सोमवार, 5 नवंबर 2012

कैसे हो युवराज के विरोध का शमन?


ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

कैसे हो युवराज के विरोध का शमन?
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी का जादू अब कांग्रेस के आम कार्यकर्ता के मानस पटल से उतरता जा रहा है। एक के बाद एक घपले घोटाले और भ्रष्टाचार के महाकांड के बाद भी राहुल गांधी ने अपना मुंह नहीं खोला तो जमीनी कार्यकर्ताओं का राहुल गांधी से मोह भंग होने लगा है। बड़े क्षत्रप जब अपने अपने क्षेत्रों में जाते हैं तब उन्हें कार्यकर्ताओं के तीखे तीरों का सामना करना पड़ता है जिसमें देश को बेचने तक के आरोप लगाए जाते हैं। सोनिया के राजनैतिक पंडितों ने यह स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि इन परिस्थितियों में राहुल गांधी को कोई भी भूमिका नहीं दी जाए वरना यह सीधा संदेश चला जाएगा कि राहुल गांधी नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं। टीम मनमोहन में भी राहुल को इसी रणनीति के तहत शामिल नहीं किया गया है। आने वाले दिनों में राहुल गाध्ंाी को बड़ी भूमिका देकर सरकार की छवि ईमानदार दिखाने का प्रयास जरूर किया जाएगा, ताकि राहुल का कांग्रेस के अंदर हो रहा विरोध दबाया जा सके।

अता ना पता कहां की लता!
त्रणमूल कांग्रेस ने केंद्र से अपने संबंध क्या तोड़े उसका शनि भारी हो गया है। अब कांग्रेस भी ममता बनर्जी को भाव नहीं दे रही है। ममता के पास लोकसभा के 19 और राज्य सभा के 7 सांसद हैं। देश को दो दो रेल मंत्री देने वाली त्रणमूल कांग्रेस की इससे बड़ी विडम्बना क्या होगी कि दिल्ली में उसका कोई अता पता ठिकाना ही नहीं है। कल तक त्रणमूल कांग्रेस का कार्यालय ममता के दिल्ली स्थित निवास से चलता था पर अब वहां से त्रणमूल का बोरिया बिस्तर भी उठ चुका है। हद तो यह है कि त्रणमूल के पास संसद भवन में भी बैठने की जगह नहीं बची है। जब तक रेल मंत्रालय त्रणमूल के पास रहा उसके सदस्यों ने रेल मंत्रालय को ही त्रणमूल के कार्यालय के बतौर इस्तेमाल किया है। अब त्रणमूल के पास दिल्ली के साथ ही साथ संसद में भी बैठने तक की जगह नहीं बची है।

पायल उमर में बढ़ रही दूरियां!
केंद्रीय मंत्री फारूख अब्दुल्ला के सुपुत्र और जम्मू काश्मीर के निजाम उमर अब्दुल्ला का पायल के साथ तलाक हो चुका है। दोनों अलग अलग ही बसर कर रहे हैं। उमर की अम्मी चाहतीं थीं कि पायल और उमर दोनों एक बार फिर एक हो जाएं। उमर के करीबियों का कहना है उमर और पायल के एक होने में काफी अड़चनें हैं। दोनों के बीच वैचारिक मतभेद इस कदर हैं कि इनका एक होना संभव ही नहीं लगता है। राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि इसे महज संयोग ही कहा जा सकता है कि उमर अब्दुल्ला और पायल को अक्सर एक साथ विमान से विदेश जाते देखा गया है। आखिर क्या यह महज संयोग है कि दोनों ही तलाकशुदा लोगों की एक ही टाईमिंग सेट हो। बताते हैं कि एक मर्तबा तो जिस हवाई जहाज से पायल और उमर अब्दुल्ला सिंगापुर की ओर उड़ान भर रहे थे उसी हवाई जहाज में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी सवार थे।

बिखर रहा है नेताजी का कुनबा
उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के परिवार में सब कुछ ठीक ठाक नहीं है। मुलायम सिंह यादव के अनुज शिवपाल को हाशिए पर लाने की कवायद तेज हो गई है। शिवपाल यादव अनेक स्थानों पर सरकारी कार्यक्रमों से गायब रहे हैं, जिससे लोग आश्चर्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों का कहन है कि रह विभाग को यह निर्देश दिया गया है कि शिवपाल के विभाग लोक कर्म और सिंचाई को छोड़कर अन्य विभागों में उनकी दखल को ना सुना जाए। अनेक मामलों में उनकी सिफारिशों पर अमल ना होने से शिवपाल भी अपने आप को असहज ही महसूस कर रहे हैं। हाल ही में अखिलेश यादव द्वारा शिवपाल के घुर विरोधी अमर सिंह पर लगे आरोपों और मुकदमों से उन्हें बरी कर दिया है, जिससे शिवपाल अब जख्मी नाग के मानिंद फन पटक रहे बताए जाते हैं। मुलायम सिंह यादव यह सब देखने के बाद भी खामोशी के साथ बनते बिगड़ते समीकरणों पर नजर रखे हुए हैं।

सुर भी नहीं मिल पा रहे संदीप के!
दिल्ली की निजाम श्रीमति शीला दीक्षित के सांसद सुपुत्र संदीप दीक्षित को कांग्रेस ने अपनी मीडिया की टीम में शामिल किया था पर वे मीडिया टीम में आने के बाद भी पहले ही की तरह मीडिया से बराबर दूरी बनाकर रखे रहे। कांग्रेस के नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों और दमाद राबर्ट वढेरा पर हुए भ्रष्टाचार के हमलों के बाद भी संदीप दीक्षित की तंद्रा नहीं टूटी। पता नहीं संदीप दीक्षित किस दुनिया में खोए हुए हैं। वैसे संदीप दीक्षित को मीडिया बिरादरी में मीडिया फ्रेंडली कतई नहीं माना जाता है। पूर्व में जब संदीप दीक्षित की भोपाल यात्रा के दौरान उनके पास से दस लाख रूपए गुमे थे और बाद में मिल गए थे, तब भी संदीप ने मीडिया को संतुष्ट नहीं किया था। कांग्रेस के अंदरखाने में चल रही चर्चाओं के अनुसार अन्ना आंदोलन में मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले संदीप दीक्षित प्रवक्ताओं की फौज में शामिल अवश्य हो गए हैं पर गांधी परिवार पर हमले के दौरान वे मीडिया से गायब क्यों रहे?

टापू बन जाएगी मोगली की कर्मभूमि!
प्रसिद्ध ब्रितानी घुमंतू और पत्रकार रूडयार्ड किपलिंग की ‘जंगल बुक‘ के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हीरो ‘मोगली‘ की कर्मभूमि एवं सनातन पंथी हिन्दु धर्म के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती की जन्मभूमि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले को एक बार फिर छलने की तैयारी पूरी हो चुकी है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जनसेवकों, नौकरशाहों की विलासिता से देश का खजाना खाली हो रहा है। मजबूरी में वित्त मंत्रालय को विकास की योजनाओं को रोकने की कवायद करनी पड़ रही है। सूत्रों ने कहा कि भारतीय रेल की उन परियोजनाओं को जिनकी घोषणा तो हो गई है पर उन पर काम आरंभ नहीं हुआ है, की समीक्षा कर उन नस्तियों को बंद करने का मशविरा वित्त मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम ने रेल मंत्री को दिया है। ओन गोईंग परियोजनाएं जिन पर काम बंद है वे अब शायद ही आगे बढ़ पाएं।

बज गई गड़करी की बिदाई की डुगडुगी
भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी का सूर्य अस्ताचल की ओर बढ़ता ही दिख रहा है। आने वाले समय में मीडिया में अगर गड़करी की मुखालफत नहीं रूकी तो जल्द ही उनके वारिस को देश के सामने लाया जा सकता है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि गड़करी के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद अब संघ रक्षात्मक मुद्रा में आ गया है, क्योंकि अगला आम चुनाव भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही केंद्रित होगा। इसके साथ ही साथ हिमाचल के नतीजे भी गड़करी के भाग्य का निर्धारण करेंगे, गुजरात में तो मोदी ने अपनी छवि पर ही सारा चुनाव केंद्रित रखा इसलिए वहां के नतीजे गड़करी को शायद ही प्रभावित कर पाएं। संघ के सूत्रों का कहना है कि संघ का शीर्ष नेतृत्व अब सर जोड़कर बैठा हुआ है। संघ नेतृत्व का मानना है कि अगर गड़करी के भ्रष्टाचार की बात मीडिया में ज्यादा उछली तो मजबूरी में पहले टर्म की समाप्ति के बाद गड़करी को दूसरा मौका नहीं दिया जाए।

आखिर क्या खासियत है लाजपत आहूजा की!
मध्य प्रदेश का जनसंपर्क महकमा इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। मध्य प्रदेश में जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मी कांत शर्मा से कहीं ज्यादा ताकतवर हैं जनसंपर्क के अपर आयुक्त लाजपत आहूजा। यूं तो विज्ञापनों की बात करने पर आहूजा अपने आप को इससे दूर बताते हैं पर जब विज्ञापन शाखा में बात की जाए तो सीधे आहूजा जी से संपर्क करने का मशविरा मिलता है। हाल ही में जनसंपर्क महकमें ने एक गजब का कमाल किया है। आदेश नंबर डी-72316 के जरिए एक वेब साईट को 17 अगस्त को 15 लाख रूपए का विज्ञापन जारी किया गया और 25 अगस्त को जमा देयक का ई भुगतान 11 अक्टूबर को 14 लाख सत्तर हजार कर दिया गया। मीडिया बिरादरी अचंभित है कि आखिर एक वेब साईट पर अचानक ही जनसंपर्क विभाग कैसे मेहरबान हो गया है। अब मीडिया के अन्य लोग भी लाजपत आहूजा को सिद्ध करने का मंत्र ढूंढने में लग गए हैं।

फ्लोर मैनेजमेंट में माहिर हैं कमल नाथ
1980 से लगातार छिंदवाड़ा का प्रतिनिधित्व करने वाले कमल नाथ को अब संसदीय कार्य मंत्रालय की जवाबदेही सौंपी गई है। कमल नाथ का प्रबंधन वाकई गजब का है। सभी दलों के नेताओं के बीच कमल नाथ की स्वीकार्यता भी है। कमल नाथ के इस कौशल का उपयोग कांग्रेस नेतृत्व ने काफी अरसे बाद किया है जिससे लगने लगा है कि अब संसद के सत्रों में हंगामा कम ही देखने को मिलेगा। देखा जाए तो कमल नाथ के अंदर प्रशासिनक और संगठनात्मक क्षमता का कोई सानी नहीं है। पर्यवरण मंत्री रहते कमल नाथ ने दुनिया भर में भारत का सर उंचा किया तो कांग्रेस के महासचिव बनने के उपरांत उन्होंने असम में कांग्रेस की सरकार बनवाने के मार्ग प्रशस्त किए। माना जा रहा है कि कमल नाथ के संसदीय मंत्री बनने के उपरांत अब सभी राजनैतिक दलों के बीच सामंजस्य के अभाव की रिक्तता को भरा जा सकेगा।

कांग्रेस से रही है त्रणमूल के अंडे!
कहा जाता है कि कोयल अपने अंडे कौए के घोंसले में चोरी छिपे देती है। मादा कौआ उन अंडों को सेती (अंडे से बच्चे निकलने के दौरान पक्षी द्वारा उस पर बैठकर दी जाने वाली गर्मी) है और बच्चे निकलने पर उनकी परवरिश भी करती है। चूंकि कौआ और कोयल दोनों ही काले होते हैं अतः कौआ को बच्चों में अंतर समझ में नहीं आता है। ठीक इसी तर्ज पर त्रणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी द्वारा नियुक्त किए गए देश भर के बीस रेल्वे बोर्ड के अध्यक्षों को कांग्रेस अभी तक हटा नहीं सकी है। ज्ञातव्य है कि जब ममता बनर्जी ने रेल मंत्रालय संभाला था उसी समय ममता ने लालू प्रसाद यादव ़द्वारा नियुक्त किए गए रेल्वे बोर्ड के अध्यक्षों को तत्काल प्रभार से हटाकर अपनी पसंद के अध्यक्ष बिठा दिए थे। अब जबकि त्रणमूल कांग्रेस के पास से रेल मंत्रालय हटकर कांग्रेस के पास आ चुका है तब भी कांग्रेस ममता बनर्जी के बनाए अध्यक्षों पर ही भरोसा कर उन्हें कंटीन्यू कर रही है।

इन हत्याओं का पाप किसके सर!
देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाला और उद्योग जगत में देश के स्थापित अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में स्थापित किए जाने वाले 1260 मेगावाट के पावर प्लांट में सुरक्षा मानकों की सीधी सीधी अव्हेलना की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि इस संयंत्र में 1000 फिट उंची चिमनी के निर्माण कार्य में अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा मजदूरों की गिरकर मौत हो चुकी है। ये मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के बताए जाते हैं। संयंत्र के एक जिम्मेदार कर्मचारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि यहां हो रहे कामों का जिम्मा जबलपुर और नरसिंहपुर के कांग्रेस भाजपा नेताओं के पास है, जिससे संयंत्र में होने वाली गड़बडियों की जांच दबा दी जाती है। विगत दिवस भी लगभग सौ फिट उंची चिमनी पर चढ़कर काम करने वाले 21 वर्षीय गाजियाबाद निवासी विजय पिता चतर सिंह का संतुलन बिगड़ा और वह सीधे जमीन पर जा गिरा। बताया जाता है कि गिरते ही उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे। इन मजदूरों की इस तरह असावधानी से मौत को हत्या ही माना जा सकता है, पर इन हत्याओं का पाप किसके सर होगा?

पुच्छल तारा
करवा चौथ का व्रत भारत देश में महिलाएं अपने पति के दीर्घ जीवन की कामना के लिए करती हैं। रात को महिलाएं चलनी में चांद और पति दोनों ही के दर्शन करती हैं, फिर इसके बाद ही अन्न जल ग्रहण करती हैं। भारत देश में नेताओं की बुरी स्थिति है। कांग्रेस और भाजपा की मिली भगत से लगने लगा है मानो अब शासकों का काम सिर्फ और सिर्फ लूटना ही रह गया है। देश को लूटकर गिरवी रखने की तैयारी हो चुकी है। नेता एक के बाद एक जेल जा रहे हैं पर जेल में उनके मजे भी हैं। नेताओं का जेल जाना और करवाचौथ को रेखांकित करते हुए जयपुर से श्रेयांश चौधरी ने ईमेल भेजा है। श्रेयांश लिखते हैं कि जेल में नेताजी की पत्नि करवा चौथ का व्रत खोलने आई तो द्वारपाल ने सलाखों को चलनी के समदर्श बताते हुए कहा -‘‘आ जाईए बहनजी, यह चलनी जैसा ही है, और इसके पीछे वो रहा आपका प्रियतम, भ्रष्टतम चांद।‘‘

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