शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

‘प्रतिद्वंद्वी नहीं साझेदार’ है भारत: चीन


प्रतिद्वंद्वी नहीं साझेदारहै भारत: चीन

(साई इंटरनेशनल डेस्क)

बीजिंग (साई)। दक्षिण एशिया में प्रभाव बढ़ाने के अपने प्रयासों को लेकर उत्पन्न चिंताओं के बीच चीन ने भारत को अपना प्रतिद्वंद्वी नहीं साझेदारबताया है तथा क्षेत्रीय सम्पर्क सुधारने के वास्ते उसके सहित दक्षेस के अन्य देशों के साथ कार्य करने को लेकर सहमति जतायी है।
चीन की उप विदेश मंत्री फू इंग ने भूटान और नेपाल की अपनी यात्राओं से लौटने के बाद कहा, ‘मेरे विचार में चीन और भारत प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि साझेदार हैं। हाल के वर्षों में चीन-भारत के संबंधों में मजबूत प्रगति हुई है जिसके लिए दोनों देशों के नेताओं की सहमति को धन्यवाद दिया जाना चाहिए।
फू इंग ने भूटान और नेपाल की अपनी यात्रा के दौरान इन दोनों देशों के नेताओं के साथ गहन वार्ता की। उन्होंने सरकारी समाचार पत्र के साथ साक्षात्कार में दक्षिण एशिया में चीन की नीतिगत पहलों को रेखांकित करते हुए कहा कि इस देश के दक्षेस देशों के साथ संबंधों में सुधार का अन्य देशों के हित प्रभावित नहीं होंगे।
भूटान और नेपाल के साथ भारत के नजदीकी संबंधों के संदर्भ में क्षेत्र में भारत और चीन के बीच रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता के बारे में पूछे जाने पर फू इंग ने कहा भूटान और नेपाल सहित दक्षिण एशियाई देशों के साथ संबंध सुधारने के चीन के प्रयास का निशाना कोई अन्य तीसरा देश नहीं है, ना ही इससे अन्य देशों के हित प्रभावित होंगे। इसकी बजाय इससे क्षेत्र की समृद्धि में ही बढ़ोतरी होगी।
उन्होंने कहा, ‘चीन क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करने के लिए भारत के साथ सहयोग बढ़ाने को तैयार है। मिसाल के तौर पर यदि चीन, भारत और दक्षिण एशियाई देश एकसाथ मिलकर कार्य करें और क्षेत्र में मजबूत विकास से स्वयं लाभ उठायें तो सम्पर्क की जरूरत बेहतर ढंग से पूरी हो सकती है।ऐसा संभवतर पहली बार है जब चीन ने स्वयं और दक्षेस देशों के साथ सम्पर्कके बारे में बात की है।

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