सुपर स्टार दिलीप
कुमार भी हैं डिफाल्टर!
(राजेश शर्मा)
भोपाल (साई)। मध्य
प्रदेश सरकार को ना जाने कितने डिफाल्टरों से पैसा वसूलना है। जब रिकार्ड खंगाला
गया तो पता चला इस फेहरिस्त में नामचीन हस्तियों का भी शुमार है। जी हां, गुजरे जमाने के
सुपर स्टार दिलीप कुमार भी मध्य प्रदेश की जनता के कर्जदार ही निकले।
ट्रेजेडी किंग के
नाम से मशहूर फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार की कंपनी मध्यप्रदेश के उद्योग विभाग की 218 करोड़ 85 लाख रुपए की
कर्जदार है। उनसे पैसा वसूलने के लिए कागज तैयार हो रहे हैं। दस करोड़ के चेक बाउंस
का एक केस हाल ही उनके खिलाफ कोर्ट में दायर किया गया है। उनके अलावा अकेले इंदौर
की करीब दर्जनभर कंपनियां भी विभाग का अरबों रुपया रोककर बैठी हैं। इन सभी के
खिलाफ चेक बाउंस, ईओडब्ल्यू
जांच आदि की कार्रवाई हो रही है।
दिलीप कुमार की
कंपनी का नाम है जीके एक्सिम इंडिया, जिस पर 24 करोड़ मूल और 194 करोड़ ब्याज मिलाकर
कुल 218।85 करोड़ रुपए बकाया
है। जिस वक्त लोन दिया गया था तब दिलीप कुमार कंपनी के डायरेक्टर थे। कंपनी पर
करीब 10 करोड़ रुपए
के चेक बाउंस का केस भी कॉपरेरेशन ने फाइल किया है। हालांकि कंपनी की ओर से हाल ही
में मूल का 25 प्रतिशत
देकर सेटलमेंट का ऑफर दिया गया है।
उधारी वसूलने के
लिए उद्योग विभाग (एमपीएसआईडीसी) में स्थिति विचित्र बन गई है। विभाग ने जिन 26 उद्योगों को लोन
दिया था उनका मूल छोड़कर अधिकारी अब ब्याज के उगाही के कारण माथे पर चिंता लिए घूम
रहे हैं। दरअसल दस साल पहले कुल 296 करोड़ रुपए का कर्ज इन कंपनियों को दिया गया
था। वसूली नहीं होने से अब इस राशि का सिर्फ ब्याज ही ढाई हजार करोड़ के पार पहुंच
गया है। कायदों के मुताबिक पूरी वसूली जरूरी है। विभाग ने अब कंपनियों के खिलाफ
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में शिकायत दर्ज कराई है।
एमपी स्टेट
इंडस्ट्रीयल डेवल्पमेंट कॉरपोरेशन ने आईडीबीआई बैंक और मुंबई की कुछ सहकारी बैंकों
से वर्ष 2002-03 में अपनी
गारंटी पर कम ब्याज पर पैसा लेकर उसे 42 कंपनियों को 20 से 24 प्रतिशत ब्याज दर
पर दिया था। कॉरपोरेशन की मंशा थी कि ब्याज की बढ़ी हुई दर से उसकी कमाई हो जाएगी
लेकिन हो गया उल्टा।कंपनियां पैसा लौटा ही नहीं रही हैं।हाल ही में कॉरपोरेशन ने
जनवरी 2012 तक की
कंपनियों की डिफाल्टर्स लिस्ट सार्वजनिक की है।
डिफाल्टरों की सूची
में कुछ ऐसे नाम भी शामिल हैं, इनमें से कुछ की कंपनियां चल रही हैं, जबकि कुछ की बंद हो
गई हैं लेकिन विभाग का मीटर चलता रहा। यही कारण है कि अब विभाग को कानूनी कार्रवाई
का सहारा लेना पड़ रहा है। सूत्रों का कहना है कि जिन कंपनियों को लोन दिया गया था
उनमें से 26 कंपनियों
की डिफाल्टर्स सूची तैयार की है। सभी मामलों को ईओडब्ल्यू को सौंपा गया है। कुछ के
खिलाफ चेक बाउंस के केस भी दायर किए हैं। अब कंपनियां कह रही हैं कि ब्याज छोड़कर
मूल का कुछ हिस्सा ले लें लेकिन यह संभव नहीं है।बड़ी स्थित सितारा होटल रॉयल
र्रिटीट में रेन पार्टी का आयोजन करने वालों के खिलाफ पुलिस और प्रशासन की ओर से
मुकदमा दर्ज किया जाएगा। पार्टी में नियमों, कानून और शर्ताे का उल्लंघन किया गया है। अब
तक की जांच में इस बात की पुष्टि हुई है।
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