एनआरएचएम का पैसा
बह रहा पानी की तरह
(अभय नायक)
रायपुर (साई)।
राज्य सरकार द्वारा फिजूल खर्ची पर रोक लगाने के बावजूद राष्ट्रीय ग्रामीण
स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के अधिकारी सरकारी पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं।
अफसरों ने एनआरएच कार्यालय के लिए पंडरी में सवा दो लाख में किराये पर भवन लिया।
अब उसमें 40 लाख रुपए
सजावट पर खर्च किए जा रहे हैं।
सरकारी सूत्रों ने
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राज्य शासन के सभी संचालनालय और राज्य स्तरीय
कार्यालय नई राजधानी के नए भवन में शिफ्ट होने वाले हैं। 1 नवंबर को मंत्रालय
शिफ्ट होगा। उसके बाद धीरे-धीरे सारे विभागीय कार्यालय वहां जाएंगे। इस बात को
ध्यान में रखकर शासन ने पुराने कार्यालयों में खर्च करने पर पाबंदी लगाई है।
सरकार ने सभी विभाग
के प्रमुखों को इस निर्देश पर सख्ती से अमल करने को कहा गया है। इसके बावजूद
एनआरएचएम के अधिकारियों ने पंडरी में भारतीय जीवन बीमा निगम की बिल्डिंग के चौथे
और पांचवीं मंजिल के दो फ्लोर किराये पर लिए। एक अगस्त को आनन-फानन में एनआएचएम का
पूरा दफ्तर वहां शिफ्ट भी हो गया है।
अब इस किराये के
भवन पर 40 लाख रुपए
फर्नीचर और सजावट पर खर्च किया जा रहा है। इसके लिए बजट स्वीकृत कर आर्डर भी जारी
कर दिया गया है। इस माह के अंत में नए भवन में काम शुरु हो जाएगा। दावा किया जा
रहा है कि 40 लाख में
फर्नीचर और सजावट का काम नहीं होने पर इतनी ही राशि और स्वीकृत करने की योजना है।
इतनी बड़ी रकम खर्च करते समय इस बात का जरा भी ध्यान नहीं रखा जा रहा है कि नई
राजधानी में जब दफ्तर शिफ्ट होने वाला है तब सजावट का क्या होगा?
उल्लेखनीय है कि
एनआरएचएम का कार्यालय अभी तक मंत्रालय के पीछे स्थित स्वास्थ्य विभाग की बिल्डिंग
के एक हिस्से में चल रहा था। स्वास्थ्य अधिकारियों ने राज्य टीकाकरण कार्यालय भवन
के ऊपरी हिस्से को एनआरएचएम कार्यालय के लिए दिया था। अभी तक यह कार्यालय वहीं
संचालित होता रहा है।
एनआरएचएम के
अधिकारियों ने नए भवन की सजावट और फर्नीचर बनाने का ठेका हाउसिंग बोर्ड को दिया
है। हाउसिंग बोर्ड भले ही शासकीय एजेंसी है, लेकिन इसका काम मकान बनाना है। ऐसी स्थिति
में हाउसिंग बोर्ड खुद फर्नीचर नहीं बनाएगा, वह यह काम ठेका देकर करवाएगा। ऐसी स्थिति
में हाउसिंग बोर्ड को ठेका देना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है।
देखा जाए तो
एनआरएचएम का काम ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाना है। यह
स्वास्थ्य विभाग के अधीन रहकर काम भले ही करती है, लेकिन इसके लिए
केंद्र सरकार से बजट आता है। एनआरएचएम के सभी जिलों में कार्यालय हैं। विकासखंड
स्तर पर भी अफसरों की नियुक्ति की गई है। मैदानी अमले से स्वास्थ्य की जरूरतों का
पता लगाकर उसकी पूर्ति की जाती है।
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