गेहूँ की लदाई, तुलाई, भराई आदि की मजदूरी देने की नीति यथावत रखे केन्द्र सरकार
(दीप्ति)
भोपाल (साई)। मुख्यमंत्री
श्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक
वितरण राज्य मंत्री श्री के.वी. थॉमस को पत्र लिखकर वर्तमान नीति को
बरकरार रखते हुए किसानों को भुगतान किए जाने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य से
गेहूँ की लदाई, तुलाई, भराई आदि की मजदूरी की कटौती न करने का अनुरोध किया
है। ऐसा न करने से किसानों पर 76 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय भार आयेगा।
मुख्यमंत्री
श्री सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि मध्यप्रदेश में उपार्जन प्रक्रिया
में बिचौलियों या ‘आढ़तियों’ की कोई भूमिका नहीं होती। यहाँ उपार्जन की
सम्पूर्ण प्रक्रिया सहकारी समितियों के माध्यम से सम्पन्न होती है। लम्बे
समय से यह प्रथा चली आ रही है कि समर्थन मूल्य पर उपार्जन प्रक्रिया में
बेचे जाने वाले खाद्यान्न की हम्माली में लगने वाला पैसा सहकारी समितियाँ
खर्च करती हैं। अनाज की लदान, तुलाई, बोरे में भराई तथा पैकेजिंग आदि का
पैसा उपार्जन केन्द्र पर सहकारी समितियाँ स्वयं भुगतान कर देती हैं। राज्य
की उपार्जन एजेंसियाँ सहकारी समितियों को इस खर्चे की प्रतिपूर्ति राज्य
सरकार कर देती थी और यह पैसा भारत सरकार से लेती हैं। भारत सरकार ने अभी तक
इस प्रथा को जारी रखा, क्योंकि यह खर्च प्रावधिक रूप से निर्धारित दर से
ज्यादा नहीं था।
बहरहाल,
भारत सरकार ने अपनी नीति को बदलते हुए यह खर्च देने से यह कहते हुए इंकार
कर दिया कि यह खर्च स्वयं किसानों द्वारा उठाया जाना चाहिये था। इससे
किसानों पर 76 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय भार आयेगा। धान और मोटे अनाज
पर आने वाला खर्च इसके अतिरिक्त होगा।
मुख्यमंत्री
ने पत्र में श्री थामस का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि पंजाब में भारतीय
खाद्य निगम द्वारा यह खर्च किसानों पर नहीं डाला जाता। उन्होंने श्री थॉमस
से आग्रह किया है कि वे किसानों के हित में उपार्जन पर आने वाले उपरोक्त
व्यय की प्रतिपूर्ति की नीति पुनः लागू करवाने में सहयोग करें।
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