गुरुवार, 19 जुलाई 2012

हरवंश ने लिखी सफलता की कहानी: जमीन उगलने लगी सोना


हरवंश ने लिखी सफलता की कहानी: जमीन उगलने लगी सोना

(शमीम खान)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व गृह मंत्री हरवंश सिंह ठाकुर ने सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं। हरवंश सिंह ने अपने खेतों में ना जाने कौन सी तकनीक विकसित की है कि इनके खेत अचानक ही कुछ सालों से सोना उगलने लगे हैं। एक मामूली मोटर सायकल से मंहगी पजेरो गाड़ी के सफर में हरवंश सिंह के इन खेतों में लहलहाती फसलों का भी खासा योगदान बताया जाता है।
मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा समय समय पर किसानों के इस तरह के प्रयोगों को संकलित कर सफलता की कहानीशीर्षक से समाचार जारी कर यह बताने का प्रयास किया जाता है कि एक किसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता है। बावजूद इसके मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग की नजरें मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर की ओर इनायत नहीं हुंईं। अगर एसा होता तो मध्य प्रदेश के किसान विशेषकर जनसेवक किसान तो कम से कम अपनी पैदावार बढ़ा ही लेते।
कांग्रेस पार्टी के एक साधारण कार्यकर्ता की हैसियत से बीते समय के ताकतवर आदिवासी नेता बसंतराव उइके के वाहन की पिछली सीट में बैठकर अपने राजनैतिक सफर की शुरूआत करने वाले हरवंश सिंह ने अपने सर्वाेदय के बाद आदिवासी नेतृत्व पनपने नहीं दिया। इस कार्य के लिये उन्होंने अपने राजनैतिक रसूख से ज्यादा उस आर्थिक ताकत का ज्यादा इस्तेमाल किया, जो उन्हें खेती- बाड़ी करके मिली थी।
एक अदनी सी मोटर सायकिल की मामूली किस्त चुकाने में असमर्थ हरवंशसिंह आज लाखों की शानदार लग्जरी पजेरो वाहन में घूम- घूमकर केवलारी विधानसभा के गरीब आदिवासी समाज के मतदाताओं से संपर्क करते हैं। उनकी काली राजदूत मोटर साईकिल से महंगी पजेरो गाड़ी तक का सफर इतना रोचक है कि यदि इस पर किताब लिखी जाये तो वह भारत की सर्वाधिक बिकने वाली किताबों की फेहरिस्त में न केवल शामिल होगी, बल्कि अनेक महत्वकांक्षी नेताओं और नेत्रियों के लिये श्श्बेस बुक्य्य का कार्य भी करेगी।
घोर आर्थिक विपन्नता का सामना करने वाले हरवंश सिंह के दरवाजे में समृद्धि ने उस समय से दस्तक देना प्रारंभ कर दिया था जब प्रदेश और देश की राजनीति के दिग्गज नेता अर्जुनसिंह की निगाहे करम उन पर पड़ी। हाथकरघा निगम के उपाध्यक्ष बनने के बाद हरवंश सिंह भोपाल के राजनैतिक सर्किट से जुड़ गये। अर्जुनसिंह के किचन तक पहुंच रखने वाले हरवंश सिंह को भोपाल के सत्ता गलियारों में अपनी पहचान बनाते देर नहीं लगी। राजनैतिक नेताओं की तुलना में उन्होंने बड़े- बड़े अधिकारियों से बेहतर संबंध बना लिया था।
आज एक आम व्यक्ति को भी यह जानकारी है कि सरकारी अधिकारियों के स्थानांतरण से लेकर विभिन्न तरह की मंजूरी, अनुमति, अनुशंसाओं से लेकर विभिन्न विभागों का बजट स्वीकृत कराने एवं अलग- अलग तरह के निर्माण कार्यों को कराने में अच्छी खासी कमाई होती है। उस दौर में जब अर्जुनसिंह मुख्यमंत्री थे, सभी नियमों को शिथिल करके काम किये जाते थे।
देश और प्रदेश में कांग्रेस का एकछत्र राज्य था। मीडिया और समाचार पत्रों की संख्या सीमित थी। आम जागरूकता की कमी और शिष्टाचार के साथ भ्रष्टाचार संपादित होता है। हरवंश सिंह ने सत्ता के गलियारे से संबंधित इन तमाम तरह के कार्यों को गहराई से समझा और अपने ऊपर लगे अर्जुनसिंह के ठप्पे का इस्तेमाल अपनी बेहतरी के लिये बेहतर ढंग से करना शुरू कर दिया।
नब्बे के दशक तक निर्माण कार्यों, रियल स्टेट का व्यवसाय मृत प्रायरू था। उस समय अच्छी- अच्छी मौके की जमीन बहुत ही सस्ते दर पर बिक जाती थी। उस जमाने में अतिरिक्त धन कमाने वाले अधिकांश नेता और अधिकारी अपने धन को एक नम्बर में परिवर्तित करने के लिये कृषि से होने वाली आय और इससे मिलने वाली छूट का बेहतर इस्तेमाल करते थे।
नब्बे के दशक के अंतिम वर्षों में समृद्धि ने हरवंश सिंह के घर का दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया। दूरदर्शी हरवंश सिंह ने भोपाल, सिवनी में जमीन खरीदना प्रारंभ कर दिया। शुरूआती तौर पर उन्होंने बर्रा एवं इसके आसपास के क्षेत्रों में कृषि और गैर कृषि योग्य जमीन खरीदने का जो सिलसिला प्रारंभ किया वह आज तलक जारी है।
किस्मत से इसी दौरान किसानों के लिये कथित तौर पर वरदान एवं लाभकारी सोयाबीन की फसल का प्रचलन भी प्रारंभ हुआ। जिले के बड़े किसान, पटेल और दादू साहब के परिवार लाखों की सोयाबीन बेचते थे, हरवंश सिंह के खेत करोड़ों की सोयाबीन की फसल दर्शाने लगे।

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