शिवराज चला रहे
अवैध वायरलेस सैट!
(शरद खरे)
नई दिल्ली (साई)।
मण्डला सिवनी संसदीय क्षेत्र के लोकसभा सांसद बसोरी सिंह मसराम ने केंद्रीय
वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा को एक पत्र लिखकर कहा है कि मध्य प्रदेश
सरकार का वन महकमा अवैध रूप से वायरलेस सैट का संचालन कर रहा है। सांसद की शिकायत
पर एमपी के फारेस्ट डिपार्टमेंट के डेढ़ करोड़ रूपए डूबने की आशंका जताई जा रही है।
उधर, केंद्रीय वन एवं
पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि एमपी के
फारेस्ट डिपार्टमेंट की लापरवाही के चलते नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में बाघ
समेत अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा दांव पर लग गई है। इसका कारण यह है कि ढाई हजार से
ज्यादा वायरलेस सेट बेकार हो गए हैं।
संचार मंत्रालय के
सूत्रों का कहना है कि नए वायरलेस सेट खरीदने के लिए मप्र के वन विभाग ने संचार
मंत्रालय का प्रमाण-पत्र मांगा तो उसने दो टूक जवाब दे दिया कि पहले 43 करोड़ रुपए का
बकाया चुकाओ। तब अनुमति दी जाएगी। वायरलेस सेट ठप होने के कारण जंगल में
पेट्रोलिंग के समय सक्रिय रहने वाला सूचना तंत्र पूरी तरह फेल हो गया है। अब चूंकि
बाघों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीधे हस्तक्षेप किया है तो वन विभाग इस
कोशिश में है कि केंद्र सरकार इस बकाया राशि को ही माफ कर दे।
प्राप्त जानकारी के
अनुसार नए वायरलेस सेट खरीदने के लिए वन विभाग ने केंद्रीय खरीद एजेंसी डीजीएस एंड
डी (डायरेक्टर जनरल ऑफ सप्लाई एंड डिस्पोजल) को अधिकृत कर डेढ़ करोड़ रुपए दे दिए।
डीजीएस एंड डी ने बैंगलोर की एक कंपनी से वायरलेस सेट खरीदने के लिए कंपनी को राशि
भी दे दी।
इसी दौरान सिवनी के
बारापत्थर निवासी उत्कर्ष सहारे की शिकायत पर मंडला से सांसद बसोरी सिंह मसराम ने
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा को चिट्ठी लिखकर बताया कि मप्र का
वन विभाग संचार अधिनियम के विरुद्ध अवैध रूप से वायरलेस सेट चला रहा है। इस चिट्ठी
के बाद कंपनी ने वायरलेस सेट चलाने के लिए वन विभाग से लाइसेंस मांगा। वन विभाग ने
केंद्रीय गृह मंत्रालय को लाइसेंस के लिए चिट्ठी लिखी तो उसने 2004 से लेकर अभी तक
बकाया निकालकर 43 करोड़ रुपए
की डिमांड निकाल दी।
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