मंगलवार, 5 जून 2012

संकट में हैं राहुल का चश्मा!


संकट में हैं राहुल का चश्मा!

टीम राहुल की असलियत आने लगी युवराज के सामने

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। लगभग आठ साल पहले चांदी का चम्मच लेकर सक्रिय राजनीति में आए कांग्रेस के युवराज राहुल घांदी को घेरकर उन्हें महिमा मण्डित करने वालों की कलई एक एक कर खुलने लगी है। उत्तर प्रदेश चुनावों के तत्काल बाद युवराज के अघोषित राजनैतिक गुरू राजा दिग्विजय सिंह को बारह तुगलक लेन (बतौर सांसद राहुल का सरकारी आवास) से बाहर का रास्ता दिखाने के बाद अब राहुल के आंख, नाक, कान बने कनिष्क सिंह पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
वर्ष 2004 और 2009 में उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा चुनाव जीतने वाले नेहरू घांदी परिवार की पांचवीं पीढ़ी के चिराग राहुल को राजनैतिक सूझबूझ ना होने का सबसे अधिक फायदा राजपूत क्षत्रिय लाबी ने उठाया। राहुल की आंख पर पट्टी बांधकर एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय के अलावा राजस्थान मूल के कनिष्क सिंह ने जमकर नचाया। दिग्गी राजा को तो यूपी चुनावों के परिणाम के बाद बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, पर कनिष्क सिंह की तूती 12, तुगलक लेन में जमकर बजती रही।
राहुल से उमर में आठ साल छोटे कनिष्क के पिता एस.के.सिंह भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी थे। उन्होंने भारत के राजूदत के बतौर अफगानिस्तान और पाकिस्तान में काम किया। उनकी सेवाओं का सम्मान करते हुए उन्हें महामहिम राज्यपाल बना दिया गया। वे आंध्र प्रदेश और राजस्थान के राज्यपाल रहे।
उधर, कनिष्क सिंह स्वदेश वापस आने के बाद 2003 में दिल्ली में शीला दीक्षित के लिए चुनाव में काम करने के इच्छुक थे। अपने पिता के संपर्कों और उनकी नेहरू गांधी परिवार की नजदीकी का लाभ उठाकर कनिष्क ने राहुल के 2004 में सांसद बनते ही टीम राहुल का सदस्य बनना स्वीकार कर लिया। इसके बाद कनिष्क ने पीछे मुडकर नहीं देखा और वे राहुल के आंख, नाक, कान बनकर रह गए।
कनिष्क सिंह को राहुल गांधी का चश्मा भी कहा जाता है। कहते हैं राहुल गांधी उसी रंग की दुनिया देखते हैं जिस रंग का चश्मा कनिष्क सिंह द्वारा राहुल को लगवाया जाता है। 12, तुगलक लेन में कनिष्क सिंह की तूती जमकर बोला करती है। लोग कनिष्क की तुलना सोनिया और राजीव के दरबार के शुरूआती दिनों में उनके सहायक विसेंट जार्ज के रूप में करते हैं। कहा जाता है कि कनिष्क भी जार्ज जितने ही ताकतवर हैं।
उत्तर प्रदेश जिसमें सोनिया और राहुल घांदी का संसदीय क्षेत्र समाहित है के चुनावों में कांग्रेस के औंधे मुंह गिरने के बाद होने वाली समीक्षाओं में निशाने पर दोनों ही ठाकुर क्षत्रप राजा दिग्विजय सिंह और कनिष्क सिंह थे। लोगों ने टिकिट बंटवारे में अनियमितताओं और गलत सलाहों के लिए दोनों ही को जमकर दोषी ठहराया।
बिहार के कांग्रेस के नेताओं ने कनिष्क सिंह की जमकर शिकायतें की हैं। बताया जाता है कि बिहार में पीसीसी चीफ के चयन के मामले में कनिष्क सिंह को बतौर एक अडंगा पेश किया गया है। बिहार से आए एक नेता ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर सनसनीखेज खुलासे किए हैं।
उक्त नेता ने बताया कि जब उमेश राय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल युवराज राहुल घांदी से मिलने पहुंचा तो 12, तुगलक लेन की परंपराओं के अनुसार उसे कनिष्क सिंह की चौखट पर हाजिरी भरना पड़ा। इस प्रतिनिधिमण्डल के मुंह में अपनी जुबान डालते हुए कनिष्क ने उन्हें मशविरा दिया कि वे बिहार में राजपूत क्षत्रिय नेता अवधेश सिंह का नाम आगे करें। इस तरह जातिवाद को प्रश्रय देने के आरोप के लिए मशहूर कनिष्क ने एक बार फिर ठाकुर लाबी को सामने कर दिया।
उक्त नेता ने आगे कहा कि जब यह प्रतिनिधिमण्डल राहुल से मिला तो उसने कनिष्क की इन हरकतों से राहुल को रूबरू करवाते हुए कहा कि कनिष्क सिंह द्वारा कांग्रेस की लुटिया डुबोने के काम को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है। इतना ही नहीं कनिष्क और राहुल से भेंट के बीच के समय का सदुपयोग कर कुछ नेताओं ने अवधेश सिंह की जन्म कुण्डली की पता साजी कर डाली।
उन्होंने कहा कि राहुल को जब यह बताया गया कि कनिष्क सिंह जिसके नाम की लाबिंग करवा रहे हैं वे आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं तो उनके हाव भाव बदल गए। राहुल ने तत्काल ही अपने उपर के जेब से एक कागज निकालकर उसमें कुछ लिखकर होंठ भींच लिए। राहुल की भाव भंगिमाएं और सख्त उस वक्त हो गईं जब उन्हें यह बताया गया कि अवधेश सिंह का नाम कनिष्क सिंह द्वारा आगे इसलिए बढ़ाया जा रहा है क्योंकि वे राजपूत क्षत्रिय वर्ग से हैं।
सियासी बियावान में इन दिनों राहुल गांधी के दोनों खास ओपनर बल्लेबाज (राजा दिग्विजय सिंह और कनिष्क सिंह) के खिलाफ ससबूत प्रमाण राहुल के सामने पेश किए जाने, राहुल घांदी द्वारा सोनिया के राजनैतिक सलाहकार और दिग्विजय सिंह के घुर विरोधी अहमद पटेल को खास तवज्जो देने के निहितार्थ खोजे जा रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में राहुल घांदी के चश्मे (सलाहकार) बदलने वाले ही हैं।

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