शिवराज का होगा
पुनर्वास!
खाटी मराठा क्षत्रप की खोज में हैं सोनिया
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
कांग्रेस के मराठा क्षत्रप विलास राव देशमुख के अवसान के साथ ही राकांपा सुप्रीमो
शरद पंवार द्वारा तल्ख तेवरों के संकेत ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी
की नींद उड़ा दी है। यद्यपि सोनिया ने मराठा क्षत्रप सुशील कुमार शिंदे को देश के
गृह मंत्री की कमान सौंपकर ताकतवर बना दिया है, पर सोनिया को शिंदे
से ज्यादा उम्मीद नजर नहीं आ रही है। सोनिया चाह रही हैं कि शिवराज पाटिल एक बार
फिर मुख्यधारा में लौटें।
कांग्रेस की सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद श्रीमति सोनिया गांधी को
आवंटित सरकारी आवास) के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि शिवराज
पाटिल के गृह मंत्री के पद से हटने और फिर राज्यपाल बनने से कांग्रेस में मराठा
क्षत्रप की कमी शिद्दत से महसूस की जा रही थी। विलास राव देशमुख ने इस वेक्यूम को
काफी हद तक भर दिया था। उनके अवसान के उपरांत अब एक बार फिर कांग्रेस का कलश
शक्तिशाली मराठा क्षत्रप से रीत गया है।
देखा जाए तो सुशील
कुमार शिंदे अवश्य ही मराठा क्षत्रप की श्रेणी में हैं, पर उनका प्रभाव
बहुत ज्यादा नहीं कहा जा सकता है। साथ ही साथ बिजली मंत्री रहते हुए शिंदे पर यह
आरोप थे कि वे उद्योगपतियों के हाथों में खेल रहे थे। विलासराव के बीमार पड़ने पर
मजबूरी में सोनिया गांधी ने उन्हें देश का गृह मंत्री बनाया था।
देशमुख के निधन के
बाद अब एक बार फिर मराठा क्षत्रप शरद पंवार ने अपनी तलवार पत्थर पर पजाना आरंभ कर
दिया है। इसे देखकर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की पेशानी पर पसीने की
बूंदे साफ दिखाई पड़ने लगी हैं। वैसे भी सुशील कुमार शिंदे कई मर्तबा शरद पंवार को
अपना राजनैतिक गुरू भी निरूपित कर चुके हैं। इसलिए शिंदे से यह उम्मीद करना कि वे
पंवार को संभालेंगे,
बेमानी ही होगा।
सोनिया के करीबी
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सोनिया के राजनैतिक सचिव अहमद
पटेल के साथ रायशुमारी के बाद यह निश्कर्ष निकाला गया है कि शिवराज पाटिल का वनवास
समाप्त कर उन्हें सक्रिय राजनीति में वापस लाया जाए और महाराष्ट्र के गढ़ को
सुरक्षित किया जाए। पाटिल वैसे तो विलासराव देशमुख के गृह जिले लातूर से हैं और वे
लिंगायत समुदाय के हैं।
पाटिल को मुख्यधारा
में लाने से कांग्रेस को कर्नाटक में भी फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
उम्मीद की जा रही है कि पाटिल को अगर वापस मुख्य धारा में लाया जाता है तो मराठा
क्षत्रप शरद पंवार को साईज में रखने में कांग्रेस को बेहद आसानी होगी। सोनिया
गांधी को इन खबरों ने निराश अवश्य ही किया है कि शिवराज पाटिल ने विलासराव की
अंत्येष्ठी में शामिल होना भी मुनासिब नहीं समझा।
सोनिया के करीबी
सूत्रों का कहना है कि शरद पंवार की मश्कें कसने के लिए मराठा क्षत्रपों के नामों
पर विचार मनन आरंभ ही है। मराठा क्षत्रप विलास मुत्तेमवार, हर्षवर्धन पाटिल, बालासाहेब धोराट
आदि के नामों पर भी विचार चल रहा है। सूत्रों की मानें तो मुत्तेमवार की लाटरी
लगने की संभावनाएं बेहद ज्यादा इसलिए भी हैं क्योंकि अगले आम चुनाव में वे भाजपा
के निजाम नितिन गड़करी के सामने हो सकते हैं। मुत्तेमवार को विलासराव के स्थान पर
केंद्र में जगह मिल सकती है।
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