मंत्रियों और
नौकरशाहों पर कसेगा शिकंजा
(दिशा कुमारी)
देहरादून (साई)।
भारी मशक्कत के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने से लेकर चार महीनों में
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने सभी प्रतिकूल परिस्थितयों में अपने आप को खरा साबित
किया है। अब वह राज्य की नौकरशाहों और अपने मंत्रिमण्डल के सहयोगियों की नब्ज
टटोलने जा रहे हैं। 26 जुलाई से आठ अगस्त तक तमाम विभागों के मंत्रियों और सचिवों
सहित अधिकारियों की एक-एक कर वे क्लास लेंगे कि उन्होंने इन चार महीनों में क्या
बांचा है और प्रदेशवासियों की कसौटी पर वे कितना खरा उतरे हैं।
मुख्यमंत्री विजय
बहुगुणा के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सीएम ने
मंत्रियों, अधिकारियों
की इस परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र भी तैयार कर दिया है। जिन प्रश्नों में पिछले
चार माह में विभाग द्वारा विशेष उपलब्धियां, विभाग की प्राथमिकताएं और लक्ष्यों का
निर्धारण, वार्षिक
योजना, केंद्र व
बाह्य योजनाएं व फ्लैगशिप कार्यक्रम, विभागीय महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और विभागीय
योजनाओं की प्रगति की समीक्षा, 10 करोड़ रुपयों से अधिक रुपयों के निर्माण
कार्यों की समीक्षा,पारदर्शिता
के लिए आई.टी. व ई-गर्वनेंस का उपयोग, पूंजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए
पॉलिसी का फ्रेम वर्क, पीपीपी मोड़ में संचालित एवं प्रस्तावित योजनाओं की स्थिति, विकास कार्यक्रमों
और योजनाओं में तृतीय पक्ष के मूल्यांकन की व्यवस्था, केंद्र स्तर पर
लंबित प्रकरणों की स्थिति व महत्वपूर्ण नीति निर्धारण के लिए लंबित विषय और
विभागीय समस्याएं शामिल हैं।
मुख्यमंत्री की इस
योजना में मुख्यमंत्री 32 महत्वपूर्ण विभागों की आठ दिनों में समीक्षा करेंगे, इसके लिए विभागों
को पूर्व निर्धारित प्रपत्र भी बनाकर दे दिया गया है, ताकि बिंदुवार
जानकारी अधिकारी मुख्यमंत्री के सामने रख सकें, इतना ही नहीं इस
परफ ार्मा में विभाग की पूरी जन्मकुण्डली भी मांगी गई है, जिसमें विभाग को
उपलब्ध कुल बजट, विभाग
द्वारा जारी स्वीकृतियां, विभाग द्वारा बजट में से व्यय और उस व्यय का आकलन सहित
स्वीकृति के अनुसार व्यय का आकलन आदि विषय रखा गया है।
यहां यह भी
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड की ब्यूरोक्रेसी पर गाहे-बगाहे निरंकुश शासन चलाने का आरोप भी लगता रहा है।
मुख्यमंत्री की यह पहल विभागीय अधिकारियों और मंत्रियों पर कितनी कारगर साबित होगी
और प्रदेश की जनता को इससे कितना लाभ होगा, यह तो
परीक्षा के परिणाम के बाद ही पता चलेगा, लेकिन यह तय है कि
अब तक जनता के सवालों के जवाबों से बच रही ब्यूरोक्रेसी के सामने कठिन दौर आने
वाला है।
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