को बोरवेल से निकाला गया, तो लोगों को उसके जिंदा होने की उम्मीदें जग गईं। लेकिन, जैसे ही माही की मौत की खबर आई, उसके परिवार के साथ-साथ पूरा देश दुखी हो गया। उसकी मां तो यह खबर सुनते बेहोश हो गई।
समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार बुधवार रात करीब 11 बजे बोरवेल में गिरने के 2 घंटे बाद ही माही की मौत हो गई थी। उसकी मौत दम घुटने के कारण हुई। रविवार शाम डॉक्टरों की 2 सदस्यीय टीम ने बच्ची का पोस्टमॉर्टम किया। पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के बाद माही के शव को उसके पिता व नानी के हवाले कर दिया। रविवार दोपहर करीब ढाई बजे माही के शव को आर्मी की एंबुलेंस से सिविल हॉस्पिटल के शव गृह लाया गया। पोस्टमॉर्टम के लिए कार्यकारी पीएमओ डॉ। बी। बी। अग्रवाल व डॉ। दीपक माथुर की एक टीम बनाई गई। डॉ। दीपक माथुर ने बताया कि बोरवेल में गिरने के 2 घंटे बाद ही माही की मौत हो गई थी। उसकी मौत दम घुटने से हुई है। शव काफी गली सड़ी हालत में था। शरीर पर कहीं भी चोट के निशान नहीं थे।
माही बुधवार रात 11 बजे खेलते-खेलते बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में गिर गई थी। तब से वह उसी गड्ढे में फंसी हुई थी। बोरवेल के बगल में दूसरा गड्ढा खोदकर माही तक पहुंचने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन शुक्रवार की रात सुरंग के रास्ते में पत्थर आने की वजह से माही तक पहुंचने की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही थीं।
गुरुवार शाम करीब 5रू30 बजे रैपिड मेट्रो की ड्रिल मशीन से बोरवेल के गड्ढे से 12 फुट की दूरी पर ड्रिल करने का काम शुरू किया गया। गुरुवार देर रात तक रैपिड मेट्रो की ड्रिल मशीन से बोरवेल के समानांतर 4 फुट चौड़ा व 75 फुट गहरा गड्ढा खोद दिया गया। सेना के जवानों ने गुरुवार देर रात ही इस गड्ढे से बोरवेल तक पहुंचने के लिए 12 फुट लंबी सुरंग बनाने का काम शुरू कर दिया था। ड्रिल मशीन सेना के जवान को गड्ढे में नीचे पहुंचाती और सेना के जवान मैनुअल तरीके से सुरंग बनाने का काम शुरू करता। हालांकि जमीन के नीचे अधिक नमी होने के कारण 10-15 मिनट में ही जवान को परेशानी होने लगती, जिसके कारण उसे ऊपर आना पड़ता और दूसरा जवान तैयार होकर नीचे गड्ढे में जाकर सुरंग बनाने का काम शुरू कर देता। गुरुवार की पूरी रात यह सिलसिला चलता रहा।
माही की मौत से दुखी उसके पिता से जब मीडियाकर्मियों ने पूछा कि वह इसके लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं तो उन्होंने पुलिस और प्रशासन के ढीले-ढाले रवैये को दोष दिया। उन्होंने बताया कि माही के बोरवेल में गिरने के 5 मिनट के अंदर पुलिस को सूचना दे दी गई थी, लेकिन पुलिस डेढ़ घंटे बाद पहुंची और वह भी खाली हाथ। पुलिस टीम के पास टॉर्च भी नहीं था। उन्होंने बताया कि ड्रिलिंग के लिए जो मशीनें मंगवाई गईं वे भी एक-डेढ़ घंटे बाद बंद हो गईं। वे माही के पिता से डीजल का पैसा मांग रहे थे। उनका कहना था कि जो लोग भी इस मामले में लापरवाही के दोषी हों, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि जो कुछ उनकी बच्ची के साथ हुआ वह किसी के बच्चे के साथ न हो।
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