कांग्रेस भाजपा के
खिलाफ ना लिखना वर्ना. . .!
देश में प्रेस की अघोषित सैंसरशिप लागू
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
सियासी हालात इतने बेकाबू हो चुके हैं कि वर्तमान में केंद्र की कांग्रेसनीत
संपग्र सरकार और देश के हृदय प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ अगर कोई बात लिखी तो
उसकी खैर नहीं! जी हां, इक्कसवीं सदी के दूसरे दशक के आगाज के साथ ही इस तरह की
परिस्थितयां बनती जा रही हैं कि चाटुकारिता करने पर ही सम्मान और सुविधाएं तय हो
रही हैं। कांग्रेस और भाजपा द्वारा प्रजातंत्र का परोक्ष तौर पर गला घोंटने का
कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।
यद्यपि सरकार ने
आश्वासन दिया है कि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर सेंसर लगाने का उसका कोई इरादा नहीं
है। विधि मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि इस संदर्भ में पर्याप्त प्रावधान मौजूद
हैं। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय आपत्तिजनक सामग्री के मामले पर सभी संबंध पक्षों
से विचार-विमर्श कर रहा है। नई दिल्ली में एडीटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को संबोधित
करते हुए उन्होंने कहा कि उनके सहयोगी और सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल
देश में इंटरनेट पर सेंसर का समर्थन नहीं किया है और सभी सम्बद्ध पक्ष आपत्तिजनक
सामग्री को हटाने के मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार हैं। सोशल मीडिया बेवसाइट के
नियमन पर उन्होंने कहा कि इस बारे में पर्याप्त प्रावधान उपलब्ध हैं।
तथापि, कांग्रेस के सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद सोनिया गांधी को आवंटित
सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी के निर्देश पर
केंद्रीय सूचना और प्रोद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने मोर्चा संभाल लिया है।
सूत्रों ने साई न्यूज से चर्चा के दौरान यह भी कहा कि प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और
वेब मीडिया को साधने की जवाबदेही सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी और भारतीय
प्रशासनिक सेवा के मध्य प्रदेश काडर के एक वरिष्ठ अधिकारी और आई एण्ड बी
मिनिस्ट्री के सचिव उदय वर्मा के कांधों पर रखी गई है। ना मानने पर इन मीडिया
संस्थानों के विज्ञापनों में कटौती की बात भी कही जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि
चूंकि मीडिया को भले ही साध लिया जाए पर पिछले कुछ सालों से अस्तित्व में आए सोशल
मीडिया और सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स ने राजनेताओं को नग्न करना आरंभ कर दिया है, इसलिए इसकी मुश्कें
भी कसना अनिवार्य हो गया है। दरअसल, सरकारों द्वारा मीडिया को तो साध लिया जाता
है पर सोशल मीडिया और नेटवर्किंग वेब साईट्स द्वारा जब असलियत उजागर की जाती है तब
ना केवल सरकार की किरकिरी होती है, बल्कि इन मीडिया संस्थानों की विश्वसनीयता
पर भी प्रश्न चिन्ह लग जाता है।
सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि कांग्रेस की राजमाता को प्रसन्न करने की गरज से
कपिल सिब्बल द्वारा कांग्रेस विशेषकर सोनिया और राहुल की छवि को खराब होने से
रोकने के लिए सोनिया को बताया कि उन्होंने उन लोगों की ईमेल आईडी ही ब्लाक करवाना
आरंभ कर दिया है जिनके निशाने पर कांग्रेस, सोनिया और राहुल हैं।
ज्ञातव्य है कि
सोशल नेटवर्किंग वेब साईट्स पर आपत्तिजनक सामग्री हटाने के केंद्र सरकार के अनुरोध
पर जब साईट्स के संचालकों ने हाथ खड़े कर दिए तब मजबूरी में सरकार को ही आगे आना
पड़ा है। अश्लील समाग्री हटाने के नाम पर सरकार द्वारा अघोषित तौर पर प्रेस की
सैंसरशिप लागू करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। आरोप तो यहां तक है कि
कांग्रेस के हाथों कठपुतली बना नब्बे के दशक के उपरांत अस्तित्व में आया ‘घराना मीडिया‘ भी पूंजीपतियों की
देहरी पर जनसेवकों की थाप पर मुजरा कर ‘बख्शीश‘ बटोर रहा है।
कहा तो यहां तक भी
जा रहा है कि छोटे पर्दे यानी टीवी और रूपहले पर्दे पर सरेआम अश्लील दृश्य, संवाद दिखाए जाते
हैं वहीं दूसरी ओर सरकार के गलत कदमों की खिलाफत करने वालों का गला घोटने की कवायद
हो रही है। भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के विज्ञापन जारी करने वाले
प्रभाग डीएवीपी में तो सरकार के पक्ष में माहौल बनाने के एवज में खासा पैकेज
दिलाने के लिए दलालों का एक गिरोह भी सक्रिय बताया जाता है।
इतना ही नहंी देश
के हृदय प्रदेश मे शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में भी कमोबेश
इसी तरह की आहटें सुनाई दे रही हैं। पिछले माह एक भाजपा के अध्यक्ष नितिन गड़करी को
लिखे एक पत्र में एक पत्रकार द्वारा इसी तरह की पीड़ा का इजहार किया गया था, जिसमें मध्य प्रदेश
जनसंपर्क विभाग में एक अधिकारी विशेष को ताकतवर किया जाकर पत्रकारों को भाजपा की
मानसिकता में ढालने के परोक्ष आरोप भी लगे थे।
कहा तो यहां तक भी
जा रहा है कि मध्य प्रदेश में जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी होने वाली खबरों में
सरकार की छवि चमकाने की कोई मंशा नजर नहीं आती है। पिछले माह न्यूयार्क में मिले
मध्य प्रदेश को एक बडे सम्मान की खबर भी सम्मान मिलने के तीन दिन बाद ही जारी की
गई थी।
इतना ही नहीं पूर्व
में मध्य प्रदेश सरकार की छवि चमकाने के लिए पाबंद जनसंपर्क विभाग के दिल्ली स्थित
सूचना केंद्र पर भी सरकार के बजाए संगठन के कार्यालय बनने के आरोप लगे थे। इस साल
सेवानिवृत हुए दिल्ली में पदस्थ एक अधिकारी द्वारा पत्रकारों को दी जाने सुविधाएं
आदि को मीडिया को ना देकर भाजपा के सांसद विधायकों को देने के आशय की खबरें भी
मीडिया में सुर्खियां बनीं पर बेनतीजा ही रहीं।
आरोपित है कि
दिल्ली के मंहगे व्यवसायिक इलाके कनाट प्लेस के बाराखम्बा रोड़ पर बी 8, स्टेट एम्पोरिया
काम्पलेक्स स्थित मध्य प्रदेश के जनसंपर्क विभाग का सूचना केंद्र उक्त अधिकारी की
सेवानिवृति तक भाजपा संगठन के प्रचार प्रसार का कार्यालय बन चुका था। जिसकी शिकायत
दिल्ली रहकर मध्य प्रदेश कव्हर करने वाले पत्रकारों ने समाचार और अन्य माध्यमों से
उच्चाधिकारियों को भी की थी।
देश के हृदय प्रदेश
की राजधानी भोपाल में वाणगंगा स्थित जनसंपर्क संचालनालय के सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि भाजपा सरकार के बजाए संगठन को बढ़ावा देने के
पारितोषक के बतौर जनसंपर्क विभाग एक मीडिया पर्सन को जिनके वोटर आईडी कार्ड में
पता द्वारका, दिल्ली का
डला है को भोपाल के एक पते पर ही दिल्ली में पदस्थ रहे अपर संचालक स्तर के उक्त
सेवा निवृत अधिकारी के दबाव में स्वतंत्र पत्रकार के बतौर अधिमान्यता दे डाली।
केंद्र में
कांग्रेस और प्रदेश में भाजपा दोनों ही मीडिया पर अंकुश लगवाकर सरकार के बजाए
संगठन की छवि को ही चमकाने के प्रयास में नजर आ रहे हैं जो आश्चर्य का ही विषय
माना जा रहा है। अब यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि देश में प्रजातंत्र का गला
घोंटकर अब या तो ब्रितानी गुलामी की जंजीरों को एक बार फिर कसने का प्रयास किया जा
रहा है। वैसे इस तरह के कदमताल से इंदिरा गांधी के समय के आपातकाल की पदचाप भी सुनाई
दे रही है। आने वाले समय में अगर कांग्रेस या भाजपा संगठन के खिलाफ समाचार लिखने
वाले पत्रकारों या प्रकाशन वाले मीडिया संस्थानों के खिलाफ दमनात्मक कार्यवाही
आरंभ हो जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
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