शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

कहर ढा रहा है जानलेवा एड्स


कहर ढा रहा है जानलेवा एड्स

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। नब्बे के दशक के आरंभ के साथ ही दुनिया में आई एक नई बीमारी एड्स का दानव अब विकराल होता जा रहा है। जरा सी असावधानी पर इससे संक्रमित होने वालों की तादाद में तेजी से इजाफा दर्ज किया जा रहा है। इक्कीसवीं सदी के पहले दशक की समाप्ति के साथ ही एड्स को एक बार फिर हल्के रूप में लिया जाने लगा है।
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक नई रिपोर्ट में कहा कि दुनिया में 3.42 करोड़ लोग जानलेवा एचआईवी के संक्रमण के शिकार हैं। पिछले वर्ष 25 लाख नए लोग इससे संक्रमित हुए। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2011 में एड्स सम्बन्धी बीमारियों ने करीब 17 लाख लोगों की जान ली। इस दौरान महज 80 लाख लोगों को ही एड्स का इलाज मिल सका, जो वर्ष 2010 के मुकाबले 20 प्रतिशत ज्यादा है। वर्ष 2010 में महज 66 लाख लोगों को ही इलाज मिल सका था।
एचआईवी (एड्स) पर संयुक्त राष्ट्र के संयुक्त कार्यक्रम (यूएनएड्स) की ओर से जारी रिपोर्ट टूगेदर वी विल एंड एड्समें वर्ष 2015 तक 1.5 करोड़ एड्स पीड़ितों को इलाज मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है। रिपोर्ट में यह भी कहा है कि वर्ष 2011 में और 3,30,000 बच्चे एचआईवी संक्रमण के शिकार हुए हैं। यह संख्या वर्ष 2003 के मुकाबले आधा है। वर्ष 2003 में 5,70,000 बच्चे एचआईवी संक्रमण के शिकार हुए थे।
रिपोर्ट में कहा है कि बच्चों में संक्रमण में लगातार दूसरे वर्ष गिरावट दर्ज की गई। अनुमान के अनुसार वर्ष 2011 में एचआईवी संक्रमण की शिकार 15 लाख गर्भवती महिलाएं कम और मध्यम आय वर्ग वाले देशों में थीं। वर्ष 2011 में ऐसी 57 प्रतिशत महिलाओं को इलाज मुहैया कराया, ताकि उनके बच्चों को एचआईवी संक्रमण न हो। यह वर्ष 2010 के मुकाबले 48 प्रतिशत ज्यादा है।

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