पीएम भी आ जाएंगे
लोकपाल की जद में
(महेंद्र देशमुख)
नई दिल्ली (साई)। लोकपाल
को लेकर हो रहा शोर शराबा जल्द ही समाप्त होने वाला है। टीम अण्णा और केजरीवाल की
मुहिम की हवा निकालने के लिए जल्द ही सरकार लोकपाल बिल भी ला रही है और लोकपाल के
दायरे में प्रधानमंत्री को भी रखने जा रही है।
राज्यसभा की प्रवर
समिति ने प्रधानमंत्री को कुछ अपवादों के साथ लोकपाल के दायरे में लाने और
लोकायुक्तों की नियुक्ति को लोकपाल विधेयक से अलग रखने की सिफारिशों वाली रिपोर्ट
के प्रारूप को सोमवार को मंजूरी दे दी। समिति की रिपोर्ट में प्रधानमंत्री को
लोकपाल के दायरे में लाने की सिफारिश करते हुए खुफिया और परमाणु ऊर्जा जैसे
राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा से जुडे विषयों को अपवाद के तौर पर लोकपाल की परिधि
से बाहर रखने की बात कही गई है।
समिति ने यह भी कहा
है कि लोकायुक्तों की नियुक्ति को लोकपाल विधेयक के प्रावधानों से अलग रखा जाना
चाहिए। समिति ने साथ ही कहा है कि राज्यों को अपने स्तर पर लोकायुक्तों की
नियुक्ति करनी होगी। कई राजनीतिक दल यह मांग कर रहे थे कि लोकायुक्तों की नियुक्ति
को लोकपाल विधेयक में न जोड़ा जाए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लोकपाल द्वारा
केन्द्रीय जांच एजेन्सी (सीबीआई) को भेजे गए मामलों की निगरानी लोकपाल ही करेगा।
रिपोर्ट में जांच एजेन्सी की स्वायत्ता के मुद्दे का समाधान करने के सुझाव भी दिए
गए हैं। इनमें कहा गया है कि सीबीआई के निदेशक का चयन प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष
के नेता और उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश का निर्वाचन मंडल करे।
मुख्य विपक्षी दल
भारतीय जनता पार्टी का भी कहना है कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति सरकार के बजाय
किसी समिति द्वारा की जानी चाहिए। प्रवर समिति ने सीबीआई निदेशक के कार्यकाल को
निश्चित करने की बात भी कही है। लोकसभा ने पिछले वर्ष शीतकालीन सत्र में लोकपाल
विधेयक पारित कर दिया था जबकि राज्यसभा में यह पारित नहीं हो पाया था और इसे सदन
की प्रवर समिति को भेज दिया गया था। सरकार कह चुकी है कि वह लोकपाल विधेयक को
राज्यसभा में भी पारित कराने की हर संभव कोशिश करेगी।
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