अख्खड़ छवि बन रही
युवराज की!
प्रियंका का महिमा मण्डन आरंभ
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
नेहरू गांधी परिवार की वर्तमान पीढ़ी के खिवैया और कांग्रेस के तारणहार राहुल गांधी
की छवि अख्खड़ और किसी की बात ना सुनने वाले अदूरदर्शी युवा की बनती जा रही है।
राहुल की छवि के बारे में विदेशी मीडिया के हमलों से अब कांग्रेस बैकफुट पर आ गई
है। कांग्रेस में ही राहुल से रश्क रखने वाले अब रणनीतिकारों के निशाने पर बताए
जाते हैं। उधर, प्रियंका
वढ़ेरा के फैन्स अब राहुल के बजाए प्रियंका के महिमा मण्डन में जुट चुके हैं।
कांग्रेस के एक
वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को
बताया कि राहुल गांधी की कार्यप्रणाली से कांग्रेस के अंदरखाने में असंतोष उबलने
लगा है। राहुल के बारे में अंदर ही अंदर आम राय बनने लगी है कि राहुल को सियासत की
समझ बूझ बिल्कुल भी नहीं है। उत्तर प्रदेश में वे विधानसभा चुनावों में चमत्कार
नहीं दिखा सके, जबकि उनका
संसदीय क्षेत्र भी इसी राज्य मे है।
उन्होंने आगे कहा
कि इसके साथ ही साथ राहुल के बारे में यह भी प्रचारित होने लगा है कि राहुल को
उत्तर प्रदेश के सियासी और जातिगत समीकरणों की ही समझ बूझ नहीं है। रीता बहुगुणा
के स्थान पर निर्मल खत्री को प्रदेश की कमान सौंपने की प्रतिक्रियाएं भी अच्छी
नहीं कही जा रही हैं। उधर, माथुर को विधायक दल का नेता बनाने से माहौल में खुश्की पसर गई
है।
कहा जा रहा है कि
खाटी कांग्रेसियों को दरकिनार कर राहुल गांधी द्वारा आयतित कांग्रेसियों को ज्यादा
तवज्जो देने से कांग्रेस काडर में निराशा पसर चुकी है। उक्त पदाधिकारी ने कहा कि
राहुल के बारे में यह बात भी आम होने लगी है कि राहुल अब किसी की सुनते तक नहीं
हैं। जब भी कोई नेता उन्हें कोई बात बताने का प्रयास करता है तो राहुल गांधी एक ही
तकिया कलाम का उपयोग करते हैं।
राहुल के करीबी
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि राहुल का तकिया कलाम इन दिनों हो
गया है -‘‘आई नो
एवरीथिंग, आई विल
सेटिल डाउन द थिंग्स विदिन मिनिट।‘‘ इसके बाद ही नेताओं की बोलती ही बंद हो जाती
है। हाल ही में राहुल ने अपने संसदीय क्षेत्र की टीम में भी फेरबदल किया है।
उधर, सत्ता और शक्ति के
शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के
सूत्रों का कहना है कि आईबी की रिपोर्ट में भी राहुल गांधी की टीआरपी में जमकर कमी
दर्ज की गई है, जिससे
कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलकने लगी
हैं। इसके साथ ही साथ केंद्र के कुछ प्रभावशाली मंत्रियों के इशारों पर विदेशी
मीडिया भी राहुल गांधी की बखिया उधेडने में लग गया है।
इन परिस्थितियों
में सोनिया का ध्यान बरबस ही अपनी पुत्री प्रियंका वढेरा पर जाने लगा है। प्रियंका
स्वभाव से शांत और समझदार बताई जाती हैं। वे राजीव गांधी फाउंडेशन का काम बखूबी
संभाल रही हैं। हाल ही में प्रियंका ने रायबरेली और अमेठी के लोगों से मिलना जुलना
भी आरंभ कर दिया है।
सूत्रों ने कहा कि
हो सकता है 2014 के
चुनावों में प्रियंका वढ़ेरा को तुरूप का इक्का बनाकर कांग्रेस मैदान में उतरे और
जैसे ही सरकार बनाने की जादुई संख्या को पाए वैसे ही प्रियंका को पीछे कर राहुल को
देश की बागडोर पकड़ा दे। दरअसल कांग्रेस के रणनीतिकार भी 2014 के आम चुनाव को
राहुल गांधी के लिए करो या मरो की तर्ज पर देख रहे हैं।
वैसे भी पिछले लगभग
छः माहों से अपनी बीमार मां की परछाई बनी हुईं हैं प्रियंका वढ़ेरा। समय पर मां को
दवाई देना, समय पर
खाना, आराम आदि
का पूरा पूरा ख्याल रख रही हैं, प्रियंका। सोनिया के करीबी सूत्रों ने तो
यहां तक कह डाला कि आने वाले समय में सोनिया आराम करने वाली हैं और कांग्रेस की
कमान प्रियंका वढ़ेरा तथा देश की राहुल गांधी के हाथों में हो सकती है।
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