बुधवार, 11 जुलाई 2012

क्या 84 का इतिहास दुहरा रहा है!


क्या 84 का इतिहास दुहरा रहा है!

. . . तो इसलिए खुला खुर्शीद का मुंह!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। सियासी फिजां में इस बात पर शोध किया जा रहा है कि क्या इंदिरा गांधी की हत्या के उपरांत कांग्रेस में उपजी परिस्थितयां दुबारा फिर से आकार ले रही हैं? जी हां, 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी की हत्या के उपरांत जब राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बनाए जाने की बात सामने आई थी तब प्रणव मुखर्जी ने राजीव के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाकर समाजवादी कांग्रेस का गठन किया था। आज जब राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपने की बात सामने आ रही है तब कानून मंत्री सलमान खुर्शीद द्वारा ही अपनी पार्टी के महासचिव राहुल गांधी को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है।
दिल्ली से प्रकाशित एक दैनिक को दिए साक्षात्कार में कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के हवाले से कहा गया है कि कांग्रेस पार्टी पूरी तरह दिशाहीन हो चुकी है। सलमान खुर्शीद का कहना कि कांग्रेस में गड़बड़ी इसलिए है क्योंकि पार्टी के अगले पीढ़ी के नेता राहुल गांधी पार्टी को सही दिशा नहीं दे रहे हैं। सलमान के मुताबिक राहुल गांधी में समझ तो है लेकिन उनकी समझ पार्टी के लिए कुछ बड़ा नहीं कर पा रही है। पार्टी को इसका इंतजार है।
सलमान खुर्शीद ने अखबार को बेबाकी से कहा है कि राहुल गांधी पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता हैं लेकिन वो इस जिम्मेदारी को मानसिक तौर पर उठाने के लिए तैयार नहीं है। बल्कि ये कहा जाए कि वो नंबर दो के पोजिशन को स्वीकार करने के लिए अब भी तैयार नहीं है। उनका ये भी कहना है कि राहुल के मन बनाने तक पार्टी के पास इंतजार करने के अलावा और कोई चारा नहीं है।
अब सियासी फिजां में सलामन खुर्शीद के इस मुखर विरोध के मायने खोजे जाने लगे हैं। भले ही खुर्शीद अपने साक्षात्कार को तोड़ मरोड़ कर पेश करने के लिए मीडिया को कटघरे में खड़ा करना चाह रहे हों, पर यह तो माना जाने लगा है कि खुर्शीद का कहना काफी हद तक सही है कि यूपीए वन की जो हालत थी वो यूपीए दो की नहीं है जबकि ज्यादातर नेता वही हैं। खुर्शीद ने माना कि यूपीए दो में राजनीति गड़बड़ हो गई है इसलिए हालात लगातार बिखरने लगे हैं।
सियासी गलियारों में चटखारे लेकर यहां तक कहा जा रहा है कि प्रणव मुखर्जी ने 84 में सोनिया गांधी के पति और राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी का खुलकर विरोध किया था। उसके बाद वे कांग्रेस के लिए संजीवनी बन गए। अनेक मलाईदार पदों पर रहने के बाद अब कांग्रेस ने उन्हें देश के सबसे बड़े पद के लिए अपना उम्मीदवार भी नामांकित कर दिया है। इस लिहाज से कांग्रेस में वही पनपता है जो कांग्रेस के आला नेताओं के विरोध का साहस करने का माद्दा रखता हो।
माना जा रहा है कि महामहिम राष्ट्रपति चुनावों के उपरांत संभावित मनमोहन कैबनेट फेरबदल में कानून मंत्री सलमान खुर्शीद की नौकरी इसलिए खतरे में है क्योंकि अनेक मौलाना मौलवियों ने उनके खिलाफ सोनिया और राहुल के कान भरे हैं। अपनी कुर्सी बचाने के लिए संभवतः सलमान खुर्शीद ने यह पांसा फेंका है ताकि भले ही उन्हें कम ताकतवर कर कमजोर विभाग दे दिया जाए पर उनकी कुर्सी सलामत ही रहे।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने पर परिहास के मूड में कहा कि अगर सलमान खुर्शीद विरोध कर अच्छा पद पा लेते हैं तो वे भी सभी को यही सलाह देंगे कि सोनिया और राहुल का विरोध करो और कांग्रेस में उच्च पद के साथ ही साथ सत्ता सुख का लुत्फ उठाओ।

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