पता नहीं कैसे
पहुंचा थापर के प्लांट में चिंकारा का शव: डीएफओ सिंह
(नरेंद्र ठाकुर)
सिवनी (साई)। ‘‘पता नहीं झाबुआ
पावर प्लांट के चारों ओर से घिरे परिसर में चिंकारा यानी काले हिरण का शव कैसे
पहुंचा? जब किसी की
जान पर बन आती है तो वह कहीं से भी कहीं पहुंच सकता है। हिरण के शव का पोस्टमार्टम
करवा दिया गया है,
जिसमें उसकी मौत कुत्तों के काटने से होने की पुष्टि हुई है।
उसे गोली नहीं मारी गई है।‘‘ उक्ताशय की बात सिवनी के वनमण्डलाधिकारी ने
आज दूरभाष पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कही।
ज्ञातव्य है कि देश
के मशहूर उद्योगपति गौथम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान
मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में आदिवासी बाहुल्य
घंसौर विकासखण्ड के बरेला संरक्षित वन में लगने वाले कोल आधारित पावर प्लांट में
एक हिरण के शिकार की खबर से हड़कम्प मच गया था।
गौरतलब है कि सिवनी
जिले के घंसौर विकास खण्ड में ग्राम बरेला में अवंथा समूह के मालिक एवं मशहूर
उद्योगपति गौतम थापर द्वारा 1260 मेगावाट के दो पावर प्लांट की संस्थापना का
काम युद्ध स्तर पर जारी है। इस पावर प्लांट में अनेक अनियमितताओं के आरोप लगते रहे
हैं। बावजूद इसके केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार
एवं जिला प्रशासन के कानों में जूं भी नहीं रेंगी है।
हाल ही में मेसर्स
झाबुआ पावर लिमिटेड के इस पावर प्लांट के परिसर में एक तीन वर्षीय हिरण के शव के
मिलने से हड़कम्प मच गया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों के
अनुसार हिरण जिस स्थान पर पाया गया उसका वहां तक पहुंचना बेहद मुश्किल ही था, क्योंकि पावर
प्लांट के संयत्र के निर्माणाधीन स्थल को उंची चारदीवारी से चारों ओर से घेरा गया
है। इसमें जितने भी दरवाजे आवागमन के लिए बनाए गए हैं, उनमें चोबीसों घंटे
बंदूकधारी सुरक्षा कर्मी पहरा देते रहते हैं।
इतना ही नहीं घंसौर
में आदिवासियों के हितों पर कुठाराघात की शिकायतों के चलते आदिवासियों में पनप रहे
असंतोष के चलते संयंत्र की सुरक्षा इस कदर मजबूत रखी गई है कि वहां किसी चौपाया
जानवर का घुसना लगभग असंभव ही है। यहां आने जाने वाले आगंतुकों का प्रवेश भी पूरी
तरह से कड़ी निगरानी में ही होता है।
समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया के सिवनी ब्यूरो ने बताया कि घंसौर में निर्माणाधीन संयंत्र के अंदर अनैतिक
गतिविधियों की खबरें यदा कदा फिजां में तैरती रही हैं। अपुष्ट जानकारी के अनुसार
कुछ स्थानीय नेता नुमा ठेकेदारों द्वारा इस बरेला संरक्षित वन में बन रहे पावर
प्लांट में जानवरों का शिकार इनके स्वादिष्ट मांस के लिए किया जाता रहा है।
इस बख्तरबंद नुमा
परिसर में हिरण एवं कुत्तों का एक दल कैसे घुस आया इस पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए जा
रहे हैं। बताया जाता है कि हरण की मौत का कारण कुत्तों के के काटे जाने से दर्शाया
जा रहा है, किन्तु
हिरण के शरीर पर लगभग आठ इंच गहरा घाव इसकी पोस्ट मार्टम रिपोर्ट पर सवालिया निशान
लगाने के लिए पर्याप्त माना जा रहा है। आरोप प्रत्यारोप के दौर के बीच हिरण का
अंतिम संस्कार कर दिया गया।
पहले से ही छले गए
ग्रामीणों का आक्रोश उफान पर है। ग्रामीणों ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की
मांग की है। आशंका जताई जा रही है कि देश के सियासी गलियारे में खासा रसूख रखने
वाले अवंथा समूह के कर्णधार गौतम थापर के गुर्गों द्वारा इस मासूम हिरण को गोली
मारकर मौत के घाट उतार दिया फिर खबर लीक होने पर आनन फानन सरकारी औपचारिकताओं को
पूरा करवाकर उसका अंतिम संस्कार भी करवा दिया।
वन एवं पर्यावरण
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि गौतम थापर का यह पावर प्लांट बरेला संरक्षित वन
में बन रहा है, जिसके बारे
में खुद संयंत्र प्रबंधन द्वारा मंत्रालय में जमा कराए गए कार्यकारी सारांश में
इसका उल्लेख किया गया है। सूत्रों ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि बावजूद इसके
वन्य जीवों एवं अन्य वन्य संपदा को होने वाले नुकसान को नजर अंदाज कर आखिर कैसे इस
पावर प्लांट की संस्थापना को उस जगह अनुमति प्रदान कर दी गई?
सूत्रों ने यह भी
बताया कि मध्य प्रदेश में भाजपा का शासन है। भाजपा के खनिज और उर्जा मंत्री ने
पिछले दिनों क्षेत्रीय भाजपा विधायक श्रीमति शशि ठाकुर और जिला भाजपा को विश्वास
में लिए बिना ही चुपचाप जाकर लगभग एक हजार फुट उंची चिमनी की आधार शिला रख दी जो
खुद ही अपने आप संदेहों को जन्म दे रही है।
बहरहाल, इस संबंध में आज जब
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा सिवनी के मुख्य वन संरक्षक लल्लन चौधरी से चर्चा
की गई तो उन्होंने मामले को वन मण्डल अधिकारी वाय.पी.सिंह की ओर खसका दिया और श्री
सिंह से ही सारी जानकारी लेने की बात कह दी। साई न्यूज ने जब इस संबंध में डीएफओ
वाय.पी.सिंह से चर्चा की तो उनके तथ्यों से संयंत्र प्रबंधन के बचाव की बू आ रही
थी।
श्री सिंह ने छूटते
ही कहा कि कुत्तों ने उसका शिकार किया था, उसे गोली नहीं मारी गई थी। उन्होंने कहा कि
उस चिंकारा का शव परीक्षण कर लिया गया है। उसे कुत्तों द्वारा मारा जाना ही
प्रमाणित हो रहा है। जब श्री सिंह से इस ममाले में वन संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 39 एवं 9 के तहत कार्यवाही
की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा कि यह अवैध शिकार का मामला नहीं है, इसलिए इन धाराओं के
प्रयोग का सवाल ही नहीं उठता है।
श्री सिंह ने कहा
कि उन्हें भी हिरण को गोली मारे जाने की खबर मिली थी, किन्तु शव परीक्षण
प्रतिवेदन में इस तरह की बात का उल्लेख ना होना साफ दर्शाता है कि उस हिरण का
शिकार कुत्तों द्वारा ही किया गया है। जब श्री सिंह से यह पूछा गया कि चारों ओर से
बंद इस संयंत्र के परिसर में हिरण और कुत्ते कहां से चले गए तो उन्होंने कहा -‘‘जनाब जब जान पर बन
आती है तो फिर रास्ते खोजने मुश्किल नहीं होते हैं।‘‘
इस मामले को दिशा
भ्रमित करते हुए श्री सिंह ने कहा कि जब देश भर में तेंदुए, भालू लोगों के घरों
में घुस रहे हैं तो फिर एक चिंकारा अगर संयंत्र के बंद निर्माणाधीन स्थल पर घुस
गया तो कौन सी आफत आ गई। उन्होंने कहा कि उन्हें तो यह भी सूचना मिली थी कि किसी
ने गाड़ी में ले जाकर उसे संयंत्र के अंदर फेंक दिया था।
डीएफओ वाय.पी.सिंह
ने आगे कहा कि उसका शव परीक्षण और अंतिम संस्कार वहां तैनात उप वन क्षेत्रपाल की
उपस्थिति में संपन्न हुआ, जबकि विभागीय सूत्रों का कहना है कि इसका शव परीक्षण और अंतिम
संस्कार कम से कम वन क्षेत्रपाल स्तर के अधिकारी की उपस्थिति में किया जाना चाहिए
था।
क्षेत्र में
व्याप्त चर्चाओं के अनुसार बरेला, संरक्षित वन में बन रहे देश के मशहूर
उद्योगपित गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स
झाबुआ पावर लिमिटेड के संयंत्र निर्माण स्थल के आसपास जंगली जानवरों का अवैध शिकार
जमकर किया जा रहा है। इस क्षेत्र में अधिकतर आबादी भोले भाले आदिवासियों की है, जिन्हें इन
आताताईयों द्वारा डरा धमका कर शांत करा दिया जाता है।
चर्चा तो यहां तक
है कि बरेला स्थित निर्माणाधीन संयंत्र स्थल पर महाप्रबंधक के कार्यालय के साथ लगी
मैस की रसाई में भी इस तरह के जंगली जानवरों को मारकर पकाया जाता है। इन बातों में
कितना दम है यह तो शिकारी जानें, वन विभाग के कारिंदे या फिर संयंत्र प्रबंधन, किन्तु संयंत्र की
चाक चौबंद सुरक्षा के बाद इस परिसर में एक चिंकारा ओर कुत्तों की फौज का घुसना
वाकई में आठवंे अजूबे से कम नहीं है।
बहरहाल, अब जबकि एक वन्य
जीव का शव संदिग्ध हालत में गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी
प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के पावर प्लांट के संयंत्र स्थल पर मिला है, तब देखना यह है कि
केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश
प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक
श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी
समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह
मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा
उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर इस बारे में क्या कदम उठाते हैं?
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