सुब्रत राय भगोड़ा
घोषित!
(बी.पी.गौतम)
नई दिल्ली (साई)।
निवेशकों को २४ हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि लौटाने के मामले में प्रतिभूति और
विनिमय बोर्ड-सेबी ने सहारा समूह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। सेबी ने सहारा समूह
की दो कंपनियों एसआईआरईसीएल और एच एस सी आई एल समेत समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय और
कंपनी के बड़े अधिकारियों के बैंक खातों को फ्रीज करने और उनकी सभी संपत्तियों को
जब्त करने के आदेश दिए हैं।
जिन सम्पत्तियों को
जब्त करने के आदेश दिए गए हैं उनमें एम्बी वैली लिमिटेड की जमीन भी शामिल है। सेबी
ने इस कंपनी के शेयरों, म्युचल फंड इकाईयों, बैंक और डी-मेट खातों को जब्त करने के भी
आदेश दिए हैं। सेबी ने सभी बैंको से कहा है कि सहारा के खातों में पड़ी राशि सेबी
सहारा रिफंड खाते में हस्तांतरित कर दी जाए।
सेबी ने सहारा
प्रमुख सुब्रत रॉय और तीन अन्य निदेशकों वंदना भार्गव, रवि शंकर दूबे और
अशोक रॉय चौधरी के सभी बैंक और डी-मैट खाते फ्रीज करने के निर्देश दिये हैं। इन
चारों के नाम दर्ज सभी चल-अचल सम्पत्ति तत्काल प्रभाव से जब्त करने के भी आदेश दिए
गए हैं। सेबी ने सहारा ग्रुप के खिलाफ की जा रही कार्रवाई के बारे में भारतीय
रिजर्व बैंक और प्रर्वतन निदेशालय को सूचित कर दिया है। न्यायालय ने पिछले हफ्ते
कहा था कि अगर सहारा समूह निवेशकों का पैसा वापस नहीं करता तो सेबी इस समूह के
बैंक खाते फ्रीज करने और सम्पत्ति जब्त करने के लिए स्वतंत्र है। उच्चतम न्यायालय
ने पिछले साल अगस्त में सहारा समूह को निवेशकों का पैसा १५ प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने
का निर्देश दिया था। सहारा समूह ने कहा है कि सेबी की कार्रवाई पुराने तथ्यों पर
आधारित है और व्यक्तियों की सम्पत्ति जब्त करना सेबी का उचित कदम नहीं है।
स्वयं-भू सहारा
श्री सुब्रत रॉय की मुश्किलें चारों ओर से बढ़ती जा रही हैं। एक ओर सेबी ने
कार्रवाई की है, तो दूसरी
ओर न्यायालय ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया है, साथ ही उनकी
संपत्ति कुर्क करने के आदेश भी दिए गये हैं। सहारा ग्रुप के नेतृत्व में संचालित
कंपनी द्वारा पच्चीस साल पहले गोल्डन की एकाउंट नाम की योजना चलाई गयी थी, जिसके तहत देश भर
में दस हजार से अधिक लोगों से पच्चीस सौ रुपये प्रति व्यक्ति जमा कराने के बाद
ड्रॉ और योजना बंद कर दी गई थी।
गोल्डन की एकाउंट
योजना के तहत धन जमा करने वाले लोगों के बीच ड्रा होने के बाद विभिन्न इनामों का
बंटवारा होना था, जो
नियमानुसार दस सालों तक निरंतर होते रहना चाहिए था, लेकिन वादी का आरोप
है कि दो सालों के बाद ड्रा बंद कर दिये गये और धन जमा करने वालों को कोई सूचना भी
नहीं दी गई। जानकारी करने पर धन वापस करने के बारे में संतोष जनक उत्तर भी नहीं
दिया गया। इस योजना का शिकार जनपद बदायूं में स्थित कस्बा बिसौली के मोहल्ला होली
चौक निवासी एडवोकेट धनवीर सक्सेना भी हुए। उन्होंने सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत
राय और स्थानीय शाखा प्रबंधक को नोटिस देकर जवाब मांगा, पर उन्होंने
संतोषजनक उत्तर नहीं दिया, तो वर्ष 1997 में मुकदमा संख्या 16-15/1997 मुंसिफ मजिस्ट्रेट
बिसौली के न्यायालय में पीढ़ित ने वाद दायर कर दिया।
24 मार्च 1999 को
मुरादाबाद जनपद के कस्बा चंदौसी स्थित शाखा के प्रबंधक वेदराम सैलानी व सहारा
ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत राय को तलब किया गया। कई तारीखों के बाद शाखा प्रबंधक तो
न्यायालय में हाजिर हो गये, पर चेयरमैन की ओर से वकील ने ही पक्ष रखा, साथ ही बाद में
शाखा प्रबंधक ने भी आना बंद कर दिया, जिस पर न्यायालय ने सहारा ग्रुप के चेयरमैन
व शाखा प्रबंधक के विरुद्ध वारंट जारी कर दिया, पर वह फिर भी
न्यायलय में हाजिर नहीं हुए। इसके बाद अदालत के गैर जमानती वारंट जारी करने पर भी
वह नहीं आये। न्यायालय के आदेशों की लगातार अवहेलना होने पर मजिस्ट्रेट ने सुब्रत
राय और शाखा प्रबंधक वेदराम सैलानी को भगोड़ा घोषित करते हुए संपत्ति कुर्क करने का
भी आदेश दिया है।
उधर दी सेक्यूरिटीज
एंड एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया ने आज सहारा समूह की दो कंपनियों के सौ से अधिक बैंक
एकाउंट को फ्रीज करते हुए लेन-देन पर भी रोक लगा दी है। सहारा इंडिया रीयल इस्टेट
कार्पाेरेशन (एसआईआरईसी) और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कार्पाेरेशन (एसएचआईसी) नाम
की दोनों कंपनियों की गैर-नगदी संपत्तियों को भी फ्रीज किया गया है, जिससे पीढ़ित लोग
खुश नज़र आ रहे हैं।
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