बिहार समेटे है
एतिहासिक धरोहरें
(नीलिमा सिंह)
पटना (साई)।
यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग का हीरक जयंती समारोह गुरुवार को संपन्न हो गया।
समापन समारोह के मुख्य वक्ता थे प्रख्यात पुरातत्वविद डा। मोहम्मद केके। इस मौके
पर इतिहास विभाग के 60 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में डा। ओमप्रकाश प्रसाद की
पुस्तक ‘इतिहास-
इतिहास विभाग का’ विमोचन
हुआ। वहीं दरभंगा हाउस में बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय की प्रदर्शनी देखने के
लिए इतिहास में रुचि रखने वाले लोग उमड़ते रहे।
डा. मोहम्मद ने कहा
कि बिहार ऐतिहासिक धरोहरों का खजाना है। बिहार के धरोहरों को अगर सही तरीके से
सहेजा जाये और प्रचारित किया जाये, तो राज्य की तसवीर बदल सकती है। खासतौर से
नालंदा के अवशेषों और राज्य भर में स्थित महात्मा बुद्ध से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों
पर उनका ज्यादा जोर था। अपने संबोधन के दौरान डा.मोहम्मद ने पावर प्रेंजेटेशन के
जरिये तमाम स्थानों को दिखाया और विस्तार से उसके महत्व समेत तमाम चीजों पर चर्चा
की।
पटना यूनिवर्सिटी
के कुलपति डा. शंभुनाथ सिंह ने इतिहास विभाग को 60 साल पूरा करने पर
बधाई देते हुए कहा कि इतिहास बहुत महत्वपूर्ण विषय है और यूनिवर्सिटी का सबसे बड़ा
विभाग भी है। उन्होंने कहा कि हिस्ट्री का रोल इसलिए भी बढ़ जाता है कि जब तक आप
इतिहास को नहीं समङोंगे भविष्य को नहीं समझ सकते।
विभाग द्वारा
पुस्तक प्रकाशित करने को बेहतर प्रयास बताते हुए कुलपति ने इतिहासकारों से पटना
यूनिवर्सिटी की इतिहास से संबंधित पुस्तक प्रकाशित करने का आग्रह किया। साथ ही कहा
कि इसके लिए यूनिवर्सिटी सहयोग करेगा। उन्होंने हिस्ट्री को रिवैल्यूयेट करने और
शो केस करने पर बल दिया।
इतिहास विभाग की
प्रमुख डॉ. भारती एस कुमार ने कहा कि पीयू इतिहास विभाग के अनेक छात्रों ने सफलता
के प्रतिमान स्थापित किये हैं। संतोष का विषय यह है कि जहां पारंपरिक विषयों के
प्रति युवाओं का रुझान घट रहा है, वहीं इतिहास विभाग में अभी भी एडमिशन के लिए
स्टूडेंट्स की भीड़ लगती है।
इतिहास विभाग के
हीरक जयंती वर्ष में सालों भर कार्यक्रम होंगे। इस क्रम में विभाग के वैसे
प्रख्यात टीचर दिवंगत होने के बावजूद आज भी उनका नाम सबकी जुबान पर है, वैसे टीचरों की
स्मृति में मेमोरियल लेक्चर का आयोजन किया जाएगा। इस कड़ी में प्रो. केके दत्ता, प्रो. आरएस शर्मा
और सैयद हसन असगरी की याद में मेमोरियल लेर का आयोजन होगा।
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