क्या संसद के लिए
समय निकाल पाएंगे सचिन
संसद के हर सत्र में रहेगा क्रिकेट का मौसम
शबाब पर
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
क्रिकेट के तथाकथित भगवान सचिन तेंदुलकर ने देश की सबसे बड़ी पंचायत (संसद) के पंच
(सांसद) के बतौर शपथ ले ली है। कांग्रेस द्वारा नियम कायदों को कथित तौपर शिथिल कर
सचिन को राज्य सभा में एंट्री देकर एक नजीर पेश की है। माना जा रहा है कि कांग्रेस
की गिरती साख को बचाने के लिए सचिन का सहारा लिया जा रहा है। चार जून को सचिन
द्वारा शपथ लेने के बाद अब सियासी फिजां में यह बात पूछी जा रही है कि क्या सचिन
देश की सर्वोच्च पंचायत के लिए अपने व्यस्त क्षणों में से समय निकाल पाएंगे या फिर
शोभा की सुपारी बनकर रह जाएंगे!
ज्ञातव्य है कि
इससे पहले सियासी फिजां में यह बात तैर गई थी कि शर्मीले सचिन सबके सामने शपथ लेने
में हिचक रहे हैं इसलिए वे सदन में सबके सामने शपथ लेने के बजाए उपराष्ट्रपति के
कक्ष में शपथ लेने की मंशा रखते हैं। इन परिस्थितियों में उनकी आलोचना आरंभ हो गई
थी कि सचिन को राज्य सभा सांसद बनाने का क्या ओचित्य जब वे खेल और खिलाड़ियों का
प्रतिनिधित्व ही ना कर पाएं, और कांग्रेस का मुखौटा बनकर रह जाएं।
सूत्रों का कहना है
कि कांग्रेस की गिरती साख और घपलों, घोटालों, भ्रष्टाचार, उत्तर प्रदेश सहित
पांच राज्यों में विधानसभा तो दिल्ली में नगर निगम चुनावों में मुंह की खाने के
बाद कांग्रेस ने लोगों का ध्यान इससे हटाने की गरज से जया बच्चन के साथ ही साथ
रेखा को राज्य सभा से भेज दिया है ताकि कुछ दिन तक मीडिया की सुर्खियां रेखा बटोर
सकें और लोगों का ध्यान कांग्रेस के काले कारनामों से हट जाए। इसी कड़ी में राहुल
को स्थापित करने के लिए मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को राज्य सभा से भेजा गया है।
कहा जा रहा है कि
जब संसद का सत्र चलेगा तब सचिन घरेलू और विदेश दौरे पर जाने वाले भारतीय क्रिकेट
टीम के सदस्य के बतौर सदन के बाहर ही रहेंगे। गौरतलब है कि जब सदन का वर्षाकालीन
सत्र चलेगा तब टीम इंडिया श्रीलंका के दौरे पर होगी। इस दर्मयान टीम इंडिया तीन
टेस्ट सीरिज खेलेगी। इसके अलावा सदन के शीतकालीन सत्र में टीम इंडिया इंग्लैण्ड के
खिलाफ चार टेस्ट सीरिज खेलेगी। अगले साल के बजट सत्र के दर्मयान टीम इंडिया
आस्ट्रेलिया के खिलाफ 4 टेस्ट सीरिज खेलने जा रही है।
इन परिस्थितियों
में सचिन के घोषित पहले प्यार क्रिकेट के सामने देश की सबसे बड़ी पंचायत का बौना
होना स्वाभाविक ही है। सचिन अगर देश की पंचायत को समय नहीं देने की स्थिति में हैं
तो फिर उनको राज्य सभा सांसद बनाने का क्या फायदा? संभवतः सचिन का
चेहरा अगले आम चुनावों में कांग्रेस के बेनर पोस्टर्स में इस्तेमाल करने के लिए
कांग्रेस द्वारा यह आत्मघाती कदम उठाया गया है।
कहा जा रहा है कि
कांग्रेस ने बैठे बिठाए विपक्ष को एक मुद्दा दे दिया है, जब सदन में सचिन की
उपस्थिति ना के बराबर होगी तब उनको लेकर जमकर हायतौबा मचा सकता है विपक्ष! इन
परिस्थितियों में कांग्रेस और सचिन की खासी भद्द पिट सकती है। वहीं दूसरी ओर हर
मसले पर कांग्रेस से सैट नजर आने वाली भाजपा और अन्य विपक्षी दल शायद ही हाथ आने
वाले इस मौके को कैश करा पाएं।
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