विक्लांग कोच की
सीटें बेच देते हैं रेल्वे कर्मी
(रश्मि सिन्हा)
नई दिल्ली (साई)।
रेल्वे द्वारा शरीरिक तौर पर अक्षम लोगों के लिए आरक्षित एक कोच की सीट बेचने में
भी रेल्वे के कर्मी गुरेज नहीं करते हैं। अमूमन हर रेल में एक कोच विक्लांग लोगों
के लिए आरक्षित होता है, पर इस कोच में रेल कर्मियों की मिली भगत से सामान्य यात्रियों
का ही कब्जा होना आम बात हो गई है।
आम नागरिकों की
तुलना शारीरिक रूप से कमजोर विकलांग नागरिक को किसी भी तरह की परेशानी न हो, इसलिए प्रशासकीय महकमे
हमेशा सचेत रहते हैं। रेलवे प्रशासन ने भी ट्रेनों में विकलांगों को प्राथमिकता
देकर इनके लिए एक अलग बोगी आरक्षित रखी है, लेकिन कुछ लोग यहां भी उनका हक छीनने से बाज
नहीं आते।
समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया को मिली जानकारी के अनुसार ट्रेन में आरक्षित विकलांगों के डिब्बे में आम
नागरिक आराम से सफर कर रहे हैं, लेकिन उन्हें टोकने तक की फुर्सत किसी के
पास नहीं है। जिससे एक तरफ नियमों की अवहेलना हो रही है। वहीं संबंधित विभाग की
कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहा है।
पिछले एक अर्से से
देश भर में कमोबेश हर रेलवे स्टेशन से गुजरनेवाली कई गाड़ियों में विकलांगों के लिए
बनाए डिब्बे में आम नागरिक सफर करते दिखते हैं। अमूमन हर रेल गाडी में दर्जन से
ज्यादा आम नागरिक बोगी में सफर करते दिख जाते हैं नियमानुसार यदि विकलांगों का
डिब्बा खाली भी रहे तो इसमें आम नागरिक सफर नहीं कर सकते। यदि कोई इस डिब्बे में
सफर करता है, तो उस पर
कार्रवाई करने का अधिकार रेलवे विभाग को है, लेकिन कार्रवाई आखिर करे कौन?
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