कांतिलाल भूरिया:
दुश्मन शरणम गच्छामि
(रविन्द्र जैन)
भोपाल (साई)।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने पिछले सवा साल में विपक्ष में कम और
अपनी पार्टी में ही ज्यादा दुश्मन बना लिये थे। दिल्ली की फटकार के बाद भूरिया
दुश्मन शरणम गच्छामी की मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं। वे कभी अपने सबसे बड़े विरोधी
केके मिश्रा को सुस्वादिष्ट भोजन पर बुला रहे हैं तो कभी एक और बड़े विरोधी असलम
शेर खान को रोजा अफ्तारी के नाम से बुलाकर गले लगा रहे हैं। भूरिया और कांग्रेस को
पानी पी-पीकर कोस रहे गुफराने आजम की औकात भी पार्टी में अचानक बढ़ गई है। भूरिया
सूर्ख गुलाब के फूल लेकर उन्हें देखने अस्पताल पहुंचे और मतभेद भुलाने का आग्रह भी
कर आए।
सबसे पहले बात करते
हैं कांग्रेस के धारदार प्रवक्ता रहे केके मिश्रा की। मिश्रा ने जब भाजपा
समर्थित खनिज माफिया के खिलाफ मोर्चा खोला
तो भूरिया की टीम ने उनका मुंह बंद करने की कोशिश की। मिश्रा नहीं माने तो उनका
उन्हें भोपाल से हटाकर रीवा, सतना का चार्ज दे दिया गया। धुन के पक्के
केके मिश्रा ने खनिज माफिया को छोड़ भूरिया टीम के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। भोपाल
से दिल्ली तक शिकायतों के पुलंदे भेजकर आरोप लगाए कि भूरिया टीम भाजपा नेताओं की
गोद में बैठी है। तमतमाए भूरिया ने केके मिश्रा को प्रवक्ता पद से हटाते हुए उनके
खिलाफ चार सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री सत्यदेव
कटारे के नेतृत्व में इंदौर पहुंची जांच कमेटी के सामने केके मिश्रा ने एक हजार से
अधिक पृष्ठों का पुलंदा पटक दिया जिससे सिद्ध होता है कि भूरिया टीम और भाजपा की
गहरी सांठगांठ है।
केके मिश्रा के
खिलाफ जांच करने गई कांग्रेस की कमेटी पांच माह बाद भी यह तय नहीं कर पा रही कि
असली दोषी केके मिश्रा हैं या भूरिया टीम? इस टीम ने आज तक अपनी रिपोर्ट नहीं दी है।
इसी बीच केके मिश्रा ने भूरिया विरोधी दस्तावेज दिल्ली के बड़े नेताओं को भेज दिए।
पचौरी से लेकर कमलनाथ और सिंधिया से लेकर दिग्विजय सिंह तक ने भूरिया को समझाया कि
केके मिश्रा से दुश्मनी महंगी पड़ेगी तब जाकर भूरिया ने पिछले सप्ताह केके मिश्रा
को मनाने अपने इकलौते साले अनिल पवार की मदद ली। केके मिश्रा के गहरे मित्र अनिल
पवार के आग्रह पर केके मिश्रा उनके घर भोजन करने गये तो भूरिया पहले से वहां मौजूद
थे। सवा घंटे की सीधी बातचीत का लब्बोलुहाब यह है कि भूरिया ने केके मिश्रा से
मतभेद भूलकर पार्टी हित में काम करने का प्रस्ताव रखा। बताते हैं कि केके मिश्रा
ने सिर्फ इतना कहा कि पार्टी के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं लेकिन स्वार्थी नेताओं
के हितों के लिए काम नहीं करेंगे।
अब बात मुंहफट
पूर्व सांसद गुफराने आजम की कर लेते हैं। कांग्रेस में आरिफ अकील लंबे समय से अजम
के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। अकील ने कई बार विधानसभा में आजम से संबंधित सवाल
पूछे जिससे आजम स्वयं को आहत महसूस कर रहे हैं। दूसरी ओर मुुख्यमंत्री शिवराज सिंह
चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा की मदद से गुफराने आजम मप्र बक्फ बोर्ड
के अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच गए हैं। मुुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने
सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि अगले विधानसभा चुनाव में वे उत्तर भोपाल से आरिफ
अकील को हराकर अपनी पार्टी का प्रत्याशी जितायेंगे। चौहान और झा को उम्मीद है कि
आरिफ को हराने में गुफरान उनकी मदद कर सकते हैं। यही कारण है कि प्रभात झा चाहे जब
गुफराने आजम के घर आ धमकते हैं और अखबारों में खबर छपती है कि गुफरान भाजपा में जा
रहे हैं।
दूसरी ओर भूरिया
द्वारा आरिफ अकील को महत्व दिये जाने से गुफरान नाराज हैं। प्रदेश में कांग्रेस की
बदहाली के लिए गुफरान सार्वजनिक रूप से भूरिया को कोस रहे हैं। गुफरान के बयानों
से अजीज आकर पिछले दिनों कांतिलाल भूरिया गुफरान को पार्टी से निकालने का प्रस्ताव
लेकर दिल्ली पहुंच गये। दिल्ली ने इस प्रस्ताव को ठुकराते हुए भूरिया को तकीद दी
कि चुनाव से एक साल पहले दिग्गज अल्पसंख्यक नेता के खिलाफ कार्रवाई से प्रदेश में गलत
संदेश जाएगा। पार्टी हाईकमान ने भूरिया से साफ कहा कि रूठे हुए नेताओं को मनायें
अन्यथा संगठन भूरिया के भविष्य के बारे में भी विचार कर सकता है। पूर्व सांसद और
अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी असलम शेर खान भी भूरिया से खासे नाराज चल रहे हैं।
(लेखक सबकी खबर डॉट काम के संपादक और प्रदेश
टुडे से जुड़े हुए हैं)
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