उत्तराखण्ड भाजपा की बडी तैयारी; कांग्रेस विधायक
भाजपा में हो सकते हैं शामिल
(चंद्र शेखर जोशी)
देहरादून (साई)। मुख्यमंत्री
विजय बहुगुणा भले ही सितारगंज से विधानसभा उपचुनाव लड़ने के संकेत देते हुए 3 जून को सितारगंज
में कहा कि एक गीत है ‘समझने वाले समझ गए जो ना समझे वो अनाड़ी हैं।’
इसके अलावा काबीना मंत्री इंदिरा हृदयेश, कांग्रेस के प्रदेश
अध्यक्ष यशपाल आर्य,
मंत्रीप्रसाद नैथानी, हरीश दुर्गापाल, पूर्व मंत्री तिलक
राज बेहड़ ने अपने संबोधन में मुख्यमंत्री बहुगुणा के इसी क्षेत्र से चुनाव लड़ने की
बात कहीं।
उत्तराखण्ड
कांग्रेस सितारगंज विधानसभा सीट को मुख्यमंत्री के लिए बेहद सुरक्षित मान कर चल
रही है। इस क्षेत्र में भितरघात की आशंका न के बराबर है। कांग्रेस के प्रदेश
अध्यक्ष यशपाल आर्य जो मुख्यमंत्री के करीबी हैं, इस क्षेत्र से दो
बार विधायक रह चुके हैं। इस क्षेत्र में यशपाल आर्य अधिक प्रभावी नेता हैं, जिनके समर्थन से
लोग मुख्यमंत्री को पसंद कर रहे हैं। वहीं सितारगंज सीट कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश
अध्यक्ष यशपाल आर्य की सीट का हिस्सा रही है, तथा इस सीट पर हरीश रावत गुट का इस सीट पर
प्रभाव नगण्य है। मुख्यमंत्री विजय
बहुगुणा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल आर्य रविवार को दिल्ली रवाना हो गए जहां
कांग्रेस हाईकमान से कई मामलों पर सहमति ली जा सकती है, वहीं विजय बहुगुणा
उत्तहराखण्डं कांग्रेस अध्यलक्ष पद पर यशपाल आर्य को बनाये रखने के लिए प्रबल
संस्तुैति करेगें।
इसके अलावा
प्रचारित किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा मूलतरू बंगाली हैं। उनके
पूर्वज बंगाल से आकर टिहरी में बसे थे। यह बात बंगाली समुदाय की ओर से वितरित
पर्चे में कही जा रही है। परन्तु राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सितारगंज
विधानसभा क्षेत्र में दलित, मुस्लिम, बंगाली और थारू
आबादी ज्यादा है, यहां
से कांग्रेस की जीत आसान नहीं होगी। अपने
विधायक को गंवा कर चोट खाई भाजपा सितारगंज विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस से बदला
लेने के लिए हर संभव दाव चलने के मूड में है।
भाजपा एक ऐसा
ब्रहमास्त्र चलाने जा रही है जिससे
कांग्रेस निरीह व सकते में पड सकती है। भाजपा भी कांग्रेस को तू डाल डाल, मैं पात पात का सबक
सिखाने की तैयारी कर रही है, कांग्रेस के वरिष्ठभ विधायक को भाजपा में
शामिल कराकर कांग्रेस में हडकम्घ्प मचा सकती है। इसके अलावा पिछले विस चुनाव के
परिणामों पर नजर डालें तो यहां कांग्रेस तीसरे स्थान पर यानी बसपा से भी पीछे रही
थी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बंगाली विस्थापितों को भूमिधरी का अधिकार
देने संबंधी हालिया फैसलों के बल पर मुख्य मंत्री को यहां से लडाने का फैसला लिया
गया है, इस निर्णय
से भले ही बंगाली विस्थापित कांग्रेस के पक्ष में आए हों लेकिन इस इलाके में बसा
पहाड़ी व पंजाबी समुदाय इस वजह से शायद ही कांग्रेस के पक्ष में आए।
वहीं रुद्रपुर
दंगों ने तराई में जो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण किया उसका फायदा भाजपा को मिला।
ध्रुवीकरण की वजह से अल्पसंख्यक समुदाय भी बसपा का साथ छोड़कर कांग्रेस के पक्ष में
खड़ा हुआ मगर दलित वोट बंट गया और उसका एक हिस्सा जहां बसपा के साथ डटा रहा, वहीं बड़ा हिस्सा
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के कारण भाजपा के साथ चला गया। उनका मानना है कि इस
सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का असर अभी शेष है और विस उपचुनाव होने पर सियासी दल इसे
फिर हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
वहीं समाजवादी
पार्टी युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष मशकूर अहमद कुरैशी ने आरोप लगाया है कि प्रदेश
की कांग्रेस सरकार तीन माह से आईसीयू से बाहर नहीं निकल पा रही है। मंत्री व
विधायकों के झगड़ों के बीच आम जनता की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सीएम झूठी
घोषणाएं कर रहे हैं।
रुड़की में कुरैशी
ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार इस बात की घोषणा कर रहे है कि देहरादून व
हरिद्वार में बिजली कटौती नहीं होगी, लेकिन जिले में लगातार बिजली कटौती की जा
रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बद से बदत्तर होती
जा रही है। संसदीय सचिव के घर में दिन दहाडे़ हुई डकैती ने सरकार के दावों की पोल
खोलकर रख दी है।
वहीं भाजपा ने
विधानसभा उपचुनाव में जीत के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं, रूद्रपुर शहर के
तमाम कांग्रेसी व बसपा कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हो गए। कुछ लोगों ने तो भाजपा
में वापसी की। एक कार्यक्रम में विधायक राजकुमार ठुकराल व राजेश शुक्ला, पूर्व सांसद बलराज
पासी तथा पार्टी जिलाध्यक्ष सुरेश परिहार के समक्ष कांग्रेस व बसपा कार्यकर्ताओं
ने भाजपा का दामन थामा। इनमें पूर्व पालिका उपाध्यक्ष हरीश जल्होत्रा, सभासद गुरदीप गावा, व्यापार मंडल के
बलराम अग्रवाल, पूर्व
छात्र संघ अध्यक्ष अभिनव छाबड़ा, राजीव गंगवार, सोनू खुराना, सन्नी खुराना, गगन अरोरा, बसपा के हरविंदर
सिंह हारजी, राजीव
जौहरी आदि शामिल हैं।
वहीं बसपा के पूर्व
विधायक प्रेमानंद महाजन के भी शीघ्र भाजपा में शामिल होने की चर्चा हैं। भाजपा के
कई नेता उनके संपर्क में हैं। पूर्व विधायक महाजन गदरपुर-पंतनगर सीट से लगातार दो
बार चुने गए थे। विधानसभा सीटों के परिसीमन के बाद उन्होंने रुद्रपुर सीट से चुनाव
लड़ा था, लेकिन
पराजय का सामना करना पड़ा। महाजन भाजपा का दामन थाम सकते हैं। भाजपा में आने के बाद
उन्हें सितारगंज सीट से मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के खिलाफ उतारा जा सकता है।
चूंकि सितारगंज बंगाली बहुल क्षेत्र है, लिहाजा पार्टी उन्हें फिलहाल एक मुफीद
उम्मीदवार के तौर पर देख रही है परन्तु
ज्यालदा संभावना बसपा के पूर्व विधायक नारायण पाल की ज्याददा है, वहीं बसपा ने
नारायण पाल व उनके भाई मोहन पाल को पार्टी से निष्कासित किये जाने की घटना को उनके
भाजपा में जाने की घटना से जोड कर देखा जा रहा है।
पार्टी विधायक किरण
मंडल के इस्तीफे के झटके से उबरने की कोशिश में जुटी भाजपा अब कांग्रेस पर उसी की
तर्ज पर पलटवार की भी तैयारी में है। भाजपा अपने गोपनीय मिशन के तहत कांग्रेस के
एक वरिष्ठ विधायक को भाजपा में लाने के लिए तौलमोल कर रही है और इनकी भाजपा के कई
केंद्रीय नेताओं से इस संबंध में चर्चा भी हुई है।
वर्ष 2007 में तत्कालीन
मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के लिए सीट खाली कराने को भाजपा ने कांग्रेस विधायक
टीपीएस रावत का इस्तीफा कराया था तो अब कांग्रेस ने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के
लिए सीट खाली कराने को भाजपा विधायक किरण मंडल से इस्तीफा दिला सीट खाली कराने में
कामयाबी पाई। भाजपा के लिए यह किसी झटके से कम नहीं रहा क्योंकि विधानसभा चुनाव
में पार्टी कांग्रेस से केवल एक सीट पीछे रही। अब भाजपा फिर इसी तर्ज पर कांग्रेस
को एक झटका देने की कोशिश कर रही है।
चर्चा है कि
कांग्रेस के एक वरिष्ठ विधायक पिछले कुछ दिनों से भाजपा के राज्य और केंद्रीय स्तर
के कुछ बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। इनकी दिल्ली में भाजपा के कुछ वरिष्ठ केंद्रीय
नेताओं से कई दौर की वार्ताएं भी हो चुकी हैं। यह भी चर्चा है कि कांग्रेस से
असंतुष्ट चल रहे इन विधायक की भाजपा नेताओं से नजदीकी की खबर पार्टी नेताओं को
लगने से वह डैमेज कन्टोरल की तैयारी में जुट गये हैं।
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