कालोनी नियमितिकरण
में फंसा पेंच
(प्रियंका श्रीवास्तव)
नई दिल्ली (साई)।
अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के मामले में फिर एक पेंच फंस गया है। दिल्ली
हाईकोर्ट ने सूबे की सरकार को यह निर्देश दे रखा है कि वह शहर की अनधिकृत
कॉलोनियों को नियमित करने से पहले उसे यह जानकारी देगी कि वह किन-किन कॉलोनियों को
किस आधार पर नियमित करने जा रही है। सरकार की नियमित होने वाली कॉलोनियों की सूची
अदालत के समक्ष पेश करनी है।
ऐसे में दिल्ली
सरकार अब केंद्र के वरिष्ठ अधिकारियों से रायशुमारी करने के बाद कोई फैसला करेगी।
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का कहना है कि बाकी सारी तैयारियां हो चुकी हैं लेकिन इस
मामले में अभी कुछ किंतु-परंतु जरूर हैं। लिहाजा, वे अपने आला
अधिकारियों को केंद्र के अधिकारियों से विचार-विमर्श के लिए भेज रही हैं। उन्होंने
उम्मीद जताई है कि अगले सप्ताह तक इस बारे में कोई अंतिम निर्णय हो जाएगा।
अनधिकृत कॉलोनियों
के मामले में बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री की अगुवाई में दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक
बुलाई गई। चर्चा के बाद यही तय किया गया कि पहले केंद्र सरकार की राय जानने के बाद
ही अगला कदम उठाया जाए। वैसे, विश्वस्त आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि
दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार को वर्ष 1993 में ही ये निर्देश दिए थे कि कॉलोनियों को
नियमित करने से पहले उसे उनकी सूची दी जानी चाहिए। यह बताया जाना चाहिए कि कितनी
कॉलोनियां नियमित हो सकती हैं और कितनी नहीं। मंत्रिमंडल की बैठक में एक राय यह भी
थी कि अदालत के पास जाने की जरूरत नहीं है। दूसरी राय यह थी कि नियमितीकरण में
किसी भी प्रकार की बाधा पैदा होने की स्थिति से बचने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
यह मामला केंद्र
सरकार के माध्यम से अदालत के पास भेजा जाए, अथवा दिल्ली सरकार अपने स्तर पर ही अदालत
चली जाए, यह सबकुछ
केंद्र सरकार की राय जानने के बाद ही तय किया जाएगा। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री को
बृहस्पतिवार की शाम ही केंद्रीय शहरी विकास मंत्री कमलनाथ से मुलाकात करनी थी, लेकिन मंत्रिमंडल
की बैठक के बाद तय किया गया कि पहले अधिकारी स्तर पर बातचीत हो जाए।
मंत्रिमंडल की बैठक
के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार चाहती है कि कॉलोनियों का नियमितीकरण
पूरी तरह ठोक बजाकर किया जाए। दिल्ली के शहरी विकास विभाग के मंत्री के डॉ. अशोक
कुमार वालिया ने बताया कि करीब 900 कॉलोनियों की सूची तैयार की जा चुकी है।
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