नकली नोट की पहचान
बताई बैंक ने
(प्रियंका अरोरा)
जैसलमेर (साई)।
रिजर्व बैंक की ओर से सीमावर्ती जिलों के बैंक कर्मियों एवं आमजन को नकली नोटों के
प्रति जागरुक करने तथा नोटों की पहचान बताने के लिए विशेष वित्तीय साक्षरता अभियान
चलाया जा रहा है। आरबीआई के महाप्रबंधक बीएस खत्री ने पत्रकारों को संबोधित करते
हुए बताया कि आरबीआई द्वारा इस संबंध में जागरुकता जगाने के लिए आए दिन प्रशिक्षण
आयोजित किए जाते है। लेकिन सीमावर्ती जिलों के बैंकों में स्टाफ की कमी के कारण
समस्त कार्मिकों को प्रशिक्षण दिया जाना संभव नहीं हो पाता है।
इसलिए आरबीआई
द्वारा इन जिलों में यह अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत अभी तक गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर व जैसलमेर
की ब्रांच में जानकारी दी गई है। आगामी दिनों में पोकरण, बाड़मेर व जोधपुर की
ब्रांच में कार्यक्रम आयोजित कर नकली नोटों की जांच करने के बारे में बताया जाएगा।
इस अवसर पर आरबीआई प्रबंधक हेमेन्द्र कोठारी व लीड बैंक अधिकारी ब्रजवल्लभ पुरोहित
भी उपस्थित थे।
खत्री ने बताया कि 100, 500 व 1 हजार के नोटों में
मशीन से देखने पर विभिन्न कोणों से हरे व नीले रंग का दिखाई देता है।
अल्ट्रावायलेट रोशनी में देखने पर इसका अग्र भाग चमकीला दिखाई देता है। उसी प्रकार
10, 20 व 50 के नोटों में
सामने से देखने पर सुरक्षा धागा खंडित रेखा के रुप में दिखाई देता। अल्ट्रा वायलेट
रोशनी में दोनों ओर पीले रंग का चमकीला दिखाई देता है। असली व नकली नोट की सबसे
बड़ी पहचान यही है कि असली नोट में उभारदार मुद्रण होता है।
नोट पर महात्मा
गांधी का चित्र, रिजर्व
बैंक की मुहर और गारंटी, वचन खण्ड, अशोक स्तंभ का चिन्ह, गर्वनर के
हस्ताक्षर सभी उभरे हुए होते है। इन्हें छूकर महसूस किया जा सकता है। उन्होंने
बताया कि सभी प्रकार के नोटों पर मूल्यवर्गीय अंक का आधा हिस्सा आगे की ओर तथा आधा
हिस्सा पीछे की ओर मुद्रित है। दोनों हिस्से इतने सटीक छपे होते है कि रोशनी के
सामने देखने पर दोनों एक ही दिखाई देते है। साथ ही नोटों को और अधिक सुरक्षित
बनाने के लिए वाटर मार्क, रंग परिवर्तक स्याही सहित अन्य विशेषताएं होती है। आरबीआई
प्रबंधक हेमंत कोठारी ने कटे फटे नोटों को बदलने की प्रक्रिया पर विस्तार से
जानकारी दी।
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