मेडम माया से पींगे
बढ़ा रहे खुर्शीद!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद द्वारा कांग्रेस की नजरों में भविष्य के
वज़ीरे आज़म राहुल गांधी के खिलाफ दिए कथित बयान के निहितार्थ अब भी खोजे जा रहे
हैं। लोग सलमान खुर्शीद की इस दिलेरी के जलते लट्टू के पीछे कौन सी बैटरी का करंट
है, इस बात को
खोजने में लगे हुए हैं। सियासी हल्कों में कहा जाने लगा है कि खुर्शीद का दिल अब
कांग्रेस से भर गया है और वे अब बसपा से पींगे बढ़ाने की जुगत में हैं।
उत्तर प्रदेश की
सियासी फिजां पर अगर नज़र डाली जाए तो साफ हो जाता है कि यूपी के कांग्रेसी
क्षत्रपों को अब सूबे से सांसद सोनिया गांधी और राहुल गांधी से चमत्कार की उम्मीद
नहीं बची है। उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही कांग्रेस की दुर्गति के चलते
कांग्रेस के आला नेताओं की नजरें सूबे की अन्य सियासी पार्टियों पर टिकना
स्वाभाविक ही है।
अखिल भारतीय
कांग्रेस कमेटी के नेशनल हेडक्वार्टर, 24, अकबर रोड़ में चल रही चर्चाओं पर अगर यकीन
किया जाए तो अल्प संख्यक मामलों के मंत्री सलमान खुर्शीद इन दिनों बसपा सुप्रीमो
मायावती के संपर्क में हैं और वे अगले आम चुनावों के पहले ही कांग्रेस के अपने
पंजे से टाटा कहकर हाथी की सवारी गांठ सकते हैं।
हाल ही में
कांग्रेस के सबसे ताकतवर महासचिव राहुल गांधी पर सलमान खुर्शीद के कथित हमले को
इसी परिपेक्ष्य में भी देखा जा रहा है। बताया जाता है कि सलमान खुर्शीद के
ताल्लुकात मायावती से काफी अच्छे हैं। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि खुर्शीद अगर
बसपा में जाते हैं तो वे कांग्रेस से कंफर्टेबल पोजीशन में होंगे।
उधर, मायावती भी इन
दिनों एक अदद प्रभावशाली मुस्लिम चेहरे की तलाश में बताई जा रही हैं। वैसे भी
खुर्शीद दो मर्तबा उत्तर प्रदेश के कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। यह बात
मायावती भली भांति जानती हैं। माया को संभवतः यह अनुमान भी है कि अगर खुर्शीद बसपा
ज्वाईन करते हैं तो सूबे में खुर्शीद के अनेक समर्थक भी बसपा की राह पकड़ लेंगे और
मायावती एक ही तीर से कांग्रेस के साथ ही साथ मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी
के मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध लगा लेंगी।
ज्ञातव्य है कि इस
साल मार्च माह के बाद से ही केंद्रीय कानून और अल्प संख्यक कल्याण मंत्री सलमान
खुर्शीद पर राहू की कुदृष्टि पड़ती दिख रही थी। खुर्शीद का विरोध अब मुखर होता जा
रहा है। खबरें यहां तक हैं कि कांग्रेस अब खुर्शीद के स्थान पर नए मुस्लिम चेहरे
की तलाश में जुट गई है।
कांग्रेस की सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया
गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों
अल्प संख्यक समुदाय के प्रतिनिधि मण्डलों और नेताओं ने सोनिया गांधी से भेंट कर
सलमान खुर्शीद के खिलाफ जमकर कान भरे। सभी नेताओं और प्रतिनिधियों ने सोनिया को दो
टूक कह दिया कि अगर सलमान खुर्शीद की अल्प संख्यक कल्याण मंत्रालय से छुट्टी नहीं
की गई तो वे कांग्रेस से किनारा करने में देर नहीं लगाएंगे।
सूत्रों की मानें
तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सकेरेटरी मौलाना रहमानी पहले ही सोनिया गांधी को
पत्र लिखकर सलमान से अपनी नाराजगी का इजहार कर चुके हैं। इस पत्र में रहमानी ने
मुसलमीनों को राहत देने वाली योजनाओं की नाकामयाबी को रेखांकित करते हुए सलमान
खुर्शीद को हटाने की मांग की है।
उधर, कांग्रेस के युवराज
राहुल गांधी के साथ उर्दू भाषाई संपादकों की बैठक में अल्पसंख्यकों विशेषकर
मुस्लिमों के लिए कांग्रेस नीत केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के परवान ना चढ़
पाने का मामला जोरदारी से उछला। उस बैठक में उपस्थित राहुल के करीबी सूत्र का कहना
है कि संपादकों से चर्चा के दौरान ही राहुल ने कागज पर कुछ लिखकर जेब में रख लिया
था, जो संभवतः
सलमान खुर्शीद की बिदाई का फरमान साबित हो सकता है।
सलमान खुर्शीद के
किचिन कैबनेट से छन छन का बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो केंद्रीय
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से भेंट करने उनके आवास पर पहुंचे मौलवियों पर सलमान
के पालतू कुत्ते टूट पड़े। कुत्तों ने मौलवियों को जमकर खदेड़ा। नाराज मौलवी यह
शिकायत करते फिर रहे हैं कि उन पर कुत्ते छोड़ दिए गए। अब कुत्ते भी सलमान खुर्शीद
के गले की फांस बनकर रह गए हैं।
एआईसीसी के सूत्रों
ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि खुर्शीद के पर कतरने की खबरें भी अंदर ही
अंदर आग की तरह फैल गईं। फिर क्या था, कांग्रेस के नेताओं ने खुर्शीद को भाव देना
भी बंद कर दिया। पिछले दिनों भोपाल यात्रा पर गए सलमान खुर्शीद से मिलने कोई नेता
नहीं पहुंचा तो वहीं दूसरी ओर उन्होंने भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय जाने
की जहमत नहीं उठाए। वहीं दूसरी ओर भाजपा सरकार के सत्कार से प्रफुल्लित खुर्शीद ने
गुफरान आजम की तारीफ में कशीदे गढ़कर सभी को चौका दिया था। माना जा रहा है कि खुर्शीद
भी इन सारी स्थितियों परिस्थितियों के आगे अपने आप को कांग्रेस में असहज ही महसूस
कर रहे हैं।
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