सोमवार, 13 अगस्त 2012

एमपी कांग्रेस में हालात बेकाबू


एमपी कांग्रेस में हालात बेकाबू

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सूबाई इकाई में इन दिनों घमासान चरम पर है। कांग्रेस के छुटभैया नेता भी आला नेताओं पर छींटाकशी करते नजर आ रहे हैं, पर इस मामले में सूबे के निजाम कांतिलाल भूरिया इनके सामने बौने ही साबित हो रहे हैं। भूरिया के राज में अनुशासनहीनता इस समय चरम पर है।
हालात देखकर लग रहा है मानो कांग्रेस में नेतृत्व को खुली चुनौती देने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है, लेकिन किसी पर भी अनुशासन का डंडा चलता नजर नहीं आ रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया समन्वय समिति में चर्चा के नाम पर इन मुद्दों को टाल रहे हैं, लेकिन बड़े नेताओं के बीच आपसी टकराव के कारण समिति की बैठक ही नहीं हो पा रही है।
पीसीसी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समन्वय समिति की बैठक में अड़ंगा लगा दिया है। दोनों का तर्क है कि पीसीसी में उनके समर्थकों की उपेक्षा हुई है। इसका विस्तार कर पहले असंतुलन दूर किया जाए तभी समन्वय संभव है। बताया जाता है कि विस्तार की सूची तैयार है लेकिन कुछ बड़े नेता इसे जारी होने से रोक रहे हैं।
वैसे देखा जाए तो चतुर्वेदी-परूलेकर विवाद विधानसभा में हंगामे के बाद बर्खास्त और फिर बहाल हुए राकेश चतुर्वेदी और कल्पना परुलेकर पर आरोप है कि उन्होंने नेतृत्व की जानकारी के बिना खेद जताने वाला पत्र विधानसभा अध्यक्ष को लिखा और नेतृत्व पर आरोप लगाए। गुफरान आजम के आरोप गुफरान आजम सार्वजनिक मंचों पर भूरिया की निंदा कर चुके हैं। प्रदेश कांग्रेस ने उन्हें निष्कासित करने का एक प्रस्ताव हाईकमान को भेजा था।
उधर, कमल नाथ केम्प के माने जाने वाले सांसद सज्जन सिंह वर्मा के आरोप है कि उन्हें कमजोर करने में राजा दिग्विजय सिंह की महती भूमिका रही है। सुमित्रा महाजन-दिग्विजय के बीच की चर्चा सार्वजनिक होने के बाद वर्मा ने दिग्विजय पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिग्विजय ने उन्हें कमजोर करने के लिए कैलाश विजयवर्गीय का साथ दिया। इस पर दिग्विजय खेमे ने बयानबाजी की। तिवारी और रघुवंशी की नसीहतें विधानसभा और आदिवासी निकायों के चुनावों में हार के बाद श्रीनिवास तिवारी और हजारीलाल रघुवंशी ने नेतृत्व की क्षमताओं पर सवाल उठाए थे।
इसी तरह, कमल नाथ के प्रभाव वाले महाकौशल अंचल में लखनादौन नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी के नाटकीय तरीके से हथियार डालने के बाद कांग्रेस ने यह सीट निर्दलीय प्रत्याशी की झोली में डालने के आरोप भी सार्वजनिक हो रहे हैं।

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