सोमवार, 13 अगस्त 2012

माननीयों को मिला ठंडा भोजन!


माननीयों को मिला ठंडा भोजन!

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। मानसून सत्र के पहले दिन देश की सबसे बड़ी पंचायत के पंचों को सस्ता भोजन तो मिला पर वह ठंडा ही परोसा गया। अग्नि शमन विभाग के एतराज के बाद संसद की मुख्य कैंटीन पर ताला जड़ दिया गया है। इसके बाद संसद की शेष तीन केंटीन में ही भोजन की व्यवस्था सुचारू तौर पर जारी है। संसद की चालू कैंटीन में लोगों की भीड़ को संभालने में कैंटीन प्रबंधन नाकाम होता ही दिखा।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार संसद में पहले ही दिन अफरातफरी का माहौल उस वक्त देखने को मिला जब वहां भोजनावकाश हुआ। इस दौरान संसद सदस्यों को बाजारू कीमत से लगभग दस गुना कम कीमत पर मुहैया होने वाले स्वादिष्ट भोजन का लुत्फ ठंडा ही भोजन खाकर उठाना पड़ा। इससे सांसदों और उनके साथ आने वालों में नाराजगी देखी गई।
बताया जाता है कि सांसदों को परोसी गई दाल और सब्जी हल्की गर्म थी तो रोटियां बिल्कुल ही ठंडी और कड़ी पड़ चुकी थीं। यहां उल्लेखनीय होगा कि अग्निशमन विभाग के सख्त एतराज के उपरांत संसद भवन की मुख्य कैंटीन को बंद कर दिया गया है। संसद की अन्य कैंटीन जो एनेक्सी, पुस्तकालय भवन और स्वागतकक्ष में संचालित हो रही हैं फिलहाल चालू हैं।
कैंटीन के एक कर्मचारी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि उनकी समस्या यह है कि उन्हें संसदीय सत्र के दौरान आधी रात को ही जागकर तैयारी में जुट जाना होता है। पहले मुख्य कैंटीन में ही भोजन तैयार होता था अब वह भोजन पुस्तकालय भवन में तैयार हो रहा है, जिससे वहां से खाना लाने ले जाने में उसका ठंडा होना स्वाभाविक ही है।
इधर, संसद मे काम करने वाले कर्मचारियों में भी मेन कैंटीन बंद होने से नारजगी साफ दिखाई पड़ रही है। एक वरिष्ठ कर्मचारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि संसदीय सत्र के दौरान उन्हें इतना समय नहीं मिल पाता है कि वे मुख्य कैंटीन के अलावा अन्य किसी कैंटीन में जाकर खाना खा सकें। अगर थोड़ा समय होता भी है तो वहां खदबदाती भीड़ के चलते उन्हें भोजन भी नसीब नहीं हो पाता है।
उक्त कर्मचारी ने कहा कि मुख्य कैंटीन मे पहले लगभग दो हजार लोगों का खाना रोजाना ही तैयार किया जाता था। इस कैंटीन के बंद होने से इन दो हजार लोगों की भीड़ का अन्य कैंटीन में बंटना स्वाभाविक ही है। वैकल्पिक व्यवस्था के बिना मेन कैंटीन का बंद किया जाना ओचित्यहीन ही मान रहे हैं अधिकांश कर्मचारी।

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